ऐसे पढ़ेगा बिहार ? BPSC की हेडमास्टर परीक्षा में 97 परसेंट शिक्षक फेल, 94 फीसदी पोस्ट खाली ही रह गए
बिहार की शिक्षकों की हालत कैसी है, इसकी एक बानगी हेडमास्टर परीक्षा के रिजल्ट में दिख गई। बीपीएससी के हेडमास्टर एग्जाम में 97 फीसदी शिक्षक फेल हो गए। इस कारण महज 6 फीसदी पोस्ट ही भर पाए।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बच्चों का भविष्य संवार रहे शिक्षक कैसे हैं, इसकी एक बानगी बिहार लोक सेवा आयोग की हेडमास्टर परीक्षा के नतीजों से मिल गया है। गुरुवार को बीपीएससी ने पहली बार आयोजित हेडमास्टर परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जिसमें 97 परसेंट टीचर फेल हो गए। मात्र 3.22 परसेंट शिक्षक ही बीपीएससी की यह परीक्षा पास कर पाए जिनको अब सरकारी स्कूलों में हेडमास्टर के पद पर तैनात किया जाएगा। दुर्भाग्य देखिए कि बीपीएससी की इस परीक्षा से भरे जाने वाले हेडमास्टर के 94 परसेंट पद खाली रह गए क्योंकि परीक्षा में बैठे टीचर क्वालीफाई ही नहीं कर सके।
बीपीएससी ने प्रधानाध्यापकों के कुल 6421 पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी लेकिन परीक्षा में मात्र 421 शिक्षक ही प्रतियोगी परीक्षा पास कर सके। जाहिर तौर पर 6000 पद खाली रह गए और इनको भरने के लिए या तो दोबारा परीक्षा लेनी होगी या फिर कोई और रास्ता सरकार को चुनना होगा। जो 421 पास किए हैं उनमें 415 अनारक्षित यानी बगैर रिजर्वेशन वाले हैं। खास बात ये है कि अनरिजर्व कैटेगरी के 415 चयनित शिक्षकों में सबसे ज्यादा 140 ओबीसी, 103 ईबीसी और 99 सामान्य जाति के हैं। इस कैटेगरी का कट ऑफ मार्क्स 48 था। मजेदार बात और भी है। 87 शिक्षकों का पर्चा ही कैंसिल हो गया क्योंकि उन्होंने प्रश्न पत्र सीरीज ही दर्ज नहीं किया। 12547 कैंडिडेट को न्यूनतम योग्यता के नंबर नहीं मिल सके।
बिहार में ज्यादातर स्कूल कई साल से बगैर हेडमास्टर के चल रहे हैं। स्कूलों को किसी शिक्षक को प्रभारी बनाकर चलाया जा रहा है। राज्य सरकार ने पिछले साल तय किया था कि प्राइमरी स्कूल में हेड टीचर और हाई स्कूल में हेडमास्टर का एक अलग कैडर बनाकर प्रतियोगी परीक्षा के जरिए उनकी बहाली की जाएगी। सरकार की मंशा थी कि इससे शिक्षा का स्तर उठेगा और स्कूल प्रशासन बेहतर होगा। सरकार चाहती थी कि मेधावी शिक्षक इस रास्ते आगे बढ़ें। लेकिन हेडमास्टर परीक्षा का रिजल्ट बिहार की पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) जैसा ही निराशाजनक रहा। बिहार में 2011 में पहली बार टीईटी आयोजित की गई थी जिसमें मात्र 2.81 परसेंट कैंडिडेट पास हो सके थे। महिलाओं का पास परसेंट और भी कम 1.57 फीसदी रहा था।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे ने कहा कि वो सरकार से कट ऑफ मार्क्स कम करने का आग्रह करेंगे ताकि और शिक्षक पास कर सकें नहीं तो इस परीक्षा को आयोजित करने का मकसद ही नाकाम हो जाएगा। पांडे ने कहा कि परीक्षा में सिलेबस से बाहर के सवाल पूछे गए थे। उन्होंने कहा कि 2013 में भी हेडमास्टर पद के लिए इस तरह की एक परीक्षा हुई थी लेकिन इस बार का पैटर्न बिल्कुल अलग था और शिक्षकों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं मिला।