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Bihar Board 10th Result 2019 : परीक्षा परिणाम अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता, आगे मिलेंगे कई मौके

मैट्रिक में असफल छात्र निराश न हों। आगे भी कई अवसर हैं। संयम रखते हुए आत्मविश्वास से आगे की राह देखनी चाहिए। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षा परिणाम जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो...

पटना। कार्यालय संवाददाता Sun, 7 April 2019 09:12 AM
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मैट्रिक में असफल छात्र निराश न हों। आगे भी कई अवसर हैं। संयम रखते हुए आत्मविश्वास से आगे की राह देखनी चाहिए। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षा परिणाम जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता। 

मनोचिकित्सक डॉ. मनीष कुमार ने कहा कि मैट्रिक परीक्षा में असफल रही दानापुर की एक छात्रा द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाना पूरी तरह गलत है। परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने या कम अंक आने की वजह से आत्महत्या जैसी बात तो सपने में भी नहीं सोचनी चाहिए। यह तो जीवन की एक सीढ़ी है, जिसके सहारे आगे बढ़ा जाता है। अगर किसी को सफलता किन्हीं कारणवश नहीं मिल पाई तो घबराने या हताश होने की बजाय हिम्मत से काम लेना चाहिए। 

भूतनाथ रोड की मनोवैज्ञानिक विश्लेषक संजू सिन्हा बताती हैं कि मैट्रिक के रिजल्ट में जिन छात्रों को किन्हीं कारणों से सफलता नहीं मिल पाई है, उन्हें हताश होने की बजाय आगे के मौके तलाशने चाहिए। असफल छात्र कंपार्टमेंटल या अगले वर्ष दोबारा परीक्षा देकर जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। वहीं, अगर छात्रों को लगता है कि उनके अंक सही नहीं हैं तो वे बोर्ड की ओर से घोषित तिथि पर स्क्रूटिनी के लिए आवेदन भी कर सकते हैं। कुल मिलाकार लब्बोलुवाब यह कि परीक्षा परिणाम से तनिक भी नहीं घबराएं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि असफल विद्यार्थी अपने आत्मविश्वास में कमी न आने दें। आत्मविश्वास में कमी से आप डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। 

अभिभावक बच्चों को न छोड़ें अकेला
मनोचिकित्सक डॉ. मनीष कुमार बताते हैं कि परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र के पैरेंट्स अपने बच्चों को इस समय अकेला नहीं छोड़ें। बच्चों को ढाढ़स बढ़ाएं। अभिभावकों को चाहिए कि रिजल्ट के पहले अपने बच्चों के व्यवहार में आने वाले प्रत्येक परिवर्तन पर नजर रखें। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को हताशा की बजाय सकारात्मकता से भरकर आगे के विकल्प तलाशने में मदद करें। अपने बच्चों के परीक्षा परिणाम के बारे में अभिभावक बच्चों से खुलकर बात करें। 

पैरेंट्स को सलाह 
बच्चों के संग बिताएं समय। 
बच्चों को अकेला न छोड़ें। 
बच्चों को बंधाएं ढाढ़स। 
बच्चों को आगे के लिए करते रहें प्रेरित। 
अभिभावक अपने बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन को नजरंदाज नहीं करें। 
परिणाम तो आ गया, अब आगे की सोचें। 
रिजल्ट को लेकर जिन बच्चों में ज्यादा संदेह हो, उन्हें चिह्नित करें। 
अभिभावक अपने बच्चों की काउंसिलिंग कराएं। 

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