सरयू नदी के इलाकों में किसानों को मवेशियों को नहीं मिलता चारा
गुठनी और दरौली प्रखंडों से गुजरने वाली सरयू नदी में पिछले 10 वर्षों में कटाव के कारण कई घाट सूख गए हैं। किसानों को सिंचाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए पानी की...
गुठनी, एक संवाददाता। दरौली और गुठनी प्रखंड मुख्यालयों से गुजरने वाली सरयू नदी में करीब 10 सालों से बदलाव दिख रहा है। कटाव से नदी के कई घाट सूख गए हैं। कई जगहों पर नदी ग्रामीण इलाकों से दूर हो गई है। खेती करने वाले किसान सिंचाई के लिए परेशान और विवश नजर आ रहे हैं। कई जगहों पर पशुपालकों द्वारा पशुओं के नहलाने और उनके पीने के लिए पानी को लेकर दूर जाना पड़ता है। दियारा इलाकों में बसे स्थानीय लोगों को भी इस समस्या से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मानें तो सरयू नदी में जहां 8 महीना तक पानी भरा रहता था। विगत कुछ सालों से नदी बहुत पहले ही सूख जाती है। उनकी दूरी ग्रामीण इलाकों से काफी दूर हो जाती है। नदी के बीच में बालू रेत कई किलोमीटर में फैला होता है। ग्रामीणों का कहना है कि दरौली और गुठनी प्रखंड क्षेत्र में नदी का पाट ठीक था। लेकिन, कई जगहों पर जल संसाधन विभाग द्वारा बाढ़ निरोधी कार्य को लेकर नदी की धार में बदलाव हुआ है। किसान सरयू नदी के जल से जहां पहले खेती किसानी तो पशुपालक अपने पशुओं को नहलाते पिलाते थे। लेकिन, अब नदियां जाड़े में ही सिमट कर रह जाती हैं। बाढ़ और कटाव सैकड़ों एकड़ भूमि रेत में हो जाती है तब्दील प्रखंड में आने वाले बाढ़ से जहा आम जनमानस परेशान रहता है। वही सबसे अधिक प्रभावित किसान रहते हैं। उनका कहना था की कटाव से खेती योग्य भूमि नदी में समा जाती है। जिसपर कभी भी खेती नही किया जा सकता। वह भूमि रेत में तब्दील हो जाती है। इन गांवों में ग्यासपुर, खडौली, मैरिटार, डूमरहर, केवटलिया, नरौली, बरौली, दुबा, अमरपुर शामिल है। जिनकी दो सौ एकड़ भूमि हर साल कटाव से पानी में बह जाता हैं। पशुपालकों को पशुओं के चारे की हो रही है परेशानी प्रखंड में सरयू नदी किनारे बसे और दियारा में रह रहे सैकड़ों पशुपालकों के समाने कई तरह की समस्या खड़ी हो रही है। जिसमें बाढ़ और कटाव से नदी सिकुड़ती जा रही है। दियारा से भी लोगों का पलायन धीरे धीरे हो रहा है। वहीं पशुओं के रहने और चारे की लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है।
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