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ठंड, प्रदूषण, कुहासा में बच्चों और बुजुर्गों को रखनी होगी सावधानी

ठंड का मौसम सांस की बीमारी वाले मरीजों के लिए वैसे ही तकलीफदेह है। इसके साथ प्रदूषण और फॉग हो तो यह परेशानी और बढ़ जाती है। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी कष्टकारक होता है। इसके अलावा सावधानी...

पटना। वरीय संवाददाता Mon, 16 Dec 2019 09:33 AM
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ठंड का मौसम सांस की बीमारी वाले मरीजों के लिए वैसे ही तकलीफदेह है। इसके साथ प्रदूषण और फॉग हो तो यह परेशानी और बढ़ जाती है। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी कष्टकारक होता है। इसके अलावा सावधानी नहीं बरतने पर हार्ट, बीपी, अस्थमा और निमोनिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह जानलेवा भी बन जाता है। ठंड और प्रदूषण से सांस की बीमारी से पीड़ितों का नियंत्रण बिगड़ने लगता है। इस समय दवाओं का डोज भी बढ़ाना पड़ता है। इससे बचने के लिए कई तरह की सावधानी अपनानी चाहिए। फॉग के समय मॉर्निंग वॉक पर धूप निकलने के बाद ही जाएं, सांस के मरीज पूरे मौसम में गुनगुना पानी ही पीएं और गुनगुना पानी से ही नहाए। सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से बचना चाहिए तथा खाना खाते समय हाथ को साबुन से जरूर धोना चाहिए।

यह सलाह सांस और छाती रोग विशेषज्ञ व एम्स के पल्मोनरी विभाग के हेड डॉक्टर दीपेंद्र कुमार राय ने हिन्दुस्तान के पाठकों को फोन पर दी। वे डॉक्टर की सलाह कार्यक्रम में रविवार को हिन्दुस्तान कार्यालय में थे। उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में सर्दी, खांसी, एलर्जी, सांस फूलना, वायरल इंफेक्शन जैसी बीमारियां आम होती हैं।    इससे बचने के लिए 83 साल से अधिक आयु के लोगों को फ्लू और निमोकोकल वैक्सीन जरूर लगाना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाव करना चाहिए। खेलते समय बच्चे अक्सर मुंह से सांस लेते हैं। इससे उनको सर्दी-खांसी और श्वास संबंधी बीमारिया हो सकती हैं। उन्हें नाक से सांस लेने की सलाह दें। बार-बार खांसी होना, दवा लेने के बाद भी तीन-चार हफ्ते तक ठीक ना होना, छाती का जकड़ना, गले से सिटी जैसी आवाज और सांस फूलना अस्थमा का लक्षण है। ऐसे में चिकित्सक से जरूर मिलें।

सवाल: कई महीने से दम फूल रहा है। इन्हेलर लेने का भी कोई असर नहीं हो रहा है। (महंत अयोध्या दास, वैशाली)
सलाह: कई बार इन्हेलर ढंग से नहीं लेने पर भी दवा का असर नहीं होता है। इन्हेंलर लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि दवा सीधे श्वास नली में जाए।

सवाल: सोते समय खर्राटा आता है। सांस लेने में काफी कठिनाई होती है। दिन में भी झपकी आती है। (विवेक, हाजीपुर)
सलाह: रात में जोर से खर्राटा आना और दिन में झपकी आना स्लिप एपनिया का लक्षण है। आप किसी डॉक्टर से संपर्क करिए। स्लीप एपनिया की जांच कराएं। इसके लिए एम्स पटना में जांच होता है।

सवाल: हमे तीन-चार वर्ष से थॉयरॉयड है। सीढ़ी चढ़ने अथवा ज्यादा जोर लगनेवाला कार्य करते समय हांफ होने लगता है। छाती में दर्द होने लगता है। (संजय कुमार, वैशाली)
सलाह :छाती में दर्द और थकान हो तो जांच करानी चाहिए। यह हार्ट की भी बीमारी हो सकती है। एंजाइटी के कारण भी दर्द हो सकता है। एक्सरे कराकर चिकित्सक से मिलकर सलाह लें।

सवाल: पिछले छह-सात महीने से गैस की परेशानी है। छाती के बीच में दर्द होता है। (पवन कुमार सिन्हा, मुजफ्फरपुर)
सलाह : आपको सामान्य गैस्टिक का लक्षण लगता है। इसके लिए आप रैबलेट 20 एमजी की रोज एक गोली सुबह खाली पेट लें। इसके अलावा बाहर का तेल-मसालावाला खाना खाने से बचें।

सवाल:  11 महीने से छाती के बीच में दर्द रहता है। सांस लेने में परेशानी होती है। गैस की दवा खाते हैं। कई बार जांच भी करा चुके हैं, कुछ नहीं निकला। (राकेश कुमार, मुजफ्फरपुर)
सलाह :  जब ईसीजी और अन्य जांच में कोई बीमारी नहीं निकला तो यह सामान्य मांसपेशी ओर हड्डी का दर्द है। कैल्शियम और विटामिन डी के टैबलेट का सेवन लगातार 2-3 महीना तक करें। दूध का नियमित सेवन करें।  

