90 विद्यालय में सिर्फ 54 सेमरसेबल से टपक रहा है पानी
गुठनी प्रखंड के प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में पेयजल की उपलब्धता के लिए बोरिंग और समर्सेबल योजनाएँ अधर में लटकी हुई हैं। 90 विद्यालयों में से केवल 54 में ही यह कार्य पूरा हुआ है। छात्रों को स्वच्छ...
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गुठनी, एक संवाददाता। प्रखंड के प्राइमरी और मिडिल स्कूल में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए निजी एजेंसियों द्वारा बोरिंग व समर्सेबल योजना अधर में लटक गई है। प्रखंड मुख्यालय में 90 प्राथमिक विद्यालयों में से सिर्फ 54 विद्यालयों में ही बोरिंग और समरसेबल लगाया जा सका है। ऐसे में छात्र और छात्राओं को मिलने वाले स्वच्छ पेयजल का सपना अधूरा ही लग रहा है। बीइओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 54 विद्यालयों को बोरिंग और समरसेबल करने की मंजूरी शिक्षा विभाग से मिली थी। इसके बाद एजेंसियों द्वारा अभी तक 54 विद्यालयों में बोरिंग और समरसेबल का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जेई विशाल कुमार ने डीएम के निर्देश पर पीएचईडी को सौंप दिया गया है। गवर्मेंट ऑफ बिहार से इसका काम शुरू किया गया था। अब इसको दूसरे एजेंसी को काम करने के लिए वरीय अधिकारियों का निर्देश जारी किया गया है। 90 में सिर्फ 54 विद्यालय में लगा समरसेबल, 36 अनुशंशित प्रखंड में जिन 54 विद्यालयों में बोरिंग और समरसेबल लगाया गया है। उनमें अधिकतर विद्यालयों के सारे कार्य पूरा कर लिया गया है। शिक्षा विभाग के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिला से 36 विद्यालयों को अनुशंसित किया गया था। जिनमें 54 विद्यालयों के सारे कार्य पूर्ण कर लिए गए थे। जिनमें पानी टंकी लगाना, किचन से कनेक्शन, बाहर नलका लगाना, सिंक, हाथ धोने का टॉब शामिल है। बीइओ ने बताया कि 54 विद्यालय में काम लगभग पूरा हो चुका है। बाकी चार में काम प्रगति पर है। जिसे जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया हैं। 58 प्रतिशत विद्यालय को ही मिला स्वच्छ पेयजल की राशि प्रखंड मुख्यालय में सिर्फ 58 प्रतिशत विद्यालयों को स्वच्छ जल की निधि हो रही है। जिला प्रशासन की तरफ से मिल पाया है। हालांकि, यह पूरे प्रखंड मुख्यालय के लिए काफी नहीं है। इनमें आज भी अधिकतर विद्यालय ग्रामीण और सुदूर इलाकों में स्थित है। जहां छात्र और छात्राओं को पानी पीने के लिए बाहर जाना पड़ता है। वहीं कड़ाके की धूप और गर्मी में विद्यालय से उन्हें दूर जाकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। बीईओ का कहना है कि पूरे प्रखंड मुख्यालयों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। सभी छात्र - छात्राओं को स्वच्छ पेयजल की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
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