बिहार में वाम दलों की सीटों के साथ पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ा
वाम दलों की सीटों के बढ़ने से पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व इस बार विधान सभा में बढ़ जाएगा। तीनों वाम दलों ने इस बार 16 सीटें जीती हैं। इसमें सबसे अधिक 12 उम्मीदवार माले के जीते हैं और सीपीआई तथा सीपीएम...
वाम दलों की सीटों के बढ़ने से पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व इस बार विधान सभा में बढ़ जाएगा। तीनों वाम दलों ने इस बार 16 सीटें जीती हैं। इसमें सबसे अधिक 12 उम्मीदवार माले के जीते हैं और सीपीआई तथा सीपीएम के दो-दो उम्मीदवार जीते हैं। इसके पहले 2015 के चुनाव में केवल माले के तीन उम्मीदवार ही विधानसभा तक पहुंचे थे।
इस बार चुनाव में तीनों वाम दलों को जिन सीटों पर जीत मिली है उनमें सबसे अधिक दस उम्मीदवार पिछड़ी जाति के हैं। जीतने वालों में दलित उम्मीदवारों की संख्या चार है। अल्पसंख्यक वर्ग से मात्र एक उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाये हैं। इसी तरह सवर्ण जाति में एक मात्र भूमिहार उम्मीदवार सीपीआई से जीत सके हैं।
वाम दलों में पिछड़ा वर्ग में सबसे अधिक कुशवाहा जाति के उम्मीदवारों को जीत मिली है। इस वर्ग के चार उम्मीदवार माले से और एक सीपीएम से जीते हैं। यादव जाति के भी दो उम्मीदवार माले से और एक सीपीएम से चुनाव जीते हैं। वैश्य समाज के दो उम्मीदवार माले से जीते हैं। अल्पसंख्यक के एकमात्र उम्मीदवार भी माले से ही जीते हैं। सवर्ण जाति में एकमात्र भूमिहार उम्मीदवार सीपीआई से जीते हैं।