लंका दहन प्रसंग के साथ रामकथा का समापन
मैरवा के रामजानकी मंदिर में श्रीराम कथा का समापन हुआ। कथावाचिका भाग्य श्री ने सीता हरण, लंका दहन और राम-रावण युद्ध के प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि रामायण हमें आदर्श, सेवा और बलिदान की...

मैरवा। रामजानकी मंदिर में चल रहे श्रीराम कथा का समापन शनिवार को हुआ। कथावाचिका भाग्य श्री ने अंतिम दिन की कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।कथावाचिका ने कहा कि रामायण हमें आदर्श, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की संपत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, की सीख देती है। इस प्रकार भगवान श्रीराम ने गरीब, वनवासियों के कष्ट दूर करते हुए उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठन शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया।इसलिए हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करे। कहा कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता है। अंतत अधर्म पर धर्म की जीत होती है भगवान श्रीराम ने सत्य को स्थापित करने के लिए रावण का वध किया श्री राम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए राम कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है।भगवान की कथा हमें बताती है कि संकट में भी सत्य से विमुख न हो व अपने वचन का पालन करें माता-पिता की सेवा, गुरु जन का सम्मान, गौ माता का वास तथा ईश्वर का स्मरण जिस घर परिवार में होता है वह स्वर्ग के समान है।कथा के दौरान पूजा व आरती के बाद भक्तजनों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। कथा मे भारी संख्या मे श्रोता शामिल रहे।
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