सीवान : दरौली में पंडित निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा-रामचरित मानस मानव चरित्र निर्माण की है प्रयोगशाला
प्रखंड मुख्यालय के केशर स्कूल लाली मन्दिर के परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीरामचरित मानस सम्मेलन के छठवें दिन बुधवार को महाराष्ट्र वाशिम से पधारे मानस महारथी पं. निर्मल कुमार शुक्ल ने भगवान श्रीराम...
प्रखंड मुख्यालय के केशर स्कूल लाली मन्दिर के परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीरामचरित मानस सम्मेलन के छठवें दिन बुधवार को महाराष्ट्र वाशिम से पधारे मानस महारथी पं. निर्मल कुमार शुक्ल ने भगवान श्रीराम की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि केवट व वनवासियों का जितना गौरव सम्मान भगवान राम ने किया आज तक के किसी राजा महाराजा ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। चित्रकूट की वनस्थली में नग्न व अर्द्धनग्न बच्चों के साथ राम ऐसा व्यवहार करते हैं कि वे धन्य हो जाते हैं। अनपढ़ भीलों की अबूझ बातों को इतनी प्रसन्नता व तन्मयता से श्रवण करते हैं जैसे कोई पिता वात्सल्य में भरकर अपने नन्हें बालक की बात सुन रहा हो। आगे चलकर तो मानो तो राम के समता मूलक समाज की कल्पना शिखर पर पहुंच गई। माता शवरी की कुटी पर पहुंच कर भगवान राम ने उनके जूठे बेर ऐसे स्वाद लेकर और प्रशंसा करके खाया कि माता कौशल्या के हाथ से बने हुए छप्पन प्रकार के व्यंजन भी भूल गए। वन में शवरी व गिद्धराज की मृत्यु के बाद राम ने स्वयं उनका श्राद्ध संपन्न करके अपने माता-पिता के समान उन्हें आदर दिया। उन्होंने कहा कि केवट निषाद आदि तो मानव थे। राम के इस समाजवादी आंदोलन में पशु पक्षी भी भागीदार बन गए। सुग्रीव को सखा बना कर भगवान राम ने लक्ष्मण व भरत जैसा सम्मान प्रदान किया। हनुमानजी को पुत्र बना कर कृतार्थ कर दिया। कहा कि रामचरित मानस मानव चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला है।
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