Notification Icon
Hindi Newsबिहार न्यूज़chaitra navratri 2020 Mother Chandraghanta is worshiped on the third day of Navratri

चैत्र नवरात्रि 2020: सौभाग्य एवं वैभव प्रदान करती हैं मां चंद्रघंटा

नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंध बहुत प्रिय है। उनका वाहर्न ंसह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी...

Malay Ojha पटना, Thu, 26 March 2020 09:18 AM
share Share

नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंध बहुत प्रिय है। उनका वाहर्न ंसह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। देवी चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं। चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है। देवी चंद्रघंटा की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे वे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। यह देवी कल्याणकारी हैं। कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सदगति देने वाला है। 

मनोहारी है मां चंद्रघंटा का स्वरूप  
देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसलिये इन्हें देवी चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैंर्। ंसह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है।  

पूजन का मंत्र 
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

भूरे एवं पीले रंग के वस्त्र धारण करें 
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहर्न ंसह बहुत प्रिय है और इसलिए सुनहरे रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।

ऐसे करें मां की पूजा...
मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें। मां को सुनहरे या भूरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें। केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं। मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें। पंचामृत, चीनी व मिसरी का भोग लगाएं। मां का आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें