मौसम में बदलाव के साथ ही आम के पेड़ में दिखाई देने लगा मंजर
सिसवन क्षेत्र में आम और लीची के पेड़ों में भरपूर मंजर देखने को मिल रहे हैं, जिससे किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। हालांकि, पिछले वर्षों में उत्पादन में कमी आई है। किसान मंजर आते ही उन्हें व्यापारियों को...

सिसवन, एक संवाददाता। इस बार क्षेत्र के आम व लीची के पेड़ों में भरपूर मंजर देखने को मिल रहा है। पेड़ों में लदे मंजर देखकर किसानों के चेहरे खिले हैं। आम व लीची की अच्छी पैदावार की उम्मीद है। क्षेत्र के बंगरे के बारी, गंगपुर सिसवन, सरौत, घुरघाट आदि जगहों पर अलग-अलग किस्मों के आम के पेड़ के अलावे लीची व जामुन के पेड़ों की अच्छी तादाद है। यहां का मालदह, सीपिया, कलकतिया, जर्दा, बमबई, किशुनभोग के अलावा अन्य किस्मों के आमों की मांग जिला के अलावा दूसरे आसपास के क्षेत्रों में भी है। किसानों को उम्मीद है कि मौसम अनुकूल रहा तो आम का उत्पादन अच्छा होगा। हालांकि इस बार ठंड ज्यादा पढ़ने के कारण आम के पेड़ों में मंजर देर से आए हैं, लेकिन अगर देखे तो पेड़ों में आम के मंजर बसंत पंचमी के आसपास ही देखे जाते हैं जो इस बार भी देखा गया। जिस रफ्तार से आम के पेड़ मंजर ले रहे हैं उसे अच्छे फसलों की उम्मीद किसान कर रहे है। उत्पादन में लगातार हो रही कमी बीते कुछ बरसों में क्षेत्र के आम के फसलों में उत्पादन में कमी आई है। किसने की माने तो जिस अनुपात में मंजर आते हैं उसे अनुपात में इसमें फल नहीं आते। वेहिसाब लगातार बढ़ रहे गर्मी, आंधी तूफान, आम के मंजर में मधुआं किट का लगने के अलावा तरह तरह की बीमारियां, एक साल के बाद आम के पेड़ों में मंजर आना जैसे कई कारणो से आम के फसलों के उत्पादन में कमी आई है। मंजर लगते ही किसान डर से बेच रहे बागान जिस रफ्तार से आम के पेड़ों में मंजर आए हैं, मंजर में कीट के दुष्प्रभाव को देखते हुए व फसलों के होने वाले क्षति को ध्यान में रखकर किसान बागान में लगे पेड़ो के मंजर आते ही उसे व्यापारियों के हाथो बेच देते है। बागन में मंजर आने के बाद व्यापारी यहां आने लगते हैं। पेड़ों के मंजर देख पेड़ की बोली लगाई जाती है। एक तरफ किसान जवाब देही से तो बच जाता है मगर अच्छी फसल के लाभ से वंचित रह जाता है। आम के फसलों को देखने के लिए नहीं है सरकारी व्यवस्था क्षेत्र में आम और जामुन के पेड़ हजारों है लेकिन इन वृक्षों और बेगानों को देखरेख, अच्छी फसल प्राप्त होने के लिए, इसके रखरखाव एवं कीटों से बचाव के लिए सही उपचार की सलाह देने के लिए क्षेत्र में कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में किसान रासायनिक खाद और कीटनाशक विक्रेता दुकानदारों से ही सलाह लेकर काम चलाते हैं। उनके द्वारा बताए रसायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग करते है जो कई बार असफल हो जाते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।