किसी वस्तु को मूल स्वरूप में व्यवस्थित करना ही संस्कार हैः मंजूलता
सिसवन के चैनपुर बाजार स्थित अष्टभुजी मां मंगला भवानी मंदिर में नव दिवसीय शतचंडी महायज्ञ व राम कथा का आयोजन हो रहा है। अयोध्या से आई कथावाचिका मंजूलता ने कहा कि शिक्षा से संस्कार मिलता है और अच्छे...

सिसवन, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र के चैनपुर बाजार स्थित अष्टभुजी मां मंगला भवानी मंदिर में आयोजित नव दिवसीय शतचंडी महायज्ञ व राम कथा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। राम कथा के लिए अयोध्या से आई कथावाचिका मंजूलता ने कहा कि किसी वस्तु के मूल स्वरूप में व्यवस्थित करने की कला ही संस्कार होता है। शिक्षा से संस्कार मिलता है। पढ़ने का अर्थ शब्दों में शालीनता होनी चाहिए, कड़वाहट होना शिक्षा व संस्कार की निशानी नहीं है। पढ़ाई का अर्थ आपके जीवन में संस्कार आना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान मानसिक बीमारी को ठीक करती है, बीमारी को डॉक्टर ही ठीक कर सकता है। जब जैसी स्थिति हो उसके अनुसार काम करना चाहिए। आज के दौर में व्यक्ति अपने दुख से नहीं बल्कि दूसरों के सुख से दुखी है। कोई भी व्यक्ति सत्कर्म दिखाकर करता है, जबकि बुरा कर्म छिपा कर करता है। आज व्यक्ति के जीवन में अनेक बुरे कर्म है, और वह ईश्वर का नाम गिन- गिन कर लेता है। धर्म का मार्ग है, भक्ति जिससे भागवत व ईश्वर की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को सत्कर्म करते हुए उपकार की जिंदगी जीने चाहिए और लोगों की भलाई में अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।
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