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बोले सीवान : सस्ती बिजली की आस में है आटा चक्की संचालक

सीवान जिले में आटा चक्की संचालकों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डीजल के स्थान पर बिजली से मिल संचालन महंगा हो गया है। ग्राहकों की कमी और प्रतिस्पर्धा के कारण, उन्हें कम कीमतों पर भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 21 April 2025 11:59 PM
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बोले सीवान : सस्ती बिजली की आस में है आटा चक्की संचालक

जिला मुख्यालय सीवान से लेकर गांव तक आटा मिल संचालित हो रहे हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक गेहूं पीसकर आटा निकालने का काम करते हैं। इस कार्य से जुड़े भोला प्रसाद, सुनील प्रसाद, दीन दयाल प्रसाद, ने बताया कि जब डीजल से मिल का संचालन होता था तो कुछ फायदा था लेकिन अब बिजली घर भी सात रुपए प्रति यूनिट मिल संचालकों को देना पड़ता है। वहीं गेहूं पीसने पर दो रुपए प्रति किलो की दर से पिसाई ग्राहक देते हैं। इस कारोबार में जुड़े लोगों में प्रतिस्पर्धा होने के कारण कहीं-कहीं कम कीमत पर भी गेहूं की पिसाई कर दी जाती है। इसके कारण आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं परंतु उसका कोई फायदा उन लोगों को नहीं मिल पाता है। उन लोगों को कम ब्याज दर पर ऋण नहीं मिल पाता है।

ऐसे में वे लोग आटा चक्की मिल संचालक को लेकर महाजनों से कर्ज लेने पड़ता है। उनका कहना है कि सरकार कम कीमत पर बिजली उपलब्ध कराए तो हम लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं। उनका कहना है कि बैंक में जाने के बाद कई तरह के दस्तावेज की मांग की जाती है। उनकी शर्त समझ में नहीं आती है। थक हार कर वे लोग वापस आ जाते हैं। उद्योग विभाग से छोटे व्यवसायियों के लिए ऋण की बात कही जाती है परंतु वहां से भी लाभ नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि शहर में आटा चक्की मिल संचालन को लेकर जमीन के एग्रीमेंट के तौर पर मोटी राशि देनी होती है। साथ ही निर्धारित किराया भी देना पड़ता है। किराया की राशि अधिक होने के कारण देने में वे लोग सक्षम नहीं है। सरकार की ओर से उन लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन लोगों का कहना है कि हमारा काम आसान नहीं है। दिन से लेकर रात तक खड़ा होकर आटा चक्की का संचालन करना पड़ता है। इसके कारण शरीर थक जाता है। हाथ पैर जवाब देने लगते हैं। इस कारोबार में जुड़े हुए लोगों को समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए। ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ आटा चक्की मिल संचालकों को मिलना चाहिए। अगर सरकार सुरक्षा के साथ लोन में छूट दे तो यह रोजगार और तेजी से बढ़ेंगे। इस कारोबार से जुड़े हुए अधिकतर लोगों को मानना है कि परिवहन, मकान, बिजली का किराया और आदि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सरकार को मदद करनी चाहिए। लोगों ने बताया कि कई बार आटा चक्की संचालन के दौरान घायल हो जाते हैं। उन्हें बेहतर इलाज की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी होती है। बदलते दौर में आटा चक्कियों का भी स्वरूप बदल रहा है। पुराने जमाने में जब घरों में हाथों से चक्की का पिसा हुआ आटा खाने में प्रयोग होता था। वह समय भी आया जब लोगों ने बिजली की मदद से आटा चक्की खोल ली। पहले गिने चुने जगह पर ही आटा चक्की होती थी। धीरे-धीरे फ्लोर मिल लगने के बाद अब लोगों ने आटा चक्की का कारोबार बंद कर खुला आटा बिक्री शुरू कर दिया।अब इस बाजार में एक ही आटा चक्की रह गई है। पॉलिथीन में मिलने वाला आटा भी सेहत के लिए कई प्रकार की बीमारियां लेकर आता है। आटा चक्की मिल संचालकों का कहना है कि सरकार इसे ही बढ़ावा दे रही है। कहा कि पॉलिथीन में कुछ कंपनियां आटा बिक्री करने का काम कर रही हैं। यदि कंपनियों को आटा बिक्री करना है तो उसे कट्टे में होना चाहिए। अधिकांश लोग कई कई दिनों तक घरों में पॉलिथीन में ही आटा रख लेते हैं। इस आटे की रोटियां बनाने और खाने में कई प्रकार की समस्या हो सकती है।

