रीगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नवजात की मौत, बवाल
रीगा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हालात बेहद खराब हैं। रात में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे होता है। हाल ही में, एक नवजात की मौत अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और कर्मियों की लापरवाही के कारण हुई।...
रीगा। प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हाल इन दिनों बेहाल हो गई है। रात्रि के समय स्वास्थ्य केंद्र में आये मरीजो का इलाज भगवान भरोसे ही होता है। इसी कड़ी में प्रखंड क्षेत्र के रीगा प्रथम पंचायत अंतर्गत रीगा गोट निवासी संजय सहनी ने अपनी भाभो को स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार की रात प्रसव के लिए भर्ती कराया। 24 घंटे बित जाने के बाद मंगलवार की रात करीब 11 बजे में प्रसव के उपरांत जन्मे नवजात की मौत हो गई। परिजनों द्वारा अस्पताल में हंगामा किया गया। बाद में आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया, जिसके बाद बवाल शांत हुआ। हैरान तो लोग तब हो गए जब अस्पताल के रोस्टर के अनुसार कोई भी चिकित्सक अस्पताल में नही थे। परिजनों द्वारा बताया गया कि अस्पताल के कर्मी की लापरवाही के कारण नवजात की मौत हो गई। वहीं हंगामा व बिना चिकित्सक के अस्पताल का दृश्य देख रात करीब 11 बजे प्रसव के लिए आई कई गर्भवती महिला अपने परिजनों के साथ निजी नर्सिंग होम में चली गई।
मौजूद लोगों द्वारा बताया गया कि संसाधन वाले लोग तो अपने लोगो का प्रसव निजी किसी बड़े अस्पताल में करवा लेते है। वही गरीब असहाय लोग जिनके पास संसाधन का अभाव है वो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आकर कभी बच्चे तो कभी गर्भवती महिला चिकित्सको के अभाव में तो कभी कर्मी की लापरवाही के कारण काल के गाल में समय से पहले समा जाती है। वही बताया गया की केंद्र में पदस्थापित अधिकांश चिकित्सक अपने निजी क्लिनिक चलते है जिसको लेकर दिन रात निजी क्लिनिक में व्यस्त रहते है समय मिलने पर सरकारी अस्पताल में आते है। ज्ञात हो कि बीते 24 अक्टूबर को जख्मी हुए एक महिला पुलिस कर्मी जो घंटो बिना चिकित्सक के कराहती रही। जिसके बाद अन्य कर्मियों के द्वारा महिला पुलिस कर्मी का इलाज किया जा रहा था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हुआ था। स्थानीय लोगो द्वारा बताया गया कि दिन में तो जैसे तैसे चल जाती है रात में बिना चिकित्सक के अस्पताल भगवान भरोसे ही रहती है।
मरीज़ों ने कहा न देते है बेडसीट और नही मिलती है कंबल
रीगा गांव निवासी सुदामा देवी खरसान गांव निबासी उपेन्द्री देवी,बभनगामा निबासी सीता देवी सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि अस्पताल में इस ठंड के महीने में ना ही कंबल दिया गया है और ना ही बेडसीट दिया जाता है। खून लगे बेड पर ही मजबूरी में प्रसूता को लेटाकर प्रसव के लिए 24 से 48 घंटे या अधित इंतजार करना होता है। बताया गया कि प्रसव के लिए आई महिलाओं का परिजन अस्पताल में सारी रात ठंड में घर से लाये गमछा या चादर के सहारे रात काटते है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टोर में नही है कंबल
इस संदर्भ में जब केंद्र के प्रबंधक हरिकिशोर सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन पर बात करना मुनासिब नही समझा। जबकि इस संदर्भ में स्टोर इंचार्ज अभिषेक कुमार ने बताया कि स्टोर में कंबल नही है इसी लिए आये हुए मरीजो को कंबल नही दिया जाता है। वही जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्राभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बाल कृष्ण कुमार से बात किया गया तो उन्होंने लीपा पोती करते हुए बताया कि अस्पताल के सभी बेड पर कंबल और बेड सीट रहती है जबकि आधा दर्जन मरीजो एवं उनके परिजनों ने बताया कि कंबल नही दिया जाता है साथ ही डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि अस्पताल में कंबल नही है क्यो नही है हमे इसकी जानकारी नही है।
बयान:
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के उपरांत नवजात की मौत की जानकारी मिली है। जांच करायी जा रही है कि किसकी लापरवाही है। वहां हुए बवाल मेरे संज्ञान में है। रोस्टर के अनुसार जिन चिकित्सको व कर्मी की ड्यूटी थी उन सब पर जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ अमृत किशोर, प्रभारी सिविल सर्जन
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