Corona vaccination in Bihar: टीका लिया पिता ने, पोर्टल पर नाम आ गया बेटे का, सर्टिफिकेट में महिला को बना दिया पुरुष
कोरोना टीकाकरण अभियान में पिता के टीका लेने पर पुत्र का नाम पोर्टल पर आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे डोर टू डोर टीका अभियान में इस तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग इस महत्वपूर्ण...
कोरोना टीकाकरण अभियान में पिता के टीका लेने पर पुत्र का नाम पोर्टल पर आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे डोर टू डोर टीका अभियान में इस तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग इस महत्वपूर्ण अभियान में अनट्रेंड निजी डाटा इंट्री ऑपरेटरों से रजिस्ट्रेशन करा रहा है। ये ऑपरेटर बिना किसी ट्रेनिंग के टीकाकरण में काम कर रहे हैं।
टीका ले चुके कई लाभुकों का कहना है कि टीकाकरण के बाद जब सर्टिफिकेट निकालने के बारी आती है तो पता चलता है कि महिला को पुरुष बना दिया गया है। टीका पिता लेते हैं तो पोर्टल पर पुत्र का नाम दर्ज रहता है। इन ऑपरेटरों को स्वास्थ्य विभाग प्रतिदिन 450 रुपये देता है। टीकाकरण में अभी 900 ऑपरेटर काम कर रहे हैं।
केस 1
कटरा के मुकेश कुमार ने बताया कि उनके पिता राम नरेश ने कोरोना टीका लिया था। पिताजी के पास मोबाइल नहीं था तो उन्होंने अपना ही मोबाइल नंबर दिया, लेकिन आधार नंबर पिताजी का था। जब पोर्टल पर उन्होंने टीका का सर्टिफिकेट खोला तो पिता की जगह उनका नाम लिखा था। सर्टिफिकेट सुधार के लिए वह पीएचसी के चक्कर काट रहे हैं। पीएचसी पर बताया जा रहा है कि मुजफ्फरपुर जाकर ठीक कराना होगा। यहां कोई सही से जानकारी नहीं दे रहा है। ऑपरेटर भी टीका देने के बाद दोबारा नहीं मिल रहा है।
केस 2
कुढ़नी के लदौरा गांव की रहने वाली राजरानी देवी को डोर टू डोर अभियान में तीन दिन पहले टीका लगा था। उसे इसका मैसेज भी आया। वह एक साइबर कैफे से सर्टिफिकेट निकालने गई तो पता चला कि सर्टिफिकेट में उसे महिला से पुरुष बना दिया गया था। उनके नाम के आगे फीमेल की जगह मेल लिखा हुआ था। अब राजरानी देवी सर्टिफिकेट सुधार के लिए स्वास्थ्य केंद्र का चक्कर काट रही है। उसका कहना है कि नाम सुधारने के लिए कोई सही जानकारी नहीं दे रहा है।
11 महीने में ठीक नहीं हो सकी गड़बड़ी
कोराना टीकाकरण में सर्टिफिकेट और मैसेज की परेशानी 11 महीने में भी ठीक नहीं हो सकी। टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से चलाया जा रहा है, लेकिन सर्टिफिकेट व मैसेज में लगातार गड़बड़ी मिल रही है। जिला प्रतिरक्षण कार्यालय में प्रतिदिन पांच से दस लोग सर्टिफिकेट और मैसेज की समस्या लेकर पहुंचते हैं। कई लाभुकों को टीका लेने से पहले ही वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट पहुंच चुका है। जिला प्रतिरक्षण कार्यालय इसे पोर्टल की समस्या बताकर पल्ला झाड़ लेता है।
ऑपरेटरों की गलती से कभी-कभी ऐसी समस्या आती है। जहां से ऐसी समस्या आती है, उसे तुरंत ठीक करा लिया जाता है। गलती करने पर ऑपरेटर पर भी कार्रवाई की जाती है।
-डॉ. विनय कुमार शर्मा, सिविल सर्जन