बड़ी कंपनियों को पैकेज आटा मिलने से मंदा पड़ा धंधा

आटा चक्की संचालकों का कहना है कि अब लोगों के पास समय कम रहता है इसलिए वह राशन पर मिलने वाले गेहूं को मंडी में बिक्री करना अधिक पसंद करते हैं। इसके बदले में वह पैकिंग वाला आटा खरीद रहे हैं। लोगों के मन में अब यह भी अवधारणा बन गई है कि गेहूं की पिसाई में अधिक समय लगता है और बाजार में हर तरफ पैकिंग वाला विभिन्न दामों में आटा पैकेट उपलब्ध है। ऐसे में गेहूं को धोना और फिर आटा को घर तक ले जाने के झंझट से भी लोग तौबा कर रहे हैं। यही वजह है कि आज आटा चक्की कारोबार की पूछ कम हो रही है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब सिर्फ बाजार में एक ही आटा चक्की रह गई है। हालांकि, कुछ व्यापारियों ने आटा चक्की को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट कर दिया है। वह बाजार में बैठकर खुले आटा बिक्री का करने का काम कर रहे हैं। आटा चक्की कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि आज के दौर में लोग रेडीमेड माल को तवज्जो दे रहे हैं। लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं। आटा चक्की पर जब लोग गेहूं की पिसाई करने आते थे तो उनकी आंखों के सामने आटा निकलता था।इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती थी

- प्रस्तुति - धर्मेन्द्र उपाध्याय।

सुझाव

1. रेडीमेड माल को तरजीह के साथ आटा चक्की कारोबारी की समस्याओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

2. आटा चक्की कारोबारियों का उत्थान किस प्रकार होगा, इस पर मंथन होना आवश्यक है।

3. लोगों को अपनी सेहत के प्रति सचेत रहना है तो सामने गेहूं की पिसाई वाला आटा खाएं।

4. आटा चक्की खोलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए।

5. आटा चक्की संचालकों को सस्ती दर पर नहीं उपलब्ध कराया जाता है ऋण

शिकायतें :-

1. आटा चक्की संचालन में सबसे बड़ी बाधा मीटर की है।

2. प्रशासन के अधिकारियों को आटा चक्की संचालकों के साथ बैठक कर समस्याओं का हल करना चाहिए।

3. अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर मंथन नहीं होता। मिनी उद्योग के रूप में उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया गया

4. सरकारी योजनाओं का नहीं मिल पाता है लाभ

हमारी भी सुनिए

आटा चक्की वालों को सरकार को योजना बनाकर बैंक से सस्ती ऋष्ण उपलब्ध कराना चाहिए ताकि उनका रोजगर प्रभावित नहीं हो सके। इस कारोबार में जुड़े हुए लोगों का शिविर लगाकर स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए।

- दीन दयाल प्रसाद।

आटा चक्की संचालकबिजली बिल के भुगतान से परेशान है। बिल अलावा हर महीने फिक्स रेट भी लिया जाता है। जिससे हमारा आर्थिक शोषण ही रहा है। यह सरासर गलत है। बिल के साथ मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है। जबकि बिलजी में खराबी आने पर पॉकेट से बनवाना पड़ता है।

- भोला प्रसाद।

आटा चक्की संचातकों को आयुष्मान कार्ड का लाभ मिलना चाहिए ताकि बीमार पड़ने पर उनका सही से इलाज हो सके। प्रशासन को ठोस योजना बनानी होगी। इससे डी कुछ फायदा सकता है।

- सुनील प्रसाद।

प्रशासन के अधिकारियों को आटा चण्पणी संचातयों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का हल करना पाहिए। आटा चक्की संचालन में सबसे बड़ी बाधा मीटर की है। इस समस्या का समधान जरूरी है।

- अनंत साह।

सरकार को आटा चक्की कारोबारी की समस्याओं पर ध्यान रखना चाहिए। आटा चक्की संचालन में सबसे बड़ी बधा बिजली की मंहगी दर गई। साथ गर महीने फिक्स चार्ज लिया जाता है। इससे यह घाटे का सौदा हित जा रहा है।

- परशुराम कुशवाहा।

उद्योग विभाग से छोटे व्यवसायियों के लिए ऋण की बात कही जाती है परंतु वहां से भी लाभ नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि लोगों के पास समय कम है। इसके चलते लोग पैकिंग वाला आटा खरीद रहे हैं।

- विनोद प्रसाद।

आंखों के सामने पिरुने वाला आटा ही सेहतमंद है। इसे लेकर लोगों को जगरूक करने की जरूरत है। बिजली का रेट अधिक होने की वजह से परेशानी होती है।

- अजय मांझी।

आटा चक्की मिल में कम लोग हो गेहू पिसाने आ रहे हैं जिसके कारण इस महंगाई के जमाने में बिजली बिल और घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।

- सुरेंद्र साह।

आटा चक्की में पिसने वाल आटा में कोई मिलावट नहीं होता है। यह सेहत के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है जो इसे तव्वजो दे।

- अभिराम प्रसाद।

सरकार आटा मिल संचालकों को बिजली बिल में सब्सिडी दे। इससे काफी हद तक परेशानी दूर हो सकती है। बिजली का रेट अधिक होने के वजह से परेशानी होती है।

- संतोष पड़ित।

आंखों के सामने निकलने वाले आटा को ही रसोई घर में प्रयोग करना चाहिए। इससे बीमारियां नहीं होती हैं। कई बार लोग इससे अंजान रहते हैं।

- धर्मेंद्र यादव।

आटा मिल संचालक की आमदनी नहीं बढ़ रही है। बिजली बिल ज्यादा होने के कारण सबसे ज्यादा आटा मिल संचालकों को परेशानी होती है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

- संजय साह।

आटा चक्की संचालकों को रियायत दर पर बिजली मिलनी चाहिए। बिजली का रेट अधिक होने के वजह से परेशानी होती है। पुरानी या खराब मशीनरी के कारण उत्पादन कम हो जाता है।

- भरत यादव।

तकनीकी में कमी कारण उत्पादन कम हो जाता है। सरकार को मशीन की खरीद पर सब्सिडी देनी चाहिए। बिजली की कमी से मिलों का संचालन बाधित होता है जिससे उत्पादन और लाभ कम हो जाता है।

- अभिषेक कुमार।

दिन प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है। आटा चक्की के कारोबार में काफी प्रतिस्पर्धा हो गई है। आटा चक्की बंद होकर फ्लोर मिल बना रहे हैं, इससे दिक्कत तो हो ही रही है। सरकार को आटा चक्की कारोबारी पर ध्यान देने की जरूरत है।

- परशुराम प्रसाद।

ग्राहक समय की बचत को वरीयता सूची में शामिल कर रहे हैं। इससे आटा चक्की का कारोबार करने वाले व्यापारियों को परेशानी हो रही है। महंगाई बढ़ी है लेकिन आटा मिल संचालक की आमदनी नहीं बढ़ रही है।

- आनंद यादव।

शहर में अब गिनती के ही आटा चक्की शेष रह गई है। जो लोग काफी समय से इस कारोबार से जुड़े थे, अब उन्होंने अपना कारोबार बदल दिया है। आंखों के सामने निकलने वाले आटा को ही रसोई घर में प्रयोग करना चाहिए। इससे बीमारियां नहीं होती हैं।

- विश्वनाथ यादव।

महंगाई से मुनाफा कम हो रहा है। काफी समय तक शहर की गली मोहल्ले में आटा चक्की हुआ करती थी। अब इनकी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी है। आज के दौर में लोग रेडीमेड माल को तवज्जो दे रहे है।

- श्रीराम साह।

बाजार में मिश्रित आटा को संचालकों के पास दिन भर में गिने चुने ही ग्राहक गेहूं की पिसाई कराने आते हैं जिससे काफी दिक्कत हो रही है। आटा चक्की कारोबारी पैकिंग और विज्ञापन का मुकाबला नहीं कर पा रहे है।

- भगाऊ मांझी।

यदि आटा चक्की कारोबार को बचाना है तो इस कारोबार को करने वाले लोगों को लिए प्रशासन को ठोस योजना बनानी होगी। इससे ही कुछ फायदा हो सकता है। आटा चक्की कारोबार को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।

- पिंटू प्रसाद।

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