तीन दिन से जारी हड़ताल से सरकारी अस्पतालों की ओपीडी ठप, इमरजेंसी में दबाव
सीतामढ़ी में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की हड़ताल का मरीजों पर गंभीर असर पड़ा है। तीन दिनों में 5000 से अधिक मरीजों का इलाज नहीं हो सका। ओपीडी बंद रहने से मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा और उन्हें...

सीतामढ़ी। सरकारी अस्पतालों में जारी चिकित्सकों की हड़ताल का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। विगत तीन दिनों में जिले के अस्पतालों में पांच हजार से अधिक मरीजों का इलाज नहीं हो सका। सामान्य दिनों में जिला के अस्पतालों की ओपीडी में औसतन 16 सौ - 18 सौ से अधिक मरीज पहुंचते थे, लेकिन हड़ताल के कारण अधिकतर को बिना इलाज ही लौटना पड़ा। ओपीडी बंद रहने से मरीज को बैरंग वापस होना पड़ा है। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, सदर अस्पताल, में प्रतिदिन औसतन 600-700 मरीजों का इलाज होता था, लेकिन हड़ताल के चलते यहां सन्नाटा पसरा रहा। सरकारी अस्पतालों में इलाज की आस लेकर आने वाले मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
इमरजेंसी सेवाओं पर बढ़ा दबाव:
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दिनभर मरीजों का जमावड़ा लगा रहा है। जिसमें कई मरीज जब देखे की ओपीडी बंद है तो वे इमरजेंसी का पूर्जा कटवाकर इमरजेंसी में पहुंच जा रहे थे। जिससे इमरजेंसी में तैनता चिकित्सक व कर्मी परेशान आए। आलम है कि तैनात चिकित्सक अशोक कुमार सिंह ने बताया जहां इमरजेंसी में एक दिन में 30 से 40 मरीज कभी आया हो। लेकिन हड़ताल के कारण ओपीडी बंद रहने से शनिवार को दोपहर तक 183 मरीज देखे जा चुकें हैं। उन्होंने कहा बढ़ते गर्मी के कारण सर्प दंस जैसे इमरजेंसी मरीजों की संख्या बढ़ गयी है। इसके अलावे अपनी समस्या बताते समान्य बीमार मरीज भी इमरजेंसी में आ रहे हैं। जहां उनका भी इलाज किया जा रहा है। लेकिन इमरजेंसी में बढ़ते मरीजों की भीड़ के कारण परेशानी बढ़ी हुयी है। वहीं पीएचसी और सीएचसी स्तर के अस्पतालों में भी ओपीडी सेवाएं प्रभावित हैं। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को जारी रखा गया है, लेकिन वहां मरीजों की संख्या सामान्य से अधिक हो गई है। डॉक्टरों की सीमित संख्या के कारण इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है।
मरीजों की बढ़ी परेशानी:
गांवों से आए एक मरीज के परिजन ने बताया, हम दो दिन से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं हैं। प्राइवेट अस्पताल जाने के लिए पैसे नहीं हैं, अब क्या करें? वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही इस हड़ताल का हल नहीं निकला, तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
क्या है डॉक्टरों की मांग?
हड़ताल कर रहे चिकित्सकों व भासा के जिला मंत्री डॉ.मुकेश कुमार का कहना है कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। चिकित्सक कहते हैं जब तक सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। अब यह देखना होगा रविवार को वैसे भी ओपीडी बंद रहती है। सोमवार से क्या होगा लोग कहते हैं यदि सोमवार से सरकारी अस्पताल का ओपीडी संचालित नहीं हुआ तो मरीजों को काफी दिक्कत होगी।
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