हीं बरस रहे मेघ, अबतक चार हजार हेक्टेयर में ही गिरा बिचड़ा
सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। की भोपतपुर पंचायत के भोपतपुर गांव में स्व गोपालजी पांडेय के पुत्र वीरेंद्र पांडेय के बरामदे में अचानक आग लग गई। इससे लाखों के समान जलकर राख हो गया। घटना लगभग गुरुवार की...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में बारिश नहीं होने से किसानों के लिए धान का बिचड़ा गिराना मुश्किल हो रहा है। कारण कि पर्याप्त बारिश नहीं होने से खेतों में नमी नहीं है। इससे खेतों की जुताई व बिचड़ा डालने में परेशानी हो रही है। अधिकतर किसानों ने अभी तक धान का बिचड़ा नहीं डाला है। बताया जा रहा कि धान की खेती के लिए जरूरी बारिश नहीं हो रही। इससे खेत सूखे हैं, वहीं खेतों से नमी गायब है। बारिश के अभाव में खेतों की जुताई भी सही से नहीं हो पा रही। इससे बिचड़ा डालने की तैयारी में देरी हो रही।
सूखे खेत व नमी की कमी के कारण किसान समय पर धान का बिचड़ा नहीं डाल पा रहे हैं। मेघ नहीं बरसने से धरती आग उगल रही है। दस हजार हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य जिला कृषि कार्यालय के अनुसार, इस साल 10,000 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, अब तक 4,000 हेक्टेयर में बिचड़ा गिराया जा चुका है। जिले में एक अनुमान के मुताबिक 5 से 10 प्रतिशत ही ऐसे किसान हैं जो पंपसेट से खेतों को पटाकर धान बीज गिराने के लिए तैयार कर रहे हैं। बिचड़ा गिराने के लिए किसान खेत में मिट्टी का मेढ़ बना पंपसेट चलाकर पानी जमा करने के बाद उसमें बिचड़ा गिरा रहे हैं। दो दिनों तक खेत में नमी देने के बाद बिचड़ा गिराया जा रहा है। धूप ने खेतों में लगे धान के बिचड़े को सूखा दिया बहरहाल, पिछले एक सप्ताह से आग उगलती धूप ने खेतों में लगे धान के बिचड़े को सूखा दिया है। किसान पंपसेट से खेतों का पटवन तो कर रहे हैं, लेकिन तेज धूप में पानी तुरंत सूख जा रही है। ढाई से तीन सौ रुपये प्रति घंटा पंपसेट से पटवन के लिए पानी मिल रहा है। कई किसान ऐसे भी हैं जो बारिश नहीं होने से धान का बीज नहीं गिरा रहे, क्योंकि उन्हें धान के बीज के जमने के बाद सूखने का भय सता रहा है। किसानों का कहना है कि तेज धूप ने खेतों की नमी को समाप्त कर दिया है। बारिश नहीं होने के कारण खेतों में दरारें पड़ने लगी है। यही हाल रहा तो इस बार धान की फसल प्रभावित होगी। बिचड़ा को बचाना मुश्किल हो रहा यहां के किसान ऊंची भूमि से लेकर निचली भूमि तक धान की खेती से अच्छे पैदावार पैदा करते हैं। जो किसान धान का बीज गिरा रहे हैं, उनके लिए भी बिचड़ा को बचाना मुश्किल हो रहा है। चिलचिलाती धूप से बिचड़ा को बचाने व खेत में नमी बनाए रखने के लिए दो दिनों में ही मशीन से पटवन करना पड़ रहा हैं। पंपसेट से पटवन करके पौधे को बचाना मुश्किल हो रहा है। किसानों ने बताया कि 25 मई से 15 जून तक धान का बिचड़ा खेतों में गिर गया तो अगता खेती करने में सहूलियत होती है, लेकिन इस बार गर्मी की वजह से बहुत कम किसानों ने धान का बीज गिराया है। तेज धूप से धान के बिचड़ा (नर्सरी) को बचाने के लिए ये उपाय करें:- 1. छायादार जाल (नेट) या पुआल की छाया दें - नर्सरी के ऊपर छाया देने से बिचड़े को सीधे धूप से बचाया जा सकता है। 2. नियमित सिंचाई करें - सुबह और शाम समय पर पानी दें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधे सूखे नहीं। 3. हल्का पानी भराव रखें - खेत में हल्की मात्रा में पानी रखें ताकि तापमान नियंत्रित रहे। 4. ग्लाइकोल या ह्यूमिक एसिड का छिड़काव - पौधों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए इनका प्रयोग करें (कृषि सलाह के अनुसार)। 5. सुबह या शाम बुवाई करें - अधिक गर्मी से बचने के लिए नर्सरी की बुवाई ठंडे समय में करें। 6. हवा की आवाजाही रखें - यदि पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं तो वेंटिलेशन रखें ताकि गर्म हवा बाहर निकल सके। 7. पुआल या सूखी घास से ढकाव - मिट्टी की नमी और तापमान को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी। तेज धूप में धान की नर्सरी को बचाने के लिए किसानों को नर्सरी के ऊपर पुआल या जाल से छाया देनी चाहिए। साथ ही सुबह-शाम नियमित सिंचाई करें ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे। ज्यादा तापमान में बिचड़े झुलस सकते हैं, इसलिए छाया और नमी बनाए रखना जरूरी है। - डॉ. जीतेंन्द्र पसाद, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, भगवानपुर हाट सीवान
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