Hindi Newsबिहार न्यूज़Ayushman Yojna patients stuck at Patna AIIIMS due to four days waiting in discharge despite doctors advice to go home

एम्स पटना में मरीज के डिस्चार्ज में चार दिन की वेटिंग, घर लौटने को तरस रहे आयुष्मान योजना के पेशेंट

एम्स पटना में भर्ती आयुष्मान योजना के मरीज डॉक्टर द्वारा घर जाने के लिए कहने के बाद भी अस्पताल से नहीं निकल पा रहे हैं क्योंकि डिस्चार्ज में चार दिन की वेटिंग चल रही है। मरीज के साथ परिजन भी अटके हैं।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टाइम्स, रुचिर कुमार, पटनाMon, 8 July 2024 10:06 AM
share Share

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना के तहत भर्ती मरीजों को डॉक्टरों के कहने के बाद भी छुट्टी नहीं मिल पा रही है क्योंकि डिस्चार्ज में चार दिन की वेटिंग चल रही है। इस कारण बड़ी संख्या में इस योजना के मरीज अस्पताल में फंसे हैं और उनके परिजन पटना में अटके पड़े हैं। बेड खाली होती तो दूसरे मरीज के काम आती लेकिन सिस्टम भारी है। खबर लिखने तक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के 93 मरीज 3 जुलाई से डिस्चार्ज के इंतजार में हैं। तीमारदार रोज उम्मीद से काउंटर पर लाइन में लगते हैं कि आज छुट्टी मिलेगी और घर लौट जाएंगे लेकिन फिर निराशा के साथ वार्ड में मरीज के पास लौट जाते हैं। इस योजना के तहत गरीब लोगों को 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त मिलता है।

भागलपुर के 4 साल के बच्चे आजम का ल्यूकेमिया का इलाज चल रहा है। आजम के पिता आजाद मजदूर हैं। आजाद चार दिन से आईपीडी भवन में बने बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी विभाग से ओपीडी भवन में बने पीएम जन आरोग्य योजना के बिलिंग और रजिस्ट्रेशन काउंटर के बीच दौड़ रहे हैं। काउंटर पर घंटों रहने के बावजूद आजाद को अस्पताल से आजादी नहीं मिल पा रही है। आजाद की पत्नी खातून बताती हैं कि 11 दिन अस्पताल में भर्ती रखने के बाद डॉक्टरों ने 3 जुलाई को आजम को घर ले जाने कह दिया था। तब से आजाद हर दिन डिस्चार्ज काउंटर पर घंटों लाइन में लगे रहते हैं लेकिन छुट्टी नहीं मिल पा रही है।

रविवार को आजाद रात 2 बजे से ही काउंटर पर लाइन में लग गया कि सुबह जब काम चालू हो तो उसका नंबर आ जाएगा और वो भागलपुर लौट पाएगा लेकिन रविवार को भी उनके बेटे को छुट्टी नहीं मिली। वो कहती हैं कि काउंटर पर मौजूद स्टाफ ने आजाद से कहा कि जब तक बुलाया ना जाए, काउंटर के सामने खड़े रहने का कोई फायदा नहीं है। जब फोन करके बुलाया जाए, तब आना। खातून को समझ नहीं आ रहा कि वो बेड नंबर 1 पर भर्ती अपने बेटे आजम को लेकर कब भागलपुर लौट पाएगी।

सहरसा के मजदूर मोहम्मद मुख्तार का बेटा अपने 6 साल के बेटे मोहम्मद गुलशाद का इलाज कराने आए थे। 5 जुलाई को डॉक्टर ने घर जाने कह दिया था लेकिन उन्हें रविवार (7 जुलाई) को दोपहर 2 बजे डिस्चार्ज मिला। गुलशाद की मां सोनबरी खातून कहती हैं कि उनकी तीन बेटियां सहरसा में हैं जो फोन करके रोती थीं और पूछती थीं कि कब लौटोगे लेकिन हमारे पास कोई जवाब ही नहीं था। सबकी किस्मत गुलशाद की तरह नहीं है कि दो दिन में छुट्टी मिल जाए।

पीएम जन आरोग्य योजना के लाभार्थी संजीव भगत, मीरा देवी और लालबाबू सिंह 4 जुलाई से ही डिस्चार्ज के लिए भटक रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस योजना के तहत भर्ती 50 मरीजों को 4 जुलाई को डॉक्टर ने घर जाने कह दिया लेकिन 38 को ही डिस्चार्ज मिला। 5 जुलाई को 55 डिस्चार्ज टोकन जारी हुए लेकिन 27 को छुट्टी मिल पाई। 6 जुलाई को 32 टोकन पर 10 और 7 जुलाई को 32 टोकन पर 1 मरीज डिस्चार्ज हो सका। इस तरह 4 दिन में 93 मरीज जमा हो गए हैं जिनके अब तक घर पहुंच जाना चाहिए था लेकिन छुट्टी की प्रक्रिया पूरी होने के इंतजार में वो अस्पताल के बेड पर पड़े हैं।

डिस्चार्ज के काम से जुड़े लोगों के मुताबिक इंटरनेट स्पीड की उछल-कूद और डिस्चार्ज के पेपर हैंडल करने में होशियार लोगों की कमी के कारण वेटिंग लिस्ट लंबी हो गई है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के मरीजों की छुट्टी से पहले सारी रिपोर्ट, फोटो और कई पेपर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की साइट पर अपलोड होते हैं। एक मरीज के ये सारे पेपर अपलोड करने में औसतन इस समय 20-30 मिनट लग रहा है। इस वजह से पूरे दिन में उतने मरीज डिस्चार्ज नहीं हो पाते जितनों को डॉक्टर घर जाने का टोकन जारी कर देते हैं।

आयुष्मान योजना के मरीजों के डिस्चार्ज में देरी पर पटना एम्स प्रशासन से संपर्क करने पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला। एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक (ईडी) डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल ने मैसेज में कहा कि वो इस समय एम्स गोरखपुर के कुछ जरूरी काम में बिजी हैं इसलिए इस पर कुछ नहीं बता सकेंगे। एम्स पटना के कार्यकारी अधीक्षक डॉक्टर त्रिभुवन सिंह ने प्रोटोकॉल का हवाला देकर जवाब नहीं दिया और पीआरओ से संपर्क करने कह दिया। हिन्दुस्तान टाइम्स ने रविवार को दोपहर 2.53 बजे एम्स पटना को इस संबंध में मेल पर सवाल भेजा है जिसका जवाब रविवार की रात 8 बजे तक नहीं आया है जब ये खबर लिखी गई।

अगला लेखऐप पर पढ़ें