दिन में ड्यूटी, रात में पढ़ाई... भागलपुर यूनिवर्सिटी में दरबान से प्रोफेसर बना शख्स, मगर ज्वॉइनिंग पर रोक
कमल किशोर मंडल सहायक प्राध्यापक नियुक्त होकर काउंसिलिंग के लिए आए। जुलाई में काउंसिलिंग भी हो गई। दुर्गा पूजा से पहले ज्वॉइन करना था। तीन अन्य अभ्यर्थियों ने ज्वाइन कर भी लिया, मगर इन्हें रोक दिया गया
भागलपुर विश्वविद्यालय के आंबेडकर विचार विभाग में दरबान की नौकरी कर रहे चतुर्थवर्गीय कर्मचारी कमल किशोर मंडल सहायक प्राध्यापक बन गए हैं। बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के जरिए उनकी नियुक्ति की गई है। काउंसिलिंग प्रक्रिया भी पूरी हो गई, मगर ऐन मौके पर उनको ज्वॉइनिंग देने से रोक दिया गया। उन्हें ज्वॉइन करने से यह कहकर रोका गया कि आपने यहीं नौकरी करते हुए नियमित पढ़ाई कैसे कर ली?
दरअसल, कमल किशोर ने भागलपुर विवि में नौकरी करते हुए राजनीति विज्ञान से पीजी की। उसके बाद पीएचडी की। 2018 में नेट क्वालीफाई किया और फिर विवि सेवा आयोग के जरिए सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। मामला कुलपति के पास पहुंचा तो उन्होंने पूरे मामले की छानबीन के लिए चार सदस्यीय कमेटी बना दी। कमेटी ने सोमवार को बैठक कर ली है, जिसकी रिपोर्ट पर अंतिम फैसला होगा।
बता दें कि कमल किशोर मंडल सहायक प्राध्यापक नियुक्त होकर काउंसिलिंग के लिए आए। जुलाई में काउंसिलिंग भी हो गई। दुर्गा पूजा से पहले ज्वॉइन करना था। तीन अन्य अभ्यर्थियों ने ज्वाइन कर भी लिया, मगर इन्हें रोक दिया गया। ज्वाइनिंग पर रोक लगाते हुए विवि प्रशासन ने सवाल उठाया कि उन्होंने विभाग में कार्य करते हुए पीजी और पीएचडी कैसे कर लिया? क्या विवि ने उन्हें ऐसा करने के लिये अनुमति दी थी?
यह मामला कुलपति के पास पहुंचा तो उन्होंने एक कमेटी गठित कर दी। जांच कमेटी में शामिल डीएसडब्ल्यू डॉ. रामप्रवेश सिंह ने कहा कि सोमवार को इस मामले में कमेटी की बैठक हुई और जांच की गई। मंगलवार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। कमल किशोर ने बताया कि वह 2003 में डीजे कॉलेज, मुंगेर से भागलपुर आये थे। उनकी पोस्टिंग टीएमबीयू के आंबेडकर विचार विभाग में हुई। वहां वह नाइट गार्ड के रूप में कार्यरत थे। पढ़ाई के लिये उन्होंने तत्कालीन कुलसचिव से अनुमति ली है।
उन्होंने विभाग से पीजी और पीएचडी की। उन्होंने राजनीति विज्ञान विभाग से 2018 में नेट भी क्वालीफाई कर लिया है। वह जब सहायक प्राध्यापक के रूप में योगदान करने विवि पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि अभी मामले की चार सदस्यीय कमेटी से जांच होगी, उसके बाद वह योगदान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कोर्स की पढ़ाई के लिये उन्होंने विवि को सूचना दी और अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया है।
टीएमबीयू के कुलपति जवाहरलाल का कहना है कि यदि विश्वविद्यालय ने पढ़ने की अनुमति दी है तो उन्हें योगदान का मौका अवश्य दिया जाएगा। इसके लिए पहले मैं जांच कमेटी की रिपोर्ट भी देखूंगा। किसी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।
आंबेडकर विचार विभाग के विभागाध्यक्षण डॉ. विलक्षण रविदास ने कहा कि कमल किशोर मंडल मुझसे सलाह मशवीरा करते थे। उन्हें मैंने कहा था कि वह विभाग के द्वारा विवि जायें और वहां से अनुमति लें। उन्होंने उस समय विवि से भी अनुमति ली। कुछ लोग गंदी राजनीति करते हैं और ऐसे लोगों को नहीं आने देना चाहते हैं। मैंने भी उन्हें रात्रि ड्यूटी कर दिन में क्लास करने की अनुमति दी थी।