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आरटीई के तहत 140 निजी स्कूलों ने किया गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का दावा

सीवान जिले में आरटीई के तहत 140 निजी स्कूलों ने 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ाने का दावा किया है, जिसमें 6037 बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी गई। जिला प्रशासन ने स्कूलों की जांच के लिए एक समिति बनाई है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानWed, 5 March 2025 03:15 PM
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आरटीई के तहत 140 निजी स्कूलों ने किया गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का दावा

सीवान , हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले में आरटीई के तहत प्रस्वीकृति प्राप्त निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को पढ़ाने का दावा 140 विद्यालयों द्वारा किया गया है। साथ ही अपने दावा में बताया गया है कि कुल 6037 गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी गई है। साथ ही इन गरीब बच्चों को पढ़ाने के एवज में सरकार से मिलने वाली राशि की भुगतान करने के लिए शिक्षा विभाग से मांग की गई है। गौर करने वाली बात है कि जिले में 517 प्रस्वीकृति प्राप्त निजी स्कूल संचालित होते हैं। लेकिन इसमें मात्र 140 ने ही अपना दावा पेश किया है। अब जिलाधिकारी ने इन्हें राशि का भुगतान करने से पहले हकीकत में इनके द्वारा 25 फीसद गरीब बच्चों को पढ़ाया गया की नहीं, जिस स्कूल ने पढ़ाने का दावा किया है, वहां आरटीई के मापदंडों के साथ स्कूल का संचालन होता है या नहीं इसकी जांच करने के लिए जिला प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी जांच के लिए बना दी है। इसमें जांच में जाने वाले अधिकारियों को स्कूल द्वारा जिस गरीब बच्चे को पढ़ाने का दावा किया जा रहा है, उसके साथ उनके अभिभावक से भी पूछ ताछ करने का निर्देश दिया गया है। ताकि इनके दावा की हकीकत क्या है। इसका पता लगाया जा सके। साथ ही अगर सही में इनके द्वारा गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी गई है, तो राशि का भुगतान किया जा सके। शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए दी जाती है राशि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत, निजी स्कूलों को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार की ओर से राशि दी जाती है। यह राशि, स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की संख्या और फ़ीस स्ट्रक्चर के आधार पर तय की जाती है। साथ ही आरटीई के तहत निजी स्कूलों को मिलने वाली राशि की जानकारी दी जाती है। आरटीई के तहत, निजी स्कूलों को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार की ओर से राशि दी जाती है। इसके तहत, निजी स्कूलों को 25 फ़ीसदी सीटें आरक्षित रखनी होती हैं। इन सीटों पर, गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाई कराई जाती है। जिले में 2019 से लेकर 2024 तक निजी स्कूलों को गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की राशि का भुगतान किया जाना है। आवंटन शिक्षा विभाग को आ चुका है। अब जांच के बाद जो सही जिन निजी स्कूलों द्वारा गरीब बच्चों को पढ़ाया गया होगा। उन स्कूलों को लाभ मिलेगा। आरटीई के तहत बच्चों को मिलने वाले लाभ आरटीई के तहत, 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने का प्रावधान है। साथ ही किसी भी स्कूल में बच्चे का प्रवेश एक मौलिक अधिकार है और इसे किसी भी समय अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। जिले में करीब 517 प्रस्वीकृति प्राप्त निजी स्कूल है। लेकिन कई स्कूल बिना विभागीय मापदंड को पूरा किए धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि विभागीय मापदंड को पूरा कर संचालित हो रहे निजी विद्यालयों को सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से प्रस्वीकृति दी जाती है। आवेदन आने के बाद निजी विद्यालय प्रस्वीकृति समिति की बैठक होती है। इसमें जिनके कागजात सही होते हैं। उन्हें प्रस्वीकृति का आदेश दिया जाता है। डीईओ की अध्यक्षता में समिति होती है। इसमें डीएम द्वारा अनुशंसित एक पदाधिकारी, डीपीओ सहित अन्य को शामिल किया जाता है। प्रस्वीकृति प्राप्त कई स्कूल मापदंड को नहीं पूरा करने वाले शामिल जिले में प्रस्वीकृति प्राप्त प्राइवेट स्कूल धरातल पर चल रहे हैं या कागजों में सिमट कर रह गए हैं। उनके द्वारा विभागीय मापदंड के अनुसार प्रस्तुत किए गए कागजात ठीक है या नहीं। स्कूल की आधारभूत संरचना, शिक्षक व छात्रों की संख्या, पठन-पाठन से संबंधित संसाधनों की क्या स्थिति है। इसकी जांच पड़ताल ठीक से करने की जरूरत है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रस्वीकृति प्राप्त स्कूलों में कई ऐसे स्कूल हैं जिनका अपना भवन नहीं है, न स्कूल परिसर में खेल मैदान है, न पक्का छत है। विभाग अगर सही तरीके से जांच कराए तो कई स्कूलों की प्रस्वीकृति रद करनी पड़ सकती है। क्या कहते हैं अधिकारी जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला स्तरीय पदाधिकारियों की टीम 140 स्कूलों की जांच कर रही है। इनके द्वारा 6037 स्कूलों को पढ़ाने का दावा किया गया है। जांच में सही पाए जाने पर जिन्होंने सही में बच्चों को पढ़ाया है। साथ ही स्कूल विभागीय मापदंड के अनुरूप संचालित होता है। उन्हें राशि का भुगतान किया जाएगा। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर विभागीय नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। - अवधेश कुमार, डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान, सीवान

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