अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बंद, जांच के लिए पांच किमी का सफर
कोरोना काल में राज्य सरकार एक तरफ स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए घोषणा कर रही हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित अतिरिक्त स्वास्थ्य...
परिहार | एक संवाददाता
कोरोना काल में राज्य सरकार एक तरफ स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए घोषणा कर रही हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। प्रखंड के बेला मच्छपकौनी पंचायत में स्थापित एकमात्र अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का भी कुछ ऐसा ही हाल है। इसका खामियाजा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना काल में सर्दी-खांसी व बुखार से ग्रस्ति लोगों को प्रखंड मुख्यालय स्थिति पीएचसी में इलाज के लिए जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि एक तो यहां स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है्र। दूसरा लोगों में कोरोना जांच व टीकाकरण के प्रति जागरूकता का भी अभाव है। ग्रामीणों ने बताया कि अधिकांश लोग सर्दी-खांसी व बुखार होने पर झोला डॉक्टर से इलाज कराते है। जब स्थिति बिगड़ती है तो शहर केअस्पताल में ले जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि एक माह पहले कोविड जांच शिविर लगाया गया था। जिसमें तीन व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद अभी जांच शिविर नहीं लगा है। पंचायत की आबादी 18 हजार आबादी है। सर्दी-खांसी की शिकायत होने पर प्रखंड मुख्यालय स्थित पीएचसी 12 किमी दूर होने के कारण जांच कराने नहीं जाते है। केविड जांच व टीकाकरण जांच के प्रति लोग उदासीन बने है।
खंडहर में तब्दील अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीण सह कवयित्री प्रीति सुमन ने बताया कि यहां पर डॉक्टर व एएनएम कभी नहीं आते है। स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्वास्थ्य केंद्र परिसर में पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था भी नहीं हैं। ग्रामीण द्वारा कइ बार स्वास्थ्य केंद्र को पुन: खोलने के लिए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग एवं जनप्रतिनिधियों से मांग कर चुका है। सांसद सुनील कुमार पिंटू ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान स्वास्थ्य केंद्र चालू कराने का आवाश्वन दिया था। लेकिन केंद्र चालू नहीं हुआ। गांव के लोगों को सर्दी-खांसी होने पर झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराते है और बाजार से दवा लाते है।
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