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किराना कारोबारियों को बैंक से मिले लोन तो बढ़ेगा व्यवसाय

शहर के हर चौक-चौराहों से लेकर गांवों की गली-मोहल्लों तक किराना दुकान दिखाई देगा अमीर से लेकर गरीब लोगों की उक्त दुकान की आवश्यकता पड़ती है

Newswrap हिन्दुस्तान, सासारामFri, 21 Feb 2025 05:57 PM
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किराना कारोबारियों को बैंक से मिले लोन तो बढ़ेगा व्यवसाय

शहर के हर चौक-चौराहों से लेकर गांवों की गली-मोहल्लों तक किराना दुकान दिखाई देगा। अमीर से लेकर गरीब लोगों की उक्त दुकान की आवश्यकता पड़ती है। चावल-दाल से लेकर सर्फ व साबुन तक हर जरूरत की सामन किराना दुकान में उपलब्ध रहती है। कभी फलने-फूलने वाला यह व्यवसाय आज कई परेशानियों से जूझ रहा है। जिस कारण इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। बताया जाता है कि आर्थिक स्थिति को कमजोर बनाने में मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग की बड़ी भूमिका रही है। वहीं बैंकों से लोन मिलने की जटिल प्रक्रिया के कारण भी इनकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर दी है। बैंक से लोन नहीं मिलने के कारण भी व्यसाय पर असर पड़ा है। ऐसे में किराना कारोबारी बैंक से लोन की मांग कर रहे हैं।

किराना कारोबारी इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रही है। एक तो ऑनलाइन शॉपिंग व मॉल ने उनके कारोबार को मंदा कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ थोक व्यापारियों द्वारा खुदारा ग्राहकों को सामानों की ब्रिक्री किया जाना, बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ जाना, सामानों पर मार्जिन कम होने के कारण भी उनका मुनाफा घटा है। वहीं कभी फूड लाइसेंस को लेकर परेशान किया जाता है तो कभी माप तौल विभाग के अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। रही सही कसर श्रम विभाग के अधिकारी निकाल देते हैं। वहीं दूसरी तरफ बैंक से लोन नहीं मिलने के कारण भी वे अपने व्यापार को नहीं बढ़ा सकते हैं। ऐसे में किराना कारोबारी बैंक से कम ब्याज पर लोन की मांग कर रहे हैं। ताकि वे अपने व्यवासय को बढ़ा सकें।

रोजमर्रा की कोई भी सामान की जरूरत पड़ने पर सबसे पहले किराना दुकान की याद आती है। हर छोटी से बड़ी सामान किराना दुकान पर सहजता से मिल जाती है। आटा-चावल से लेकर तेल-मसाले तक, सर्फ-