रघुनाथपुर के नरहन, गभीरार, राजपुर और आदमपुर घाट पर किया स्नान
कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया और सूर्य भगवान को जल अर्पित किया। महिलाएं ईंख की कोशी भरती दिखीं। रघुनाथपुर में मेले का आयोजन हुआ, जहां लोग खरीदारी कर रहे थे। इस...
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को सरयू (घाघरा) नदी के तट पर तड़के सुबह से श्रद्धालु स्नान करने के लिए उमड़े हुए थे। भोर से ही हर-हर गंगे, नमामि गंगे और हर हर महादेव के उद्घोष से माहौल भक्तिमय हो गया था। दूरदराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और सूर्य भगवान को जल अर्पित करके परिवार के सुख और समृद्धि की कामना की। श्रीहरि भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की गई। महिलाएं सरयू नदी तट पर ईंख की कोशी भरती दिखीं। आदमपुर, राजपुर, गभीरार और आंदर के रकौली घाट पर सुबह से ही स्नान दान का सिलसिला जारी रहा, जो दोपहर तक चला। रघुनाथपुर थाने की पुलिस भी गश्त करती दिखीं। नरहन घाट से स्नान और दान पुण्य करने के बाद नरहन गांव में मौजूद मंदिरों में भी लोगों ने पूजा की। यहां लगाए गए मेले में लोग खरीदारी करते दिखे। महिलाएं श्रृंगार प्रसाधन, पुरुष खेती के औजार तो बच्चे खिलौने खरीद रहे थे। जलेबी से लेकर पानी-पूड़ी तक की फुटपाथ पर दुकानें सजी हुई थीं। 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने और मेला में पहुंचने की बात कही जा रही है। दूर-दराज के लोग स्नान करने के लिए आए हुए थे। गाड़ी से तो लोग आए ही थे, कई लोग तो रिश्तेदारों के यहां दो दिन पहले आ गए थे। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का है विशेष महत्व सनातन धर्म परंपरा में कार्तिक मास की पूर्णिमा को स्नान व दान का विशेष महत्व है। देव दीपावली का पर्व भी मनाने का रिवाज है। कार्तिक पूर्णिमा को श्रीहरि भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान दान, पुण्य करने वाले सुखी रहते हैं। उनके कष्टों को मां गंगा हर लेती हैं। जिन लड़कियों का लग्न तय हो जाता है, उनका स्नान करना उत्तम माना जाता है। जिनका लग्न तय होने में दिक्कत होती है, वे भी स्नान करके मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
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