सवाल:  सीने के दोनों बगलों में भी दर्द होता है। शूगर, बीपी और हार्ट का जांच हुआ। शुगर और बीपी निकला लेकिन हाअर् की कोई बीमारी नहीं निकली। छाती भी भारी-भारी रहता है। (अब्बास अली, गोपालगंज, फुलवरिया)
सलाह :  एक बार टेड मिल टेस्ट (टीएमटी) जरूर कराएं। जब वह नॉर्मल रहेगा तो चिंता की कोई बात नहीं है। अगर उस टेस्ट में कोई चिंता वाली रिपोर्ट मिले तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

सवाल: सांस लेने के बाद उसे छोड़ते समय सिटी जैसी आवाज निकलती है। (अशोक कुमार साह, राजनगर, मधुबनी)
सलाह : सांस छोड़ते समय आवाज आती है तो इसकी जांच करानी चाहिए। इसके लिए स्पाइरोमेटरी टेस्ट करानी चाहिए। यह टेस्ट एम्स पटना में भी होता है। जांच के बाद ही दवा लेनी चाहिए।  

सवाल: खाना खाने के बाद कफ निकलता है। ऐसी स्थिति पिछले तीन-चार साल से है।  (अविनाश कुमार, पुनपुन)
सलाह: एलर्जी अथवा गैस के कारण ऐसा होता है। एलर्जी के लिए मोंटेग्ना एल टैबलेट 20 दिन तक एक गोली रोज तथा गैस के लिए रैनटेक 150 एमजी 15 दिनों तक सुबह-शाम लें। इसके बाद भी समस्या रहती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।

सवाल :  खाने के बाद शुगर 200 से ज्यादा हो जाता है। कंट्रोल में नहीं रहता है(बिनय कुमार सिंह, बिहियां)
सलाह :  खाली पेट अगर शुगर 80-85 रहता है तो यह ज्यादा चिंता की बात नहीं है। खाने के बाद 200 से अधिक रहने का मतलब है कि खान-पान में आपका कंट्रोल नहीं है। खाना खाने में भी संयम बरतें। अनाज कम और सब्जी, दाल और सलाद की मात्रा बढ़ाएं।

सवाल:  छाती के बाईं ओर जलन होती है। सांस लेने में भी कभी-कभी परेशाननी होती है।  (बीके गुप्ता, मोतीहारी)
सलाह: गैस और मसालेदार खाने के कारण ऐसा होता है। अत्यधिक तेल व मसालेदार खाना खाने से परहेज करें।

सवाल: छाती में 2-3 मिनट तक काफी तेज धड़कन होती है। धड़कन कभी-कभी अचानक बढ़ जाती है। ईसीजी, ईको, टीएमटी टेस्ट भी करा चुके हैं। कुछ नहीं निकला। (सुनयना देवी, एजी कॉलोनी, पटना)
सलाह: आपको हार्ट की बीमारी नहीं है। कई बार डिप्रेशन के कारण ऐसा होता है। चिंतामुक्त रहने का प्रयास करें। सकारात्मक सोंचें।

सवाल: छाती के बाई ओर तेज दर्द होती है। सांस लेने में घरघराहट होती है। रात में कफ जमा हो जाता है।
सलाह: छाती का एक्सरे कराकर रिपोर्ट के साथ डॉक्टर से मिलें। अगर सिर्फ हड्डी में दर्द हो रहा है तो यह विटामिन और कैल्शियम की कमी के कारण होता है।

सवाल: एक साल से खांसी हो रही है। नाक भी बंद हो जाता है। एलर्जी केारण नाक भरा रहता है।
सलाह: आपको नसल स्प्रे से आराम मिलेगा। एलर्जी एससे खत्म नहीं होगी लेकिन आपको आराम मिलेगा। एवामिस स्प्रे का प्रयोग रात में सोने से पहले नाक के दोनों छिद्रों में करें। मौसम में सावाधानी बरतनी होगी।

 महत्वपूर्ण सलाह :
- बच्चों और बुजुर्गों को ठंढ और प्रदूषण से बचाकर रखें। उन्हें सुबह में घर  से बाहर नहीं निकलने दें।
- जाड़े के शुरुआत में अथवा अभी भी 65 साल से अधिक आयु के लोगों को फ्लू और निमोकल का वैक्सीन जरूर दिलाएं। अस्थमा पीड़ित 55 साल के भी हों तो यह वैक्सीन जरूर लें।
- बीड़ी-सिगरेट सांस संबंधी बीमारियों को और बढ़ावा देती हैं।इनका सेवन ना करें।
- बाहर का खाना, फास्ट फूड, पिज्जा-चाउमिन आदि खाने सांस संबंधी बीमारियों को और बढ़ाते हैं। बच्चों को घर का ताजा बना खाना दें।
- फॉग के समय सुबह में मॉर्निंग वाक ना करें। धूप निकलने के बाद ही घर से निकले।
- अस्थमा, हर्ट और बीपी के मरीज अपनी दवाएं अनिवार्यरूप से नियमित लें।
- घर से बाहर निकलते समय अच्छी क्वालिटी का मास्क पहनकर निकलें।

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