हिन्दुस्तान विशेष: स्कूल में पढ़ने वाली बेटियां बनेंगी सबला, ले रहीं आत्मरक्षा की ट्रेनिंग
सीवान जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह कार्यक्रम 'सशक्त बेटियां, सक्षम बेटियां' के तहत चलाया जा रहा है, जिसमें मार्शल आर्ट और कराटे की...
सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियां अब सबल होंगी। सशक्त बेटियां ,सक्षम बेटियां स्लोगन की तर्ज पर शिक्षा विभाग की ओर से आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एक चरण का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब दूसरे चरण का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान अशोक कुमार पांडेय के दिशा निर्देश में इस प्रोग्राम को जिले के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूल में चलाया जा रहा है। जिसमें सभी बालिकाओं को आत्मरक्षा कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे वे अपनी स्वयं रक्षा करने का गुर सीख रही हैं। जिले के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूल में इन्हें मार्शल आर्ट के साथ सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जा रही है। मास्टर ट्रेनर राष्ट्रीय कराटे कोच जिला मॉनिटर प्रियेश कुमार तिवारी ने बताया कि 3 स्कूलों को टैग कर 24 दिनों की मार्शल आर्ट, सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को सबल और मजबूत बनाना है। ताकि किसी भी तरह की होने वाली घटना दुर्घटना से खुद को बचा जा सके। दूर-दराज गांवों में पढ़ने वाली बेटियां भी हो रही प्रशिक्षित दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है, जो कुल 90 दिन तक चलेगा। बिहार शिक्षा परियोजना परिसद पटना, जिला समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रोग्राम बिहार के सभी जिलों में चल रहा है। इसमें जिले के वीएम हाई स्कूल सह इंटर कॉलेज के प्राचार्य राकेश कुमार सिंह, उच्च माध्यमिक हाई स्कूल टड़वा की प्राचार्या रूपाली अहीर, उच्च माध्यमिक विद्यालय बाघड़ा के प्राचार्य हरे राम प्रसाद के देख रेख में स्कूल की 100 बालिकाएं ट्रेनिंग ले रही हैं। मनचलों को मुहतोड़ जवाब देने में अब बेटियां सक्षम मार्शल आर्ट्स आत्मरक्षा का गुर सीख कर अब बेटियां मनचलों को मुहतोड़ जवाब देने में सक्षम हो गईं है। बताया गया कि मार्शल आर्ट सीखने से बालिकाओं को शारीरिक हमालों या दुर्घटनाओं जैसी विकट परिस्थितियों में अपना बचाव करना आता है। इसके सीखने से बालिकाएं दृढ़ संकल्प और आत्मरक्षा के तरीकों से सशक्त बनती है। साथ ही, साथ शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनती है। कराटा सीखने से बालिकाओं की ताकत को बालकों की तुलना मे कमजोर मानसिकता बदलती है। बालिका और बालक के बीच लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
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