डेढ़ दशक से सभी पद खाली लाइब्रेरियन बनने का इंतजार
बिहार में 2008 से लाइब्रेरियन की भर्ती नहीं हुई है। लाखों योग्य उम्मीदवार नौकरी की तलाश में हैं। पुस्तकालयों में लाइब्रेरियन के अभाव में व्यवस्था बिगड़ गई है, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को कठिनाइयों...
सूबे में वर्ष 2008 से लाइब्रेरियन या पुस्तकालध्यक्ष के पद पर बहाली नहीं हुई है। लाखों डिग्री या डिप्लोमाधारी अभ्यर्थी नौकरी के इंतजार में टकटकी लगाए हैं। स्कूल -कॉलेजों, पब्लिक लाइब्रेरियों में सभी पद खाली हैं। लाइब्रेरियन नहीं होने से पुस्तकालयों की व्यवस्था चरमरा गई है। शोधार्थी-विद्यार्थी एवं विद्वानों को अध्ययन में दिक्कत हो रही है। नियमित रखरखाव नहीं होने से प्राचीन पुस्तकों की विरासत खतरे में है। इसके बावजूद लाइब्रेरियन बहाली की पहल नहीं हो रही है। ये बातें कहते हुए लाइब्रेरियन एसोशिएशन के जिलाध्यक्ष शरद कुमार सिंह बताते हैं कि ऐसी स्थिति से ट्रेंड लाइब्रेरियन हताश हैं। उन्हें समय गुजरने के साथ लाइब्रेरियन बनने की निर्धारित उम्र सीमा बीतने का डर सता रहा है। ट्रेंड लाइब्रेरियन अभ्यर्थी मजबूरी में संगठन बनाकर आवाज उठा रहे हैं पर कोई सुन ही नहीं रहा है।
धूल-गर्द से दबकर बर्बाद हो रहीं पुस्तकें
शरद कुमार ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2008 में पुस्तकालय नियमावली लागू की, फिर भी शिक्षा विभाग में लाइब्रेरियन बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। इस वजह से बेरोजगार लाइब्रेरियन की संख्या बढ़ती जा रही है। अकेले दरभंगा जिले में करीब एक लाख ट्रेंड लाइब्रेरियन हैं जो नौकरी के अभाव में आर्थिक दुश्वारी झेल रहे हैं। साथ ही लाइब्रेरी में भी बदहाली पसर रही है। उन्होंने बताया कि पुस्तकालय के लिए लाइब्रेरियन माली के समान होते हैं। माली के अभाव में जैसे बागान सूख जाता है वैसी ही स्थिति आज पुस्तकालयों की हो चुकी है। पुराने कर्मी रिटायर होते गए, पर नई तैनाती नहीं हुई। देखरेख के बिना धूल-गर्द से दबकर पुस्तकें बर्बाद हो रही हैं। जिले की एकेडमिक लाइब्रेरियों में भी ऐसे ही हालात हैं। ट्रेंड लाइब्रेरियन के अभाव में दूसरे विभाग के कर्मियों से काम चलाया जा रहा है। वे लाइब्रेरी की व्यवस्था सुचारू रखने में दक्ष नहीं हैं क्योंकि उन्हें तकनीकी नॉलेज ही प्राप्त नहीं है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
लनामिवि में नहीं शुरू हुई एमलिस की पढ़ाई
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 1976 से लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन सांइस की पढ़ाई हो रही है। यहां से बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन सांइस (बीलिस) की डिग्री छात्र प्राप्त करते हैं, पर आगे की पढ़ाई का रास्ता बंद है। विश्वविद्यालय के सेंट्रल पुस्तकालय में संचालित लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन सांइस में बीलिस के लिए 500 सीटें निर्धारित हैं। संस्थान के शिक्षक गंगाराम प्रसाद बताते हैं कि विशेषज्ञों की कमी है। इसके चलते मास्टर ऑफ लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन सांइस (एमलिस) की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। इसी वजह से लाइब्रेरी सांइस में पीएचडी की भी पढ़ाई छात्र नहीं कर पाते हैं। विश्वविद्यालय इस कमी को पहले दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के जरिए पूरी कर रहा था, वह भी वर्षों पूर्व बंद हो चुका है। उन्होंने बताया कि हाल में विश्वविद्यालय प्रशासन ने लाइब्रेरी सांइस की पढ़ाई को लेकर कई सकारात्मक पहल की है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में एमलिस की पढ़ाई भी शुरू होगी।
करीब सभी पद खाली
छात्र नेता प्रिंस राज इस स्थिति के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेवार करार देते हैं। बताते हैं कि विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन सांइस संस्थान की पढ़ाई भगवान भरोसे है। दशकों से यहां एकेडमिक निदेशक की तैनाती नहीं हुई है। अधिकतर पद रिक्त पड़े हैं। विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नियुक्ति हो रही है, पर लाइब्रेरी की पढ़ाई-व्यवस्था संचालन के लिए गैर विशेषज्ञों को तैनात कर काम चलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मिथिला विश्वविद्यालय में सेंट्रल लाइब्रेरी एवं राज पुस्तकालय के तौर पर दो संस्थान हैं। सेंट्रल लाइब्रेरी में निदेशक सहित कुल 44 पद हैं, जबकि राज पुस्तकालय में 56 स्वीकृत हैं। दोनों पुस्तकालयों के करीब सभी पद खाली हंै। चतुर्थवर्गीय कर्मियों के भरोसे संस्थान की व्यवस्था है। इस स्थिति में छात्र लाइब्रेरी एंड सांइस की पढ़ाई करते होंगे इसे समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के 22 पीजी विभाग एवं 42 संबद्ध महाविद्यालयों के पुस्तकालय की भी ऐसी ही स्थिति है।
जहां 500 पुस्तकें, वहां लाइब्रेरियन की तैनाती का है प्रावधान
पुस्तकालय नियमावली 2008 के जानकारों की मानें तो जहां भी 500 से अधिक पुस्तकें हैं वहां लाइब्रेरियन की नियुक्ति होनी चाहिए। बिहार विधानसभा के पिछले सत्र में शिक्षा मंत्री ने भी 500 से अधिक पुस्तकें मौजूद होने पर लाइब्रेरियन की बहाली करने का आश्वासन दिया है। बावजूद जमीनी कवायद शुरू नहीं हुई है। लाइब्रेरी सांइस के शिक्षक मिथलेश पासवान, रंजीत महतो आदि बताते हैं कि इस लिहाज से जिले के 1165 प्राथमिक, 312 माध्यमिक एवं 70 से अधिक उच्च विद्यालयों में लाइब्रेरियन की आवश्यकता है। साथ ही शहर से लेकर गांव तक सैकड़ों पुस्तकालय हैं जहां दो से पांच हजार तक पुस्तकें मौजूद हैं। शिक्षा मंत्री ने भी भरे सदन में घोषणा की है। इसके बावजूद जिले के विद्यालयों एवं पब्लिक पुस्तकालयों में लाइब्रेरियन पद सृजन की सूची भी तैयार नहीं हुई है। इस स्थिति में लाइब्रेरियन की बहाली भी होती है तो अधिकतर पुस्तकालयों में तैनाती नहीं हो पाएगी। बहरहाल जिले के विद्यालयों, कॉलेजों, पब्लिक लाइब्रेरी के साथ दरभंगा मेडिकल कॉलेज में भी लाइब्रेरियन का अभाव बरकरार है। इससे अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हो रहा है और पुस्तकों की सौंधी खुशबू से छात्र दूर हो रहे हैं।
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