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पटना कॉलेज के स्थापना दिवस पर बोले शिक्षा मंत्री, यह बिहार की प्रतिभाओं की राजधानी रहा है

पटना कॉलेज बिहार की प्रतिभाओं की राजधानी रहा है। बिहार के विकास में पटना कॉलेज का बड़ा योगदान रहा है। बिहार के शैक्षणिक माहौल को सुधारने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा। पिछले वर्षों में शिक्षा की...

Abhishek Tiwari हिन्दुस्तान, पटनाSat, 9 Jan 2021 05:50 PM
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पटना कॉलेज बिहार की प्रतिभाओं की राजधानी रहा है। बिहार के विकास में पटना कॉलेज का बड़ा योगदान रहा है। बिहार के शैक्षणिक माहौल को सुधारने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा। पिछले वर्षों में शिक्षा की स्थिति में गिरावट आई है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। देश का इनरोलमेंट रेट 30 प्रतिशत है, जबकि बिहार का 13। इसे मुख्यमंत्री ने कम से कम 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। ये बातें पटना कॉलेज के पूर्व छात्र और शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने पटना कॉलेज के 159वें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर शनिवार को कही।

साइकिल से आता था कॉलेज
कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री भावुक हो गए। उन्होंने कहा, मैं इसी कॉलेज में साइकिल से आता था। अब शिक्षामंत्री के तौर पर आया हूं। यहां के शिक्षकों की ही देन है कि मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं। मेरे पिता जी पूर्व मंत्री महावीर चौधरी भी इसी कॉलेज के छात्र थे और जैक्सन छात्रावास में रहते थे। मैं शिक्षामंत्री रहूं या नहीं रहूं, पूर्ववर्ती छात्र के तौर पर कॉलेज के विकास के लिए हमेशा मदद करता रहूंगा। समारोह में सभी शिक्षकों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। उन्होंने तीन शिक्षकों, नॉन टीचिंग स्टाफ भोला प्रसाद, ललन प्रसाद व टॉपर छात्र मासूम अली को सम्मानित किया।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय की गरिमा को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास में लगा हूं। विश्वविद्यालय और कॉलेज के बेहतर ग्रेड के लिए सभी शिक्षकों को शोध कार्यों में जुटना होगा। आईटी सेल का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि जब आरसीपी सिंह छात्र रहे थे, तब 54 में 53 छात्रों का चयन आईएएस के लिए हुआ था। बताया कि केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के प्रयास से पटना विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों को नेटवर्किंग से जोड़ने के लिए आठ करोड़ की स्वीकृत मिली है। इसका काम जल्द शुरू होगा।

पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह ने कहा कि पटना कॉलेज ने मुझे बहुत कुछ दिया है। यह कॉलेज देश का सबसे पुराना कॉलेज है। इसको अब तक विश्वविद्यालय हो जाना चाहिए था। पर कुछ कारणों से नहीं हो सका। इस कॉलेज की परंपरा को कुछ छात्र बर्बाद कर रहे हैं। मिंटो और जैक्सन छात्रावास में रहने वाले कुछ ही छात्रों की वजह से कॉलेज की बदनामी होती है। इस कॉलेज को नैक से बेहतर रैंक के लिए मिलकर प्रयास करना होगा। नैक की कमियों को दूर करने के लिए शिक्षकों को शोध व पूर्ववर्ती का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सिंगल फैकल्टी रहते हुए ए ग्रेड पाना मुश्किल है। बीएड व कॉमर्स विषय के महत्वपूर्ण कोर्स शुरू करने होंगे। प्रति कुलपति डॉ. अजय सिंह ने कहा कि हमेशा छात्रों को सीखना चाहिए। शिक्षकों की जवाबदेही समाज का निर्माण करना है। उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। मोबत्ती तभी तक जलती है जब तक इसमें मोम होता है।

अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अशोक कुमार ने किया। उन्होंने कॉलेज के सी ग्रेड के कलंक को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की। शिक्षामंत्री के सामने एक बड़ा ऑडिटोरियम व जिमनेजियम बनाने की मांग रखी। मौके पर कॉलेज के शिक्षक डॉ. शिव सागर प्रसाद लिखित पुस्तक ‘पटना कॉलेज एक परिचय’ का लोकार्पण शिक्षामंत्री, कुलपति व पूर्व कुलपतियों ने किया।

