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बिहार: कांग्रेस में जोर पकड़ रही है हार की समीक्षा और जवाबदेही तय करने की मांग, मगर यहां फंसा है पेच

बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर हार के कारणों की समीक्षा और जिम्मेदारी तय करने की मांग जोर पकड़ रही है। प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले कई...

Shankar Pandit विशेष संवाददाता, पटनाFri, 13 Nov 2020 05:59 AM
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बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर हार के कारणों की समीक्षा और जिम्मेदारी तय करने की मांग जोर पकड़ रही है। प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले कई नेता सार्वजनिक तौर पर आत्म चिंतन की वकालत कर रहे हैं। पर इसकी उम्मीद कम है कि पार्टी कोई सबक लेगी।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार में पार्टी लंबे समय से सत्ता से बाहर है। संगठन की स्थिति से भी सभी वाकिफ हैं, ऐसे में हार के कारणों पर समिति के गठन की संभावना कम है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार में समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे रणदीप सुरजेवाला एक रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप सकते हैं।

पार्टी नेता तारिक अनवर ने कांग्रेस को हार पर आत्मचिंतन करने की सलाह दी है। कांग्रेस के कई दूसरे नेता भी मानते हैं कि प्रदेश में हार की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। जब तक जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक स्थिति में बदलाव नहीं आएगा। इसके साथ प्रदेश नेता चुनाव प्रचार में अलग-थलग किए जाने से भी नाराज हैं।

बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा कहते हैं कि हार की समीक्षा कर जवाबदेही तय होनी चाहिए। पर साथ ही वह यह भी जोड़ते हैं कि यह समीक्षा केंद्रीय नेताओं की समिति को करनी चाहिए। क्योंकि, जो व्यक्ति खुद जिम्मेदार है, वह समीक्षा कैसे कर सकता है। पार्टी को इसका भी ध्यान रखना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद की राय इससे अलग है। इस बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में पार्टी का प्रदर्शन किसी से छुपा नहीं है। उस हार की कोई समीक्षा नहीं हुई। इसलिए, इस हार की भी कोई समीक्षा नहीं होगी। हालांकि, वह मानते हैं कि समीक्षा हमेशा अच्छी रहती है।

पार्टी के कई नेता मानते हैं कि बिहार में हार की वजह किसी से छुपी नहीं है। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव रणनीति तक, पार्टी ने सभी जगह गलती की है। इस हार से यह बात भी साफ हो गई है कि प्रदेश नेताओं को दरकिनार कर केंद्रीय नेता चुनाव नहीं जिता सकते। इसलिए, पार्टी को हार से सबक लेते हुए बदलाव करना चाहिए।

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