गांधी सेतु के समानांतर नए पुल का निर्माण चुनाव से पहले शुरू होगा, 2926 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल की लाइफ लाइन 100 वर्ष होगी
गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले चार लेन पुल का रास्ता साफ हो गया है। इस पुल को बनाने के लिए टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड सहित देश की सात नामी-गिरामी एजेंसियों ने अपनी रुचि दिखलाई थी लेकिन, बाजी एसपी...
गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले चार लेन पुल का रास्ता साफ हो गया है। इस पुल को बनाने के लिए टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड सहित देश की सात नामी-गिरामी एजेंसियों ने अपनी रुचि दिखलाई थी लेकिन, बाजी एसपी सिंगला प्राइवेट लिमिटेड ने मारी है। सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सबसे कम बोली लगाने वाली एजेंसी को पुल बनाने का जिम्मा दिया है। पुल के शिलान्यास की तिथि अभी तय नहीं है। लेकिन पथ निर्माण विभाग ने दावा किया है कि बिहार विधान सभा चुनाव के पहले हर हाल में पुल बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले इस परियोजना की कुल लागत 2926.42 करोड़ है। निविदा के अनुसार निर्माण कार्य की कुल लागत 2411.50 करोड़ है और 1278 दिन यानी 3 साल 6 महीने में निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। 5.63 किलोमीटर लंबे इस पुल के साथ एप्रोच रोड की कुल लंबाई 14.50 किलोमीटर है। पुराने और नए प्रस्तावित पुल के बीच की दूरी 38 मीटर होगी। पुल में कुल 37 पाया बनेंगे। दोनों तरफ के एप्रोच पथ की चौडाई 8 लेन की हो जाएगी जिसमें चार लेन पुराना पुल का तो चार लेन नए पुल का हो जाएगा।
नया पुल बनाने का जिम्मा लेने वाली एजेंसी एसपी सिंगला 10 वर्षों तक इसकी मरम्मत व देखभाल करेगा। वैसे इस पुल का लाइफ लाइन 100 वर्ष का होगा। इसमें 5 बस ठहराव स्थल बनाए जाएंगे। साथ ही 4 व्हीकल अंडरपास होगा। पुल की चौड़ाई यानी वायाडक्ट 1565 मीटर होगी। पूरे पुल व पहुंच पथ पर लाइटिंग की व्यवस्था रहेगी। पुल के लिए 4.39 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है जो कि अधिग्रहण हो चुका है।
इन एजेंसियों ने दिखाई थी दिलचस्पी
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, डीबीएल- एचसीसी संयुक्त उपक्रम, एलएनटी लिमिटेड, गैमन इंजीनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट लिमिटेड, एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, एबीएल-अभ्रासकौन संयुक्त उपक्रम लिमिटेड व एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड।
पुल बनाने के लिए एजेंसी का चयन हो गया। विस चुनाव के पहले इसका निर्माण कार्य शुरू कर लिया जाएगा।
- अमृत लाल मीणा, अपर मुख्य सचिव, पथ निर्माण विभाग