अस्ताचलगामी सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य, की सुख-समृद्धि की कामना
रघुनाथपुर में चैती छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने पूजा के सामान के साथ घाट पर पहुंचकर छठी मइया की आराधना की। घाट को सजाने के लिए कई समितियों ने...

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। लोकआस्था का महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया व सुख-समृद्वि की कामना की। चार दिवसीय इस महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह और उमंग भी दिखा। घाट पर जाने से पहले बांस या मुज के नेरुआ से बनी टोकरी को मौसमी फल, ठेकुआ व पूजा का सामान के साथ सजाया गया। नंगे पांव श्रद्धालु घाट पर पहुंच छठी मइया की आराधना की। घाट तक सिर पर टोकरी रखकर ले जाने वाले भी नंगे पांव ही छठ घाट पर गए। घाट पर मौजूद रहे पंडितों ने बताया कि शाम के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से उनकी पत्नी प्रत्युषा की भी उपासना हो जाती है। इससे व्रती की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं। शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ महापर्व का समापन होगा। चैती छठ को लेकर छठ पूजा समितियां घाट पर सजावट कर रखीं थी। घाट को पूजा समितियों ने सजाया था स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा छठ घाट को अच्छी तरह से सजाया है। कार्तिक मास की छठ पूजा की तरह चैती छठ में व्रतियों की न तो भीड़ दिखी न उस तरह की व्यवस्था। बावजूद लोकआस्था के इस पर्व को लेकर व्रतियों और उनके परिजनों में उत्साह हम नहीं दिखा। तालाब-पोखर अधिकतर जगह सूखे हुए थे। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पंपसेट से अर्घ्य देने लायक पानी भरा। जिससे शाम में व्रती अर्घ्य दिए।
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