पटना: राजस्थान से सैकड़ों किलोमीटर दूर यहां लोग करते हैं पद्मावत के 'दर्शन'!
मलिक मोहम्मद जायसी के सूफी रूपक महाकाव्य ‘पद्मावत’ पर बनी फिल्म पद्मावती इन दिनों चर्चा में है। इस विषय में जानकारी को लेकर लोगों की उत्सुकता भी बढ़ी है। पर बहुत कम लोग जानते हैं कि...
मलिक मोहम्मद जायसी के सूफी रूपक महाकाव्य ‘पद्मावत’ पर बनी फिल्म पद्मावती इन दिनों चर्चा में है। इस विषय में जानकारी को लेकर लोगों की उत्सुकता भी बढ़ी है। पर बहुत कम लोग जानते हैं कि राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर मनेर खानकाह में हस्तलिखित पद्मावत मौजूद है। पद्मावत के अलावा यहां मुल्ला दाउद लिखित चंदायन भी है।
मनेर खानकाह के गद्दीनशीन सैयद शाह तारिक ऐनायतुल्ला फिरदौसी ने बताया कि यहां रखा पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा ही हस्तलिखित यानि हाथों से लिका गया है। इसलिए मनेर खानकाह में ‘पद्मावत’ को भी वही दर्जा हासिल है जो किसी अन्य महान ग्रंथ को है। फारसी में लिखे हुए इस काव्य के दर्शन लोग खास मौकों पर ही कर पाते हैं।
हर साल सलाना उर्स के दौरान आने वाले जायरिनों को सूफियों के जीवन से जुड़ी बहुमूल्य वस्तुओं के साथ-साथ इसकी भी जियारत कराई जाती है। हाल ही में पैगम्बर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन पर शनिवार को जुलूस ए मोहम्मदी के अवसर पर भी लोगों ने पद्मावत और चंदायन के दर्शन किए।
फिरदौसी कहते हैं, 'हम सूफी प्रेममार्गी हैं। पद्मावत आज भी हमलोगों के लिए ऐतिहासिक से ज्यादा नैतिक महत्व रखता है। बड़ी दरगाह के पास सदियों से धूल फांक रहे ऐतिहासिक शहदूल को भी हिफाजत की जरूरत है।'
‘पद्मावत’ आज भी सूफियों के लिए ऐतिहासिकता से अधिक नैतिक महत्व रखता है। हालांकि, इतिहासकारों का कहना है कि खानकाह में रखे पद्मावत को जायसी ने ही लिखा है इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है।
बता दें कि पद्मावत में रानी पद्मावती के अलावा चित्तौड़गढ़ के पांच रत्नों की चर्चा है। कहा जाता है कि इन्हीं रत्नों की चर्चा तांत्रिक चेतन राघव ने अलाउद्दीन खिलजी से की थी, जिसे पाने के लिए उसका मन मचल उठा था। इन्हीं में से एक है शिकारी पक्षी शादरूल्य।
शादरूल्य के बारे में कहा जाता है कि यह हाथी को अपने पंजे में दबोच लेता था। इसी की खंडित प्रतिमा मनेर में है जो बदहाल स्थिति में धूल फांक रही है। मनेर में इसे शहदूल के नाम से जानते हैं। लाल पत्थर से बना शहदूल अपने पंजों में एक हाथी को दबोचे दिख रहा है।