एक सीट, एक फीट; गुजरात के बाद बिहार में सरदार पटेल की प्रतिमा पर बीजेपी का क्या है गेमप्लान?
बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू के कोर वोट बैंक लव-कुश को तोड़ने में लगी है। पहले कोइरी कुशवाहा जाति के सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। फिर उपेंद्र कुशवाहा को भी एनडीए में बुलाया गया।
बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू के कोर वोट बैंक लव-कुश को तोड़ने में जुटी भाजपा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा को सामने रखकर एक गेमप्लान बनाया है। गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा किनारे सरदार पटेल की 597 फीट (182 मीटर) ऊंची प्रतिमा लगवाई है जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। बिहार में बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पटेल जयंती पर मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिला नालंदा में ऐलान किया कि 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जीती तो पटेल की 243 फीट ऊंची प्रतिमा राज्य सरकार बनवाएगी। बिहार में विधायकों के सीट की कुल संख्या 243 के हिसाब से देखें तो सम्राट चौधरी ने एक सीट एक फीट के हिसाब से 243 फीट ऊंची प्रतिमा का वादा किया है।
कांग्रेस नेता और भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री व गृहमंत्री रहे सरदार पटेल के काम को केंद्र सरकार बनने के बाद से भाजपा ने आक्रामक तरीके से सामने लाकर भुनाने की कोशिश की है। पटेल जयंती पर सम्राट चौधरी ने कहा कि अगर पटेल प्रधानमंत्री होते तो ना विभाजना होता, ना ही पाकिस्तान और बांग्लादेश बनता। उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री नीतीश को लव-कुश की बात होने से पेट में दर्द होने लगता है। चौधरी ने कहा- "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटेल की याद में गुजरात में सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाई है। मैं वादा करता हूं कि 2025 में अगर बीजेपी की सरकार बनी तो नालंदा जिले में पटेल की 243 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी।"
कुर्मी बहुल नालंदा में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी का यह वादा बीजेपी के उस गेमप्लान का हिस्सा है जिसके तहत वो नीतीश से कुर्मी और धानुक वोट को अपनी तरफ खींचना चाहती है। नीतीश को चुनाव में लव-कुश समाज का नेता माना जाता रहा है जिसमें कुर्मी, कोइरी और धानुक जातियां गिनी जाती हैं। जाति गणना में कुशवाहा की आबादी 4.21 प्रतिशत, कुर्मी की आबादी 2.87 प्रतिशत और धानुक की आबादी 2.13 प्रतिशत निकली है। कुशवाहा (कोइरी) नेता सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष और आरएलजेडी के नेता उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में लाकर बीजेपी को लगता है कि उसने नीतीश के कुशवाहा वोट बैंक में तगड़ी चोट लगा दी है। निशाने पर है कुर्मी और धानुक वोट।
बीजेपी की रणनीति है कि कुर्मी और धानुक वोटर को भी तोड़कर नीतीश को पूरी तरह कमजोर किया जाए। इसी मकसद से कभी नीतीश के नंबर 2 रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को बीजेपी में लाया गया। नीतीश और आरसीपी सिंह नालंदा के हैं और कुर्मी जाति से आते हैं। आरसीपी सिंह को लाने से बीजेपी ने नीतीश को जितना नुकसान पहुंचने की उम्मीद की थी, वो जमीन पर नजर नहीं आ रही है। इसलिए नालंदा में सम्राट ने पटेल की प्रतिमा का वादा करके कुर्मी समुदाय में जातीय गौरव जगाने की कोशिश की है।
जेडीयू में धानुक जाति के सांसद-विधायक-मंत्री तो हैं लेकिन उनमें कोई इस कद का नेता नहीं है जिसे बिहार के धानुक अपना नेता मानते हों और उसके इशारे पर वोट मूवमेंट हो सके। फिलहाल इसके नेता नीतीश ही हैं। बीजेपी को लगता है कि धानुक जाति के वोट का पूरा मैदान इस समय खाली है जो जाति गणना में अपनी गिनती कम होने का आरोप लगा रही है। बीजेपी इस आरोप को हवा देकर धानुक को भी नीतीश के खिलाफ भड़काने में जुटी है। बीजेपी की योजना है कि नीतीश को इतना कमजोर कर दिया जाए कि महागठबंधन या इंडिया गठबंधन के पास बिहार में लालू यादव की आरजेडी के वोट बैंक के अलावा कुछ ना मिले।