घोपड़ास और जंगली सुअर से परेशान हैं रघुनाथपुर के किसान
रघुनाथपुर में किसानों की फसलों को घोपड़ास और जंगली सुअरों से बचाने के लिए राज्य सरकार ने इन्हें मारने का निर्णय लिया था। लेकिन कुछ ही दिनों में यह आदेश बेअसर हो गया है। किसान अब इन जानवरों के कारण...
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। किसानों की लगातार मांग के बाद राज्य सरकार द्वारा घोपड़ास और जंगली सुअरों को मारने का निर्णय लिया था। जिला प्रशासन इसकी शुरुआत भी किया था। लेकिन, कुछ ही दिनों बाद इन्हें मारने का सरकारी फरमान भी बेअसर हो गया। किसानों की फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली इन दोनों ही जानवरों से कब मुक्ति मिलेगी, इसे लेकर किसान अब सवाल करने लगे हैं। किसानों की फसलों के बचाव के लिए राज्य सरकार ने नियम तो बना दिया है, लेकिन इनका अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इन्हें मारने के लिए बनाए गए नियम कानून कागजों में सिमटकर रह गए हैं या यूं कहिए कि बेअसर साबित हो रहे हैं। घोपड़ास और सुअर का नाम सुनते ही किसानों के चेहरे उतर जाते हैं। उन्हें यदि अपने फसलों का सबसे बड़ा दुश्मन कोई नजर आता हैं तो वह घोपड़ास व सुअर ही है। कृषि समन्वयक मुन्ना कुमार ने कहा कि अभी मारने पर रोक किसी वजह से लगी हुई है। जिला कार्यालय ही इस संबंध में कोई बात बता सकता है। रात में जगकर रखवाली करना बस में नहीं रात-रात भर जाग कर फसलों की रखवाली करने वाले किसानों को घोपड़ास से निपटने का रास्ता अब तक नहीं नजर आ रहा है। रात में ठंड पड़ने और शीत गिरने से किसानों को अब इनकी निगरानी करना बस की बात नहीं रह गई है। किसान घोपड़ास के आगे अब बेबस नजर आ रहे हैं। दियारा क्षेत्र के किसान तो घोपड़ास से परेशान है ही, सुअर भी इन्हें बर्बादी के कगार पर पहुंचा रही हैं। प्रशासन ने घोपड़ासों को मारने के लिए भले ही फरमान जारी कर दिए हों, लेकिन, रघुनाथपुर में उनका फरमान बेअसर नजर आ रहा है। नरहन के ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि खेती-किसानी इनके कारण बर्बादी के कगार पर है। बाजार में उपलब्ध दवाएं भी कारगर नहीं निखती कला पंचायत में घोपड़ास के आतंक से सभी परेशान हैं। बाजार में इन्हें फसलों को चरने से रोकने के लिए उपलब्ध दवाएं भी कारगर नहीं है। पाउडर और लिक्विड दोनों तरह की दवाएं बाजार में मिल रहे हैं। लेकिन, इनका छिड़काव करने के बाद भी घोपड़ास पर असर नहीं हो रहा है। निखती खुर्द गांव के किसान वीरबहादुर राम, प्रह्लाद भगत, श्रीकिशुन भगत, रामबड़ाई भगत, बादशाह भगत, शंभुनाथ राय, मुंद्रिका साह गोंड आदि ने बताया कि पहले घोपड़ास गांव के अंदर प्रवेश नहीं करती थीं। अब गांव के अंदर प्रवेश करके कोड़ार में लगाई गई हरी सब्जियां चट कर जा रही है। मक्का और आलू की फसल पर तो यह टूट पड़ जा रही हैं। इन्हें मारने में न कोई जनप्रतिनिधि दिलचस्पी ले रहे हैं और कोई कृषि विभाग के कर्मी ही।
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