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मीठी जुबान उर्दू किसी एक समुदाय की जुबान नहीं

सीवान के एमएम कॉलोनी स्थित होटल में उर्दू एक्शन कमेटी की बैठक हुई, जिसमें उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में आ रही समस्याओं पर चर्चा की गई। बैठक में नए पदाधिकारियों का चुनाव हुआ और उर्दू को बढ़ावा देने...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 10 Feb 2025 04:16 PM
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 मीठी जुबान उर्दू किसी एक समुदाय की जुबान नहीं

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। शहर के एमएम कॉलोनी स्थित होटल में उर्दू एक्शन कमेटी की बैठक रविवार को हुई। बैठक में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में आ रही समस्याओं व उनके समाधान पर चर्चा-परिचर्चा हुई, साथ ही उर्दू एक्शन कमेटी की जिला कमिटी का विस्तार किया गया। इस क्रम में सर्वसम्मति से उर्दू एक्शन कमिटी यूनिट सीवान के अध्यक्ष फारुक सिवानी, उपाध्यक्ष प्रो. जया कुतबी, जेनरल सेक्रेटरी प्रो. महमूद हसन अंसारी, ज्वाइंट सेक्रेटरी जमशेद अली, कोषाअध्यक्ष डॉ. अली असगर सिवानी व उप कोषाध्यक्ष अधिवक्ता अरशद सिवानी को चुना गया। सदस्य के रूप में प्रो. डॉ. हारुन शैलेन्द्र, मो. जुबैर आसिम, मास्टर अनवर हुसैन राजन, डॉ. एफ ए आज़ाद, लैला खानम, समरून निशा, सफीर मखदुमी, डॉ. इरशाद अली, युनूस अंसारी तेतरिया, अधिवक्ता मसरूर आलम व ज़ीनत प्रवीन जोया आदि बनाए गए। कमिटी विस्तार के बाद बैठक को संबोधित करते हुए अध्यक्ष फारुक सिवानी ने कहा कि मीठी जुबान उर्दू किसी एक समुदाय की जुबान नहीं है। सभी लोग उर्दू बोलते है। एस एम अशरफ फरीद उर्दू की तरक्की के लिए उर्दू एक्शन कमिटी का गठन कर पूरे बिहार में उर्दू की तरक्की के लिए काम कर रहे जो काबिले तारीफ है। जेनरल सेक्रेटरी प्रो. महमूद हसन अंसारी ने कहा कि उर्दू एक्शन कमिटी का शहर के बाद सभी प्रखंडों में विस्तार किया जाएगा, साथ ही उर्दू लिखने बोलने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। प्रो. हारुन शैलेन्द्र ने कहा कि उर्दू एक्शन कमिटी सबसे पहले एक तहरीक का शक्ल दें और यह तहरीक सबसे पहले हम अपने घर से शुरू करें। आज सही मायने में उर्दू अपनो से ही हारी है। प्रो. जया कुतबी ने कहा कि उर्दू के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। जमशेद अली ने कहा कि उर्दू गंगा जमुनी तहजीब है, एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में उर्दू दसवें स्थान पर है। हाफिज मुहम्मद जुबैर आसिम ने कहा कि आज उर्दू को विदेशी भाषा साबित किया जा रहा है। एक खास वर्ग के लिए उर्दू को अलग-थलग किया जा रहा, जो पूरी तरह गलत व द्वेषपूर्ण है। उर्दू के कई गैर-मुस्लिम कवि व लेखक इसके उदाहरण हैं। डॉ. अली असगर सीवानी ने कहा कि उर्दू भाषा की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा संकलित महत्वपूर्ण भाषाओं की सूची में उर्दू भी शामिल है। अरशद सिवानी ने उर्दू के प्रचार-प्रसार में आने वाली कठिनाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि आज खुद उर्दू पढ़ना, लिखना व बोलना छोड़ चुके हैं।

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