पूर्ववर्ती शिक्षक व छात्र हुए सम्मानित
इस कॉलेज से 70 वर्षों का से जुड़ा हूं। इस कॉलेज में छात्र के तौर पर 1952 में आया था। कॉलेज की इतनी यादें हैं कि बताने लगूंगा तो काफी समय लग जाएगा। इस कॉलेज के उत्थान और गिरती अवस्था दोनों को देखा हूं। इसी कॉलेज में प्राचार्य बना। फिर कुलपति बना। इस कॉलेज की परंपराओं को अगर 40 प्रतिशत भी पालन होने लगे तो कॉलेज फिर से बुलंदी पर पहुंच जाएगा। छात्रों से अपील है कि वे अनुशासन में रहें। तभी उन्हें कामयाबी मिलेगी।- प्रो. एलएन राम, पूर्व छात्र सह कुलपति

पटना कॉलेज में एक साल के बाद आने का मौका मिला है। इस कॉलेज से 40 साल से जुड़ी ही हूं। इस कॉलेज ने बहुत कुछ दिया। इसके लिए जो कुछ करना होगा करूंगी। कॉलेज ने सम्मानित करने के लिए बुलाया अच्छा लगा। घर में जब सम्मान मिलता है तो कद और बढ़ जाता है। इस कॉलेज की परंपरा को फिर बहाल करने के लिए आर्थिक से लेकर हर तरह की मदद के लिए तैयार हूं। सिर्फ कॉलेज याद करता रहे।- प्रो. डेजी नारायण, इतिहास विभाग

पटना कॉलेज में बतौर छात्र व टीचिंग का 40 साल का अनुभव रहा। कॉलेज की ओर से सम्मानित होना अच्छा लगा। यह हमारे लिए गर्व की बात है। इस कॉलेज की नैक ग्रेडिंग में बेहतर करने के लिए मुझे अगर मौका मिला तो जरूर करूंगा। रिसर्च में बेहतर कार्य करना होगा। हर फैकल्टी को समझना होगा कि उनके विषय में दुनिया में कितना काम हो रहा है। इसपर ध्यान देना होगा। यहां के छात्रों को दूसरे जगह के छात्रों की संस्कृति को समझना होगा। यहां के छात्रों को बहारी एक्सपोजर मिलना चाहिए। मुझे अगर एडवाइजरी कमेटी में जगह मिली तो जरूरी काम करूंगा।- प्रो. शंकर आशीष दत्त, अंग्रेजी विभाग

पटना कॉलेज में पढ़ाना अपने आप में सम्मान पाने के बराबर है। इस महाविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। देश के हरेक क्षेत्रों में अपने छात्रों को भेजा है। इसलिए यहां के शिक्षकों की पहचान छात्रों ने बनाई है। इस ऐतिहासिक महाविद्यालय को सरकार विशेष दर्जा दे, ताकि यहां के छात्रों को बेहतर एक्सपोजर मिल सके। मुझे गर्व है कि मैं पटना विश्वविद्यालय का छात्र और पटना कॉलेज का शिक्षक रहा हूं।- प्रो. रणधीर कुमार सिंह, समाजशास्त्र

मुझे विश्वविद्यालय का टॉपर बनने की काफी खुशी है। खासकर इतने बड़े कॉलेज में इतने बड़े लोगों के बीच सम्मान पाना बड़ी बात हैं। आगे उर्दू से पीजी करना है। अभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहता हूं। गोपालगंज के चौरांव जिले का नाम रौशन करना है। तीन बार नेशनल रक्तदान में सम्मान मिला है। पिता स्व. हाजीउद्दीन मुख्य रूप से किसान थे। वर्ष 2018 में डिप्टी सीएम से इंडियाज ग्रेट लीडर का सम्मान मिला। आगे बेहतर मुकाम पाने की तम्मना है।- मासूम अली, स्नातक टॉपर, उर्दू

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