सत्तुआन पर दिन में खाए सत्तू-चटनी, बसिऔरा के लिए घरों में बनी पूड़ी-खीर
सीवान, निज प्रतिनिधि। के लिए सम्मानित किया गया। टीचर ऑफ बिहार द चेंज मेकर्स के तत्वाधान में पटना के ऐन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्ट्डी

सीवान, निज प्रतिनिधि। मेष संक्रांति के मौके सतुआन का त्योहार पारंपरिक रूप से धूमधाम के साथ्थ सोमवार को मनाया गया। इस मौके पर पूजा-अर्चना के लिए लोगों की भीड़ नदी व तालाब से लेकर मंदिरों तक में उमड़ पड़ी। एक तो सतुआन व उपर से महादेव का दिन सोमवार, ऐसे में लोग बाबा को जल चढ़ा दान-पुण्य कर रहे थे। जिले के बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर मेंहदार, गुठनी प्रखंड के सोहगरा स्थित बाबा हंसनाथ मंदिर व पंचमुखी शिव मंदिर महादेवा में महादेव पर जल अर्पित करने के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ लगने लगी थी। वहीं, अन्य दिनों में भक्तों की भीड़ से गुलजार रहने वाला सोहगरा धाम सतुआन के मौके पर और अधिक गुलजार हो उठा। मंदिर परिसर से लेकर गर्भगृह तक भक्तों की आवाजाही बनी हुई थी। हर-हर महादेव के जयघोष से बाबा हंसनाथ मंदिर गूंज रहा था। हाथ में लोटिया लिए बाबा के भक्त हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बेलपत्र, अकवन का फूल, शमी पत्ता आदि के साथ महादेव को जल चढ़ा रहे थे। बेलपत्र, धतूरा का फूल, कनैल का फूल समेत फल दुकानों पर काफी भीड़ देखी गई। नदी-तालाब में स्नान-ध्यान करने के बाद लोगों ने पारंपरिक रूप से चना, जौ व मक्की का सत्तू, आम का टिकोला, पंखा, सुराही, घड़ा, फल में बट्टी आदि का दान कर सत्तू का सेवन किया। घरों में सतुआन के मौके पर रात्रि में महिलाओं ने बसिऔरा के लिए भोजन तैयार किया। बसिऔरा भोजन के लिए चना का दाल भरकर पूड़ी, खीर, नई सब्जी, मिट्टी के बर्तन में चावल-दाल आदि पकवान बनाए गए। महिलाओं ने बताया कि सनातन संस्कृति में सतुआन में दिन में सत्तू-चटनी व प्याज जबकि अगले दिन बसिऔरा भोजन खाने का रिवाज है। इधर, सतुआन को लेकर बाजार का रुख सोमवार को काफी तेज दिखा। विशेषकर सत्तू दुकानों में अधिक भीड़ देखी गई। शहर के कचहरी परिसर, डीएवी मोड़, रजिस्ट्री कचहरी रोड समेत अन्य जगहों पर सत्तू दुकान पर सत्तू आदि खरीदने के लिए लोग पूरे दिन पहुंचते रहे। छूने व दान करने के लिए चना व जौ के सत्तू के अलावा खाने के लिए मक्का, चना व जौ के सत्तू के साथ लोग चटनी के आम का टिकोला, ईमली, धनिया व पुदिना का पत्ता, नींबू-प्याज खरीद रहे थे। सत्तू के भाव के साथ ही आम के टिकोला का भाव काफी तेज देखा गया। चटनी के लिए लोग आम के टिकोला के अलावा पुदिना व धनिया का पत्ता भी खरीद रहे थे। लोगों का कहना था कि सत्तू का भाव अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक था। चना, मक्का व जौ का सत्तू मिलाकर तीन सौ रुपये किलो बिक रहा था। मिट्टी के घड़ा व सुराही के साथ ही फलों में बट्टी व पंखा का भाव भी काफी तेज रहा। कुल मिलाकर सनातन संस्कृति का प्रमुख पर्व पारंपरिक रूप से विधि-विधान के साथ शहर समेत पूरे जिले में सोमवार को मनाया गया।
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