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छठ महापर्व के पारंपरिक गीतों में लगा डीजे का तड़का, मूल गीतों से भी गायकों ने की छेड़छाड़

बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देशभर के अलावा सात समुंदर पार भी अपनी महता व पवित्रता से छठ महापर्व के गीत लोगों को अपनी जड़ों की याद दिलाते रहे हैं। छठ के अधिकतर मूल गीत भोजपुरी में होने...

Sunil Abhimanyu पटना। रविशंकर सिंह, Wed, 18 Nov 2020 07:43 AM
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बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देशभर के अलावा सात समुंदर पार भी अपनी महता व पवित्रता से छठ महापर्व के गीत लोगों को अपनी जड़ों की याद दिलाते रहे हैं। छठ के अधिकतर मूल गीत भोजपुरी में होने से इस भाषा का भी जबर्दस्त प्रचार पूरी दुनिया में हुआ। लेकिन छठ के पारंपरिक गीतों में भी डीजे का तड़का लगना शुरू हो गया है।

 नए से लेकर पॉपुलर हो चुके गायकों ने पुराने पारंपरिक गीत को भी नए सिरे से ऊंची धुन में गाना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि छठ के गीतों में तेज म्यूजिक और फटाफट डांस का पुट डालने की शुरुआत को ख्यातिप्राप्त गायक व गायिका सही ट्रेंड नहीं बता रहे हैं। छठ के गीतों में इस तरह के बदलाव को छठ गीतों की पर्याय बन चुकीं शारदा सिन्हा कहती हैं कि इससे उनका मन काफी व्यथित है। 

छठ गीतों में इस प्रकार के हुए हैं बदलाव
इस बार भोजपुरी गायक खेसारीलाल यादव व अंतरा सिंह प्रियंका ने आदिशक्ति फिल्मस के बैनर तले छठ घाटे चलीं नाम से एल्बम निकाला है। इसमें पुराने छठ गीतों को तेज म्यूजिक व डीजे की तेज धुन पर नए सिरे से गाया गया है। पेन्ही न बलम जी पियरिया चलीं छपरा के घाट... और कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लेके चलब घाट को पूरी तरह से बदलकर तेजी से गाया गया है। इस गीत को खेसारी नए अंदाज से छठ के पारंपरिक गीत से जोड़ते हैं। देसी अंदाज में गाए गए खेसारी व अंतरा सिंह के दूसरे छठ गीत जिसके बोल हैं छठ घाटे चली... को भी बदलकर गाया गया है। इसके गीतकार अखिलेश कश्यप हैं, जबकि श्याम सुंदर ने इसमें संगीत दिया है।

 यही नहीं, खास बात यह भी है कि कांच ही बांस के बहंगिया गीत के नए अंदाज को दो सप्ताह में यू टयूब पर 3 करोड़ 13 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है, जबकि तीन लाख से अधिक लाइक्स मिले हैं। हालांकि, इस गीत को 31 हजार डिसलाइक भी मिले हैं। इसी तरह एसआरके म्यूजिक ने डीजे की तर्ज पर छठ का एलबम लांच किया है। गर्दा सियाडीह के लिखे गीत को भोजपुरी गायक अंकुश राजा व शिल्पी राज ने तेज म्यूजिक और डीजे की धुन पर गाया है। असो अरघ देबे के बा विचार, राजाजी हमार आजा नइहरवे में...गीत के इस बोल को यूट्यूब पर महज पांच दिन में ही 13 लाख व्यूज मिल चुके हैं। इसे 24 हजार लाइक के संग दो हजार डिसलाइक भी मिले हैं।

 भोजपुरी के मशहूर गायक रितेश पांडेय ने भी तेज म्यूजिक में छठ के गीत को गाया है। गीत के बोल उंखिया लेल कान्ह पर, दउरिया धल माख पर, त हाली हाली डेगवा बढ़ावा ऐ राजा, चल गंगा जी के घाट पर...को पांच दिन में 11 लाख व्यूज, 17 हजार लाइक व डेढ़ हजार डिसलाइक मिले हैं। इसी तरह रितेश ने दूसरे गीत थर-थर कांपेली जल में पिवइया, जनी छछनाई जी, चीर के बदरिया निकली बहरिया आदित गोसांई जी...में भी डीजे की धुन का समावेश किया है। अन्य भोजपुरी के गायक व गायिकायों ने छठ के पारंपरिक गीतों में डीजे का तड़का लगा दिया है। 

शारदा सिन्हा कह रही हैं मूल भावना से खिलवाड़
मशहूर गायिका शारदा सिन्हा कहती हैं कि छठ के पारंपरिक गीतों में डीजे का तड़का लगाने व फास्ट म्यूजिक डालना छठ की मूल भावना के खिलाफ है। गीत में ऐसे बदलाव से उनका मन काफी व्यथित है। उन्होंने कहा कि छठी मइया के गीतों में डीजे बजाकर उसकी मूल आत्मा से छेड़छाड़ होगा। कहा कि सारेगामा ने उनके वर्ष 1978-80 में गाए डोमिनी बेटी... और अंगना में पोखरा खनाइब जैसे गीतों को भी नए सिरे से लाया है। लेकिन इसमें केवल बीट बढ़ाया गया है। यह सांस्कृतिक पहल है। भोजपुरी के सिंगर देवी बताती हैं कि वे छठ के पारंपरिक गीत में किसी तरह के बदलाव की पक्षधर नहीं हैं। भोजपुरी गायक राकेश मिश्रा कहते हैं कि छठ की पहचान पारंपरिक व मद्धम आवाज में गाए जाने वाले छठ गीत हैं। ऐसे में डीजे की धुन पर छठ गीत समझ से परे है। अमृता दीक्षित भी इसको सही नहीं मान रही हैं।
 

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