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बिहार: सहरसा में समस्तीपुर रेल मंडल का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट तैयार, जानें इसकी खूबियां

अच्छी खबर! अब सफाई या धुलाई के कारण ट्रेनें लेट नहीं होंगी। ऑटोमेटिक व्यवस्था के कारण ट्रेनों के कोच के बाहरी हिस्से अब पूरी तरह से चमकते नजर आएंगे। ऐसा होगा ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की...

Sunil Abhimanyu सहरसा, रंजीत , Sun, 14 Feb 2021 04:26 PM
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अच्छी खबर! अब सफाई या धुलाई के कारण ट्रेनें लेट नहीं होंगी। ऑटोमेटिक व्यवस्था के कारण ट्रेनों के कोच के बाहरी हिस्से अब पूरी तरह से चमकते नजर आएंगे। ऐसा होगा ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की वजह से। दरअसल बिहार के सहरसा शहर के कोचिंग डिपो के पास समस्तीपुर मंडल का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट बनकर तैयार हो गया है।  इसमें महज पांच मिनट में ट्रेन की सभी 24 बोगियों के बाहरी हिस्से की धुलाई और सफाई हो जाएगी।

सबसे बड़ी बात यह कि सफाई कार्य में लगने वाले 80 प्रतिशत पानी का दोबारा उपयोग हो पाएगा। एक कोच की धुलाई और सफाई में लगने वाली 250 से 300 लीटर पानी की बजाय मात्र 50 से 60 लीटर पानी लगेंगे। उसमें से भी 80 प्रतिशत पानी रिसाइकिल होकर दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगने से पानी की बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा। 

वैशाली स्पेशल एक्सप्रेस की धुलाई और सफाई कर टेस्टिंग
समस्तीपुर मंडल मुख्यालय के एडीएमई राजीव कुमार सिंह ने कहा कि सहरसा में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का निर्माण पूरा हो गया है। कुछ बचे फिनिसिंग काम को पुणे की कंपनी के द्वारा पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सहरसा-नई दिल्ली वैशाली स्पेशल एक्सप्रेस की धुलाई और सफाई का काम करते हुए टेस्टिंग किया गया है। टेस्टिंग में धुलाई और सफाई का काम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि 30-30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट(ईटीपी) भी लगाया गया है। जिसके जरिए धुलाई और सफाई में लगे पानी को ट्रीटमेंट करते दोबारा उपयोग में लाया जाएगा।

एक दिन में प्लांट में 11 ट्रेन की 250 से अधिक कोच की धुलाई और सफाई
प्लांट अधिष्ठापन से कोच के बाहरी हिस्से की सफाई मैन्युअल नहीं करानी पड़ेगी और करीब सवा घंटे समय बचेगा। उसमें लगने वाले सफाईकर्मी को ट्रेन के अंदरूनी हिस्से की सफाई में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक दिन में प्लांट में 11 ट्रेन की 250 से अधिक कोच की धुलाई और सफाई कार्य की जा सकेगी। जाएगी। कोच की धुलाई में कम मात्रा में पानी, साबुन और कीटाणुनाशकों का उपयोग होगा, जो पर्यावरण के अनुकूल होगा। इधर शनिवार को ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट पास सहरसा के एडीएमई सुशांत कुमार झा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर कैरेज एंड वैगन शंभु कुमार, एसएसई मनोज कुमार थे। 

ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का जीएम करेंगे उदघाटन
ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललितचंद्र त्रिवेदी उदघाटन करेंगे।  उदघाटन की संभावित तिथि 27 फरवरी है। उस दिन वार्षिक निरीक्षण पर जीएम सहरसा आने वाले हैं। जीएम के निरीक्षण के बाद ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट पर ट्रेनों की धुलाई और सफाई नियमित रूप से होने लगेगी।
 
चलती ट्रेन में सफाई और मेंटेनेंस का काम करेगी अब नई एजेंसी
सहरसा की चलती ट्रेन की सफाई और मेंटेनेंस का काम अब समस्तीपुर की एजेंसी करेगी। मुख्यालय के एडीएमई ने कहा कि चार साल के लिए रक्षक सिक्युरिटीज समस्तीपुर को सहरसा की चलती ट्रेनों में मैकेनाइज्ड क्लीनिंग(सफाई) और ओबीएचएस कार्य के लिए ठेका दिया गया है। 15 फरवरी से कंपनी के द्वारा कार्य शुरू किया जाएगा। ठेके की दर प्रति वर्ष ढाई करोड़ रुपये है। 

क्विक वाटरिंग के तहत लग रहा स्काडा
सहरसा स्टेशन पर क्विक वाटरिंग सिस्टम के तहत स्काडा लगाने का काम किया जा रहा है। स्काडा सिस्टम से पता चलेगा कि कोच में कितना पानी भरा गया है। एडीएमई ने कहा कि मॉर्डन फैसिलिटी की सुविधा सहरसा में बहाल की जा रही है। समस्तीपुर मंडल का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट सहरसा में बना है। जयनगर में दूसरा प्लांट निर्माण का काम चल रहा है।
 
शहर में कोचिंग डिपो पास तैयार ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट।

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