बोले सीवान- बांस महंगा हुआ पर दउरा-सूप की उचित कीमत नहीं मिल रही
मल्लिक समाज के लोग जीवन-मृत्यु चक्र से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनकी पारंपरिक आजीविका बांस से बने उत्पादों की बिक्री है, लेकिन महंगाई और प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग ने उनकी स्थिति को प्रभावित...
मल्लिक समाज के लोग को जीवन-मृत्यु चक्र से मुक्ति देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इनके खुद का जीवन समस्याओं के भंवर में फंसकर छटपटाता दिख रहा है। मल्लिक समाज के लोगों को अपने जीवन यापन के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है। पूरे सीवान जिले में अमूनन सरयू नदी के किनारे से लेकर अन्य इलाकों में तकरीबन एक लाख से अधिक की आबादी बांसफोर लोगों की है। जिनमें गुठनी, सिसवन, सेलौर, नेपुरा, अंसाव, आंदर, हसनपुरा, हुसैनगंज, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, मैरवा, प्रखंड के गांवों में बांसफोर जाति के लोग बसे हैं। शवों के दाह संस्कार से लेकर सूप, डाला, टोकरी बनाने के इनके पुश्तैनी धंधे हैं। सरयू तटीय क्षेत्रों में निवास करने वाले मल्लिक समाज के लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया मुखाग्नि से होने वाली आय होता है। इसके अलावा ये लोग सफाई का काम भी करते हैं। बिना इनके द्वारा दिये गये अग्नि से शवों का दाह संस्कार संभव नहीं होता है। मुखाग्नि से होने वाले आमदनी या फिर चिता की आग से ही इनके चूल्हे जलते हैं। लोकआस्था के महापर्व के दौरान तो इनकी अहमियत काफी बढ़ जाती है। इन्हीं के द्वारा बनाये गये सूप और दौरा में पूजन सामग्री लेकर लोग भगवान भास्कर को अर्घ्य निवेदित करते हैं। छठ गीत-डोम भइया, सूप दीहू, छठी मइया आइहें, अंगनवा हमार जरिये इनकी प्रासंगिकता और महत्ता को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। शिक्षा के अभाव के कारण आज भी लोग आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते हैं। कचरे और गंदगी को साफ करने वाले लोगों के मोहल्ले कचरे और गंदगी से पटे पड़े दिखते हैं। इसलिए , सरकार को इसकी व्यवस्था करने की पहले को लेकर ये आवाज उठाना चाह रहे हैं। इनका कहना है कि हर स्तर पर इनके लिए अगर विशेष सहायता मिलेगी तो समाज की मुख्य धारा से जुड़कर कार्य करना होगा। अब शिक्षा के क्षेत्र में बांसफोर समाज पिछड़ा हुआ था, लेकिन हाल के वर्षों में जागरूकता बढ़ने से इनके बच्चे अब शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं और आरक्षण व्यवस्था से इनके लिए नई संभावनाएं खुल रही हैं। प्लास्टिक और मशीनों से बने उत्पादों ने इनके व्यवसाय को प्रभावित किया है। अब ये मजदूरी, निर्माण कार्य और अन्य अस्थायी नौकरियों की ओर बढ़ रहे हैं।
प्रस्तुति: प्रवीण कुमार तिवारी।
बांस हो गया है काफी मंहगा
बांस से सूप, डाला, दौरी बनाने वाले बांसफोर समाज के लोगों ने बताया कि बांस काफी महंगा हो गया है। पहले बांस आसपास ही मिल जाया करता था। अब उन्हें दूर से बांस लाना पड़ता है। लगातार बांस की कीमत बढ़ रहे हैं। इस वजह से सूप, डाला और दौरी की लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। लोगों को अपने उत्पाद का उचित कीमत नहीं मिल पाती है। बदलते जमाने में लोग प्लास्टिक या फिर पीतल या स्टील के बने सूप, डाला का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में