CAA का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बिहार में हाई अलर्ट, इन जिलों पर विशेष नजर की हिदायत
बिहार पुलिस को सीएए को लेकर हाई अलर्ट किया गया। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के जिला पुलिस अधीक्षक, वरीय पुलिस अधीक्षक को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर सावधान रहने को कहा है।
देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद बिहार में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सोमवार की शाम पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के जिला पुलिस अधीक्षक/ वरीय पुलिस अधीक्षक को सीएए लागू होने के बाद अलर्ट रहने को कहा है। साथ ही, जिलों में कानून-व्यवस्था की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया है। अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि सीएए लागू होने के बाद राज्य पुलिस को सचेत रहने और निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। वहीं, पुलिस मुख्यालय सूत्रों के अनुसार बिहार के सभी 38 जिलों में स्थानीय स्तर पर पुलिस थानों को सूचित किया गया है कि वे स्थानीय स्तर पर विधि-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सक्रिय रहें। संवदेनशील इलाकों में निगरानी बढा दें। विशेष रूप से सीमांचल के जिलों में विशेष निगरानी रखी जाएगी।
पुलिस सूत्रों की मानें तो आवश्यकता पड़ने पर पुलिस के फ्लैग मार्च की भी तैयारी की गयी है ताकि सामान्य जनों के बीच सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास बनाए रखा जा सके। मालूम हो कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून में संशोधन किया गया था। इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। नियमानुसार, केंद्र सरकार के पास नागरिकता देने का अधिकार है।
बता दें कि सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था, लेकिन अब रास्ता साफ हो गया है। संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए अन्यथा सरकार को लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों से अवधि में विस्तार करने की मांग करनी होगी।
वर्ष 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर अवधि में विस्तार प्राप्त करता रहा है। गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। एक अधिकारी ने कहा, आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
वर्ष 27 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू होने से को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं।