मौलाना मजहरूल का आशियाना सजकर तैयार, जयंती आज
हुसैनगंज के फरीदपुर गांव में मौलाना मजहरूल हक की 158वीं जयंती समारोह मनाया जा रहा है। समारोह के लिए आशियाना को सजाया गया है। कार्यक्रम में मौलाना की मजार पर चादरपोशी, माल्यार्पण और उनके कार्यों के...
हुसैनगंज, एक संवाददाता। प्रखंड की बघौनी पंचायत अंतर्गत फरीदपुर गांव स्थित मौलाना मजहरुल हक का आशियाना रविवार को उनकी 158 वीं जयंती समारोह के लिए सज धज कर तैयार है। मौलाना की जयंती को यादगार बनाने के लिए कई हफ्तों से आशियाना परिसर व मौलाना की मजार के आसपास साफ - सफाई का कार्य चल रहा था, जिसे पूरा कर लिया गया है। वहीं रंग रोगन के साथ नए अंदाज में मौलाना का आशियाना भी सजकर तैयार है। कार्यक्रम की रूपरेखा हुसैनगंज बीडीओ राहुल कुमार ने द्वारा तैयार की गई है। रविवार 22 दिसंबर को पूर्वाह्न 11 बजे मुख्य अतिथि, मौलाना के परिजन व पदाधिकारी मौलाना मजहरूल हक साहब की मजार पर चादरपोशी कर उन्हे खिराजे अकीदत पेश करेंगे। इसके बाद सभी स्टेज पर आयेंगे और वहां लगे मौलाना साहब के तैलचीत्र पर माल्यार्पण किया जायेगा। फिर मौलाना मजहरूल हक साहब के सम्मान में अतिथियों द्वारा उद्गार किया जाएगा। इस दौरान वहां उपस्थित ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को मौलाना मजहरूल हक के द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों के बारे में बताया जाएगा। तत्पश्चात अतिथि एवं सभी पदाधिकारी विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण करेंगे। स्टॉल निरीक्षण के बाद मौलाना मजहरूल हक के आशियाने में अतिथियों का आगमन होगा और फिर वहां से सभी अतिथि प्रस्थान कर जायेंगे। मौलाना की जयंती का समारोह ग्यारह बजे पूर्वाह्न से शुरू होकर 12 बजे मध्याह्न तक समाप्त हो जायेगा। इस दौरान सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था के मद्देनजर पूरे आशियाना परिसर में अंदर व बाहर दोनों तरफ पुलिस बल की तैनाती रहेगी। वहीं किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधित इमरजेंसी के लिए दवाएं एवं एंबुलेंस के साथ साथ चिकित्सक भी मौजूद रहेंगे। आकस्मिक दुर्घटना से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड को भी तैनात किया जाएगा। हिन्दू- मुस्लिम एकता की मिसाल थे मौलाना मजहरूल हक आज से 158 साल पहले आज ही के दिन पटना के मनेर थाना क्षेत्र के ब्रह्मपुर में 22 दिसंबर 1866 को जमींदार घराने में मौलाना मजहरूल हक का जन्म हुआ था। उन्होंने सन 1886 में पटना कॉलेजिएट स्कूल से मैट्रिक पास किया और फिर 1887 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। मगर यहां कॉलेज का सिस्टम उन्हें रास नहीं आया और वो लंदन बैरिस्टरी करने चले गए। यहां उन्होंने अपने देश के लोगों की दशा को बेहतर बनाने के लिए एक अंजुमन बनाया और सभी धर्म के युवाओं को देश की हालत बेहतर बनाने के लिए इस अंजुमन से जुड़ने का आह्वान किया। इसी दौरान लंदन में मौलाना मजहरूल हक की पहली मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। महात्मा गांधी मौलाना साहब के विचारों से बेहद प्रसन्न हुए। 1891 में बैरिस्टर की पढ़ाई मुकम्मल कर भारत लौटे और फिर वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। 1900 में उन्होंने सीवान जिले के हुसैनगंज प्रखंड अंतर्गत फरीदपुर गांव में आशियाना का निर्माण कराया । उस समय मौलाना का आशियाना राजनीतिक हलचल का केंद्र हुआ करता था। आशियाना में 1926 में पंडित मोतीलाल नेहरू, 1927 में सरोजनी नायडू व 1928 में मदन मोहन मालवीय, केएफ नरीमन व मौलाना अबुल कलाम भी यहां आए थे। मौलाना मजहरूल हक को उनके कार्यों के लिए कौमी एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। फरीदपुर स्थित आशियाना में उन्होंने 2 जनवरी 1930 को अंतिम सांस ली।
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