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जनवरी में कड़ाके की ठंड से गेहूं मक्के को मिला बड़ा लाभ

सीतामढ़ी में जनवरी माह की ठंड ने गेहूं और मक्की की फसल के उत्पादन में 10% वृद्धि की संभावना बनाई है। किसानों में खुशी है क्योंकि इससे उनकी आमदनी बढ़ने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं का...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतामढ़ीSun, 19 Jan 2025 01:19 AM
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सीतामढ़ी। जनवरी माह की ठंड गेहूं और मक्की की फसल के लिए वरदान साबित हुई है। दोनों फसलों के दस-दस फीसदी तक अधिक उत्पादन की कृषि विशेषज्ञ संभावना जाता रहे हैं। इन संभावना पर किसानों में भी हर्ष है। शीतलहर व ठंड ने रबी की प्रमुख फसल गेहूं एवं मकई के लिए सोने पर सुहागा साबित हुआ है। कृषि जानकार बताते हैं कि गेहूं और मक्के के उत्पादन में काम से कम 10 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद जग गई है। जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार ने बताया कि गेहूं की फसल की लाइफ साइकिल बढ़ने से जर्मिनेशन के बाद पॉलिनेशन एवं दाना पुष्ट होने में बड़ी मदद मिल रही है। बेहतर उत्पादन से अच्छी मुनाफा :

मौसम के साथ होने से जिले के किसानों में काफी हर्ष है। अधिक उत्पादन होने से किसानों को अधिक मुनाफा होने की उम्मीद जग गई है। प्रगतिशील किसान अरुण कुमार, संतोष कुमार, बिंदेश्वर साह, देवकांत महतो, शंभू भगत ने बताया कि जिले में समान रूप से प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है। लेकिन बदले मौसम के बाद इस वर्ष गेहूं का उत्पादन बढ़कर 32 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होने की उम्मीद बन रही है। इसी प्रकार मक्के का उत्पादन जिले में समान परिस्थितियों में 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता था। लेकिन इस वर्ष मक्के का 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि इस बार जिले में एक लाख पांच हजार 342 हेक्टेयर में रबी फसल की खेती की गई है।

किसानों के लिए सलाह : लाही और पाला से बचाव के लिए अनुशंसित मात्रा में दवा का छिड़काव करें। सुबह के समय पिछात सरसों की फसल पर राख का छिड़काव करें। गेहंू की आगात व पिछात बुआाई वाले खेतों में जरूरी के अनुसार सिंचाई करें। सरसों के फसल में यदि सफेद रतुवा रोग दिखे तो सल्फर का छिड़काव करें।

इस बार गेहूं व मक्के की खेती काफी बेहतर है। दोनों फसलों के लिए जनवरी की ठंड वरदान साबित हो रही है। अच्छी उपज से किसानों को अच्छी आमदनी भी होगी।

- डॉ. राम ईश्वर प्रसाद, वरीय सह प्रधान कृषि वैज्ञानिक, कृषि केंद्र

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