महंगे दाम पर किसान डीजल खरीद कर रहे खेतों की सिंचाई
नौतन प्रखंड क्षेत्र में सरकारी नलकूप खराब होने के कारण किसान निजी पंपसेटों से सिंचाई करने को मजबूर हैं। सरकारी व्यवस्था पूरी तरह से ठप है, जिससे किसानों को महंगे डीजल खरीदकर खेतों की सिंचाई करनी पड़...
नौतन, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में सरकारी नलकूप शोभा की वस्तु बनकर रह गए है। इसकारण क्षेत्र के किसान निजी पंपसेटों से सिंचाई करने को मजबूर हैं। क्षेत्र में सिंचाई के लिए सरकारी व्यवस्था पूरी तरह से ठप साबित हो रही है। ऐसे में किसानों को सिंचाई के लिए भगवान भरोसे या निजी संसाधनों पर ही निर्भर होना पड़ता है। किसानों को महंगे डीजल खरीद कर खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है। किसानों को अपने निजी पंपसेट से ही खेती कार्यों को करने के लिए निर्भर होना पड़ रहा है। हालांकि सरकार के द्वारा सिंचाई के कई तकनीक व संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है। लेकिन किसान सिंचाई के अभाव में कृषि कार्य से अपने को अलग करते जा रहे हैं। कृषि कार्यों को बढ़ावा देने के लिये सरकार प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये की धन राशि खर्च करती है। जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सके। इसके लिये प्रखंड व जिला मुख्यालयों में शिविर लगाकर खेती करने के कई आधुनिक तकनीक व गुर सिखाए जा रहे है। लेकिन किसानों के सामने अभी भी सिंचाई की गंभीर समस्या बनी हुई है। मौसम की बेरुखी भी एक बड़ी समस्या होने लगी है। अब किसानों के सामने खेती-बारी करना एक चुनौती बन कर रह गयी है। दसकों पहले लगाए गए सरकारी नलकूपों के खराब होने के बाद कुछ मरम्मत किये गये तथा कुछ नये नलकूप भी लगाए कर चालू कराई गई है। लेकिन विगत वर्ष कार्य शुरू होने के बावजूद भी विभागीय उदासीनता या सही तरीके से कार्य नहीं कराये जाने के कारण अभी तक नलकूपों का संचालन अच्छी तरीके से नहीं हो पा रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि राजकीय नलकूप की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जो नलकूप चालू स्थिति में बताये जा रहा है। उससे विगत वर्ष सिंचाई का कार्य हुआ। लेकिन उनमें भी जगह-जगह पर लीकेज की समस्याएं आती रही।प्रखंड क्षेत्र के ऐसे कई गांव हैं जहां न तो नहरें हैं, न ही राजकीय नलकूप ही। ऐसे में, किसानों को खेती कार्य करने में कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
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