Hindi Newsबिहार न्यूज़सीतामढ़ीPeople from flood affected areas are sending children and women

बाढ़ प्रभावित इलाके के लोग बच्चों व महिलाओं को भेज रहे मायके

किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली बारिश अब आफत बनकर बरस रही है। जिले की बागमती व अधवारा समूह की नदियां उफन पर है। सुप्पी में बागमती की धार से लगभग दौ सौ एकड़ जमीन का कटाव हो गया है। जिसे देख बाढ़...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतामढ़ीTue, 30 June 2020 10:44 PM
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किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली बारिश अब आफत बनकर बरस रही है। जिले की बागमती व अधवारा समूह की नदियां उफन पर है। सुप्पी में बागमती की धार से लगभग दौ सौ एकड़ जमीन का कटाव हो गया है। जिसे देख बाढ़ प्रभावित इलाके के लोग बाढ़ से पहले बच्चे, पत्नी व अन्य महिलाओं को उनके मायके भेज रहे है। ताकि बाढ़ आने पर पिछले साथ की तरह भूखे-प्यासे खुले आकाश के नीचे बाढ़-बरसात की मुसीबत का सामना नहीं करना पड़े। सुप्पी में जमला-परसा व अख्ता गांव के निचले हिस्से में बागमती नदी का पानी फैलने से लोगों में दहशत का माहौल है। बागमती नदी की धार में अबतक लगभग दो सौ एकड़ से अधिक जमीन का कटाव हो चुका है।

15 के बदले मात्र पांच फुट हुआ मिट्टीकरण:

जमला के रामनाथ राय बताते है कि जमला-परसा के लगभग 650 मिटर में टुटे बांध की मरम्मत 13 जुलाई 2019 से शुरू किया गया। अभी तक मात्र पांच फुट ही मिट्टीकरण किया गया हैं। जबकि 15 फुट मिट्टीकरण विगत 15 जून तक ही किया जाना था। बारिश के कारण तटबंध निर्माण कार्य बंद हो गया है। यदि बाढ़ आयी तो आधा-अधूरा तटबंध बाढ़ का दवाब सहन नहीं कर पायेगी। इस कारण इलाके के लोग संभावित बाढ़ का खतरा को देखते हुए लोग चिंतित है। वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से बाढ़ प्रभावित गांव जमला, परसा, बराही सहित चार-पांच गांवों के लोग बच्चों व महिलाओं को मायके व अन्य रिश्तेदार के यहां भेजे रहे। साथ ही बाढ़ को लेकर लोग रेलवे लाईव व टूटान स्थल के बीच बांध पर उंचे स्थल का चयन कर करना शुरू कर दिए है। साथ ही खाने-पीने के सामान भी सुरक्षित कर रहे हंै।

विगत साल दो माह तक लोग रहना पड़ा था:

जमला के रामायण साह ने कि विगत साल आयी प्रलयंकारी बाढ़ के दौरान हजारों परिवार को लगभग दो माह तक बांध पर खुले आसामन के नीचे रात गुजारनी पड़ी थी। भूखे-प्यासे भी रहना पड़ा था। धान व गन्ना की फसला भी बर्बाद हो गई थी।

बांध पर जगह-जगह बना रैन कट:

लोगों ने बताया कि जमला से अख्ता तक पुराना बंध में रैनकट बन गया है। यदि बाढ़ के दौरान बांध टूटी तो सुप्पी प्रखंड के अलावा जिले में फिर से भारी तबाही मचेगी। उन्होंने बताया कि संबंधित ठेकेदार व अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक तटबंध मरम्मत कार्य पूरा नहीं किया। जिसका खामियाजा बाढ़ आने पर प्रखंड के साथ जिलेवासियों को भुगतना पड़ सकता है।

बयान

बांध पर नयी मिट्टीकरण किए गए स्थल पर रैनकट को बालू से बोरा को रखकर मरम्मत की जा रही है। टूटान स्थल पर मौसम ठीक होते ही मिट्टीकरण का कार्य शुरु किया जाएगा। टूटान स्थल पर पांच हजार बोरा में बालू भरकर रखा गया है।

जमील अंसारी, कार्यपालक अभियंता, बागमती सिंचाई विभाग

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