उनके उत्पाद की मांग भी लगातार घटती जा रही है। हलांकि उनके द्वारा तैयारी किये गये सूप, डाला, दौरी अब भी लार, सलेमपुर, मैरवा, नौतन, दरौली, समेत दूसरे जगहों पर जाते हैं। बांसफोर समाज के लोगों ने सरकार से हस्त कलाकार का दर्जा देकर पुस्तैनी व परंपरागत धंधें को संवारने की दिशा में पहल करने की मांग की है। ताकि इनका भी जीवन संवर सकें। बांस से बने उत्पादों की मांग घटने और आधुनिक वस्तुओं के आने से इस समुदाय का पारंपरिक काम लगभग खत्म हो चुका है। नई आजीविका के साधन अपनाना इनके लिए आवश्यक है। बांसफोर समाज को श्रमिक और कारीगर समाजों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शिक्षा, सरकारी योजनाओं और राजनीतिक जागरूकता के कारण अब इनके विकास के रास्ते खुल रहे हैं। समाज को संगठित होकर शिक्षा और नए व्यवसायों की ओर बढ़ने की जरूरत है, जिससे यह आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके।
सुझाव
1. हस्त कलाकार का दर्जा देकर सरकार इनके परंपरागत और पुस्तैनी धंधे को संरक्षण दे सकती है।
2.बांसफोर जाति के लोगों को समुचित शिक्षा मिले, इसके लिए जाति बहुल्य क्षेत्र में विद्यालय की स्थापना हो।
3.आरक्षण का उचित लाभ भी बांसफोर जाति के लोगों को मिलना चाहिए।
4. समाज में छुआछूत को समाप्त करने को लेकर जनजागरण अभियान चलाना चाहिए।
5. समाज में बांसफोर को भी मुख्य धारा के लिए प्रयास होना चाहिए।
शिकायतें-
1.हमारी पुस्तैनी धंधें के संरक्षण के लिए सरकार को बिना ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।
2. उनके उत्पाद का उचित दाम नहीं मिलता है। उत्पाद को बेचने के लिए जगह नहीं रहने के कारण भी उन्हें कफी दिक्कत होती है।
3.सरकारी स्तर पर बच्चों के लिए व्यवस्था जो सरकार दे रही है उसका लाभ स्थानीय स्तर पर ठीक से मिले
4.सरयू नदी के तटों पर मुखाग्नि देने वाले लोगों के आवासन की कोई व्यवस्था नहीं होती है, इस वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है।
5. समाज में मलिक समाज के अनपढ़ लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर सफाई के अलावा दूसरे भी दें।
हमारी भी सुनिए
1.अब लोग प्लास्टिक के सूप या डाला का उपयोग करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में हमारे उत्पाद की मांग लगातार घटती जा रही है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- कमलेश बांसफोर
2. बांस को वंश कहा गया है। लोग बांस के बने सूप व डाला का इस्तेमाल करते थे। लेकिन, इस अवधारणा को मानने वाले कम लोग रह गये हैं, ऐसी स्थिति में उनका पुस्तैनी धंधा समाप्त होने के कगार पर है।
- अरुण बांसफोर
3. शिक्षा, सरकारी योजनाओं और राजनीतिक जागरूकता के कारण अब इनके विकास के रास्ते खुल रहे हैं। समाज को संगठित होकर इसका लाभ लेना चाहिए।
- दुर्गेश बांसफोर
4. हमें गरीबी की जिंदगी से उबारने के लिए सरकार विशेष पहल कर रही है। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका लाभ लेने के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। इससे मुक्ति मिलनी चाहिए।
- विनय बांसफोर
5.बुनकर के समान हमारे समाज को भी सम्मानजनक पेशा से जोड़ना चाहिए। इससे लोगों को अपनी परेशानी से निकलने में परेशानी नहीं होती है। इससे इनका आर्थिकस्तर भी सुधरेगा।
- अनीता देवी
6.जमीन के अभाव में आवास योजना का लाभ मिलने में परेशानी होती है। सरकार को हमारी बिरादरी के लोगों के लिए कॉलोनी का निर्माण करना चाहिए।
