बिहार: छपरा जंक्शन पर सियालदह एक्सप्रेस से 50 नरमुंड व कंकाल बरामद
छपरा जंक्शन पर जीआरपी ने डाउन बलिया-सियालदह एक्सप्रेस से 50 नरमुंड व कंकाल के साथ तस्कर को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। नरकंकाल को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से लाया जा रहा था और उसे भूटान के रास्ते...
छपरा जंक्शन पर जीआरपी ने डाउन बलिया-सियालदह एक्सप्रेस से 50 नरमुंड व कंकाल के साथ तस्कर को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। नरकंकाल को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से लाया जा रहा था और उसे भूटान के रास्ते चीन ले जाने की योजना थी, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया।
इस मामले में गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है और उसके पास से मिले मोबाइल का कॉल डिटेल खंगाला जा रहा है। रेल डीएसपी मोहम्मद तनवीर ने मंगलवार की शाम को छपरा जंक्शन रेल थाना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बरामद नरकंकाल व मुंडों का इस्तेमाल तांत्रिक करते थे और ऊंचे दामों पर बेचा जाता। गिरफ्तार तस्कर के पास से दो पहचान पत्र, विभिन्न बैंकों के एटीएम, 2450 रुपये, भूटानी मूद्रा व अन्य सामान बरामद किये गये हैं। गिरफ्तार तस्कर संजय प्रसाद के पास से मिले पहचान पत्र पर बिहार के पू. चम्पारण जिले के पहाड़पुर का पता दर्ज है, जबकि दूसरे पहचान पत्र पर न्यू जलपाईगुड़ी बंगाल का पता है। उन्होंने बताया कि बरामद 50 नरकंकाल में 16 खोपड़ियां व शरीर के 34 अलग-अलग अंगों के कंकाल के हिस्से हैं।
शराब तस्करी की जांच के दौरान मिली कामयाबी
रेल डीएसपी ने कहा कि यूपी से शराब लाने वाले तस्करों के खिलाफ जांच अभियान चलाया जा रहा था। इस दौरान जीआरपी को यह सफलता हाथ लगी। उन्होंने बताया कि छपरा जंक्शन पर जब ट्रेन खड़ी थी, उसी समय पूछताछ काउंटर के सामने ट्रेन के स्लीपर कोच से बैग बरामद किया गया। इसके बाद एक टीम का गठन किया गया। टीम में थानाध्यक्ष सुमन प्रसाद सिंह, दारोगा लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पीटीसी वाहिद अली, सुनिल कुमार शामिल थे। टीम ने उत्तर प्रदेश के बलिया जाकर इसकी जांच की है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क
डीएसपी ने बताया कि नरकंकाल की तस्करी का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। गिरफ्तार तस्कर से पूछताछ के बाद कई अहम जानकारी मिलेगी। इस धंधे में बड़े स्तर के लोग भी जुड़े हुये हैं। बरामद मोबाइल के सीडीआर से भी जानकारी मिलेगी।
यौन शक्ति बढ़ाने की दवा में उपयोग
नरकंकालों का उपयोग यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवाओं के बनाने में किया जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि नरकंकालों का चूरन बनाकर उससे दवाएं बनायी जाती हैं। बड़े शहरों में दवाएं महंगी कीमत पर बिकती हैं।