जानलेवा बीमारी से इंसान को महफूज रखने की गुजारिश
पेज पांच के लिए रमजान रोजे में जिस्म के किसी भी हिस्से से गुनाह करने से बचने की नसीहत घर से बाहर जाते वक्त मास्क व सेनेटाइजर के इस्तेमाल की अपील फोटो संख्या- 03कैप्सन-मो. मुस्तकीम गोरेयाकोठी। संवाद...
पेज पांच के लिए
रोजे में जिस्म के किसी भी हिस्से से गुनाह करने से बचने की नसीहत
घर से बाहर जाते वक्त मास्क व सेनेटाइजर के इस्तेमाल की अपील
फोटो संख्या- 03कैप्सन-मो. मुस्तकीम
गोरेयाकोठी। संवाद सूत्र
प्रखंड मुस्तफाबाद स्थित जामा मस्जिद के इमाम हाफिज मो. मुस्तकीम साहब ने बयान करते हुए फरमाया कि माहे रमजान रहमत और बरकतों का महीना है। इसमें खुदा जन्नत के दरवाजे खोल देता है और रहमतों की बारिश से अपने बंदों का नवाजता है। कहा कि इस्लाम के पांच अरकान हैं, तोहिद, नमाज, रोजा, जकात व हज हैं। इस महीना में हर मुसलमान आसानी से चार अरकान तोहिद, नमाज, रोजा व जकात पूरा कर सकता है। इस महीने में हर मुसलमान रमजान के तमाम फराइज पूरा कर रहे हैं। दुआ की जा रही है कि दुनिया में फैली जानलेवा बीमारी से इंसान को अल्लाह ताला महफूज रखें। हर मुसलमान अपने जकात के पैसे से समाज के हर वर्ग के गरीब मुफलिस को दान देकर मदद भी कर रहे हैं। पांचवा अरकान हज है जो मुसलमान साहिबे माल है उनपर हज फर्ज है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए घरों में इबादत करने की अपील की। कहा कि घर से बाहर जाते वक्त मास्क व सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही वैक्सीन को लगवाने की गुजारिश की। कहा कि इंजेक्शन लेने से रोजा नहीं टूटता है। कहा कि कोविड इंजेक्शन नहीं लेना खुदकुशी करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे व प्यासे रहना नहीं बल्कि रोजा पूरे शरीर का होता है। रोजा हाथ, पैर, जीभ, आंख, कान और पूरे जिस्म से होता है। हमें रोजे के दौरान अपने जिस्म के किसी भी हिस्से से गुनाह करने से बचना चाहिए।
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