- रातरानी देवी
7.महिलाएं को अपने पुस्तैनी धंधा करने की मजबूरी है। लेकिन उनके उत्पादों की मांग लगातार घटती जा रही है और इस वजह से जीविकोपार्जन लायक आमदनी उन्हें नहीं हो पाती है।
- सरिता देवी
8. पूंजी के अभाव में पंरपरागत पुस्तैनी धंधा प्रभावित होने के कारण मजबूरन सफाई कार्य करना पड़ता है। समाज की गंदगी साफ करने वाले हमारे जैसे लोगों को गंदगी के माहौल में रहने की विवशता है
- संजीव बांसफोर
9. आज भी जब हम सूप, डाला आदि लेकर कहीं जाते हैं, तो हमारे वहां से लौटने के बाद लोग उक्त स्थल को पानी से साफ करते है। इसलिए हमें समाज को और आगे बढाने के लिए योजना बनानी होगी।
- विजय बांसफोर,
10.सरकार हमारी बिरादरी के लोगों को हस्त कलाकार का दर्जा देकर धंधें के संरक्षण के लिए विशेष मदद करें, तभी लोगों की जिंदगी संवर सकती है।
- बीरेंद्र बांसफोर
11.परंपरागत पुस्तैनी धंधें की लौ मद्धिम पड़ने की वजह से जीविकोपार्जन के लिए हमें मजदूरी या अन्य काम करने पड़ रहे हैं। हमें उचित मजदूरी भी नहीं मिलती है
- बादल बांसफोर,
12.सरयू नदी किनारे पर खुले आसमान के नीचे सालोंभर धूप, वर्षा, गर्मी, ठंड का दंश झेलते हैं। गंगातट पर रहने के लिए सरकार को आशियाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
- विकास बांसफोर,
13. हमारे समाज के लोगों को आज भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए परेशानी होती है। घरों को बनाने के लिए जमीन और आवास के लिए राशि भी मिलनी चाहिए।
- गंगा बांसफोर
14. कोरोना की विभीषिका के दौरान भी हमनें अपनी जान हथेली में रखकर सरयू नदी के तट पर अहर्निश डटे रहे। सरकार को हमारे बेहतरी के लिए विशेष पहल करने की दरकार है।
- सरयू बांसफोर
15. आज के हाइटेक जमाने में भी समाज के लोगों का हमारी बिरादरी के प्रति सममान देकर हमारे हस्तकला को उचित सम्मान देना होगा। हम भी अपनी कलाकारी से समाज में नईिदशा प्रदान करते हैं। ये एक पारंपरिक पेशा है।
- अशोक बांसफोर
16. समाज को संगठित होकर शिक्षा और नए व्यवसायों की ओर बढ़ने की जरूरत है, जिससे यह आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके। हम लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य हो।
- किशोर बांसफोर
17.सरकार के द्वारा उत्थान को लेकर चलायी जाने वाली योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है और इस वजह से समाज की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
- नरेश बांसफोर
18.सरकार को मल्लिक समाज के लोगों को परंपरागत हुनर को बढ़ाने के लिए समय समय पर प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि हुनरमंद होकर मल्लिक समाज अपने उत्पाद को और बेहतर कर बाजार में उतार सकें।
- धनंजय बांसफोर
19. लोगों की बेहतरी के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। मल्लिक समाज के लोगों को अपने बच्चों को शिक्षा पर अपेक्षित ध्यान देना होना, तभी उनका तथा उनके बच्चों का भविष्य संवर सकता है।
- बचनी देवी
20.बांसफोर समेत महादलित समुदाय के लोगों के विकास के लिए सरकार द्वारा अलग व्यवस्था होनी चाहिए। युवा अपने परंपरागत व्यवसाय से मुंह मोड़ रहे हैं। इन्हें कौशल विकास की ट्रेनिंग देकर इनके रोजगार की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।
- बबीता देवी
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