पटना AIIMS के संविदा स्टाफ ने दी अनशन की चेतावनी; मांगें नहीं मानी, तो सामूहिक इस्तीफा, जानिए क्या है मामला
पटना एम्स के 650 से ज्यादा संवादाकर्मियों ने वेतन कटौती के विरोध में सोमवार से भूख हड़ताल पर जाने की बात कही है। और मांगें नहीं मानी जाने पर सामूहिक इस्तीफे और कोर्ट जाने की बात कही है।
पटना एम्स के 650 से ज्यादा संविदाकर्मियों ने वेतन कटौती के विरोध में सोमवार से भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। और इसके बाद भी अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो सामूहिक इस्तीफे के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। आपको बता दें सभी संविदाकर्मी दिल्ली की बेदी एंड बेदी एसोसिएट्स फर्म का कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ है। जिसरा अनुबंध पटना एम्स से 20 जून को खत्म हो गया था। जिसके बाद संविधाकर्मियों को सहानुभूति के आधार पर अब दो अन्य आउटसोर्स प्लेसमेंट फर्मों में समायोजित किया गया है।
वहीं इस मामले पर एक नर्सिंग अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हम एम्स, पटना के कार्यकारी निदेशक से अनुरोध करेंगे कि हमारा पारिश्रमिक कम न किया जाए। अगर एम्स हमारा वेतन पांच साल पहले की तुलना में कम करने के लिए प्रतिबद्ध है, तो हम जानना चाहेंगे, कि वह ऐसा किस प्रावधान या किस मजबूरी के तहत कर रहा है।
मई 2016 में जब बेदी एंड बेदी एसोसिएट्स ने एम्स के लिए शुरुआत में अनुबंध की पेशकश की थी, तब 662 कर्मियों में से 416 नर्सिंग अधिकारी अनुबंध पर थे। नर्सिंग अधिकारियों को पिछली बार 50 हजार का मासिक पारिश्रमिक दिया गया था, जिसे अब एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड के सब कॉन्ट्रैक्टर संपूर्ण एंटरप्राइजेज लिमिटेड के साथ अनुबंध कर35 हजार किए जाने की संभावना है।
एम्स ने संपूर्णा एंटरप्राइजेज द्वारा नए सिरे से काम पर लेने के लिए बेदी एंड बेदी एसोसिएट्स के लगभग 516 बर्खास्त कर्मचारियों की एक सूची तैयार की थी। जो लोग सूची में नहीं थे वे इस बात से परेशान थे कि एम्स, जिसने कोरोनोवायरस महामारी के दौरान उनसे सेवाएं ली थीं, अब उन्हें बेसहारा छोड़ दिया गया है।
इस मामले पर एक तकनीकी अधिकारी ने बताया कि हम 35 वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके हैं और अब नियमित नियुक्ति के लिए आवेदन करने के पात्र नहीं हैं। एम्स, जिसने महामारी के दौरान 'कोरोना योद्धा' के रूप में हमारे योगदान को स्वीकार किया था। उसने हमारी सेवाओं को बंद करने से पहले एक बार भी सोचा नहीं। हमें उम्मीद है कि संस्थान के पदाधिकारियों में अच्छी समझ बनी रहेगी और वे हमें अपने लिए काम करने वाली अन्य कंपनियों में शामिल कर लेंगे।
वहीं पटना एम्स ने तमाम विभागों के प्रमुखों (एचओडी) से एम्स द्वारा नियुक्त दो अन्य प्लेसमेंट फर्मों, संपूर्ण एंटरप्राइजेज और कॉरपोरेट हेल्थ सर्विसेज (सीएचएस) में बेदी एंड बेदी एसोसिएट्स के हटाए गए कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए ग्रेड के साथ अपनी सिफारिश देने के लिए कहा था। एचओडी की सिफारिश के आधार पर, एम्स प्रशासन ने उन कर्मचारियों की एक सूची तैयार की थी, जिनकी सेवाएं संपूर्ण एंटरप्राइजेज या सीएचएस को ट्रांसफर की जानी थीं।
इस मामले पर बेदी एंड बेदी एसोसिएट्स के राजीव कुमार ने कहा, एम्स-पटना के साथ हमारा अनुबंध 20 जून को समाप्त हो गया। हमने अपने सभी कर्मियों को एक महीने पहले ही इसके बारे में सूचित कर दिया था। एम्स-पटना ने हमें 11 महीने का शुरुआती अनुबंध दिया था, जिसे पहली बार छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। बाद में, हमें हर बार तीन महीने का विस्तार मिलता रहा, जब तक कि मई में एम्स ने हमें 20 जून के बाद हमारे अनुबंध की समाप्ति के बारे में सूचित नहीं कर दिया। अधिकारियों ने कहा कि बेदी और बेदी एसोसिएट्स तीन महीने के लिए अनुबंध का अल्पकालिक नवीनीकरण करने के खिलाफ थे और उन्होंने एम्स के साथ अपना जुड़ाव तोड़ दिया था।
वहीं इस मामले पर एम्स के डॉ. पाल ने बताया कि बेदी और बेदी एसोसिएट्स स्वेच्छा से अपनी तरफ से हट गए हैं। पटना एम्स में इसके सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति समाप्त हो गई है। हालांकि, एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में, एम्स पटना ने सहानुभूतिपूर्ण आधार पर उन्हें संस्थान की मौजूदा दो आउटसोर्सिंग एजेंसियों, HITES और CHS के साथ समायोजित करने की व्यवस्था की है। हालांकि, वे वेतन सुरक्षा के हकदार नहीं हैं, जो केवल संस्थान के नियमित कर्मचारियों को दिया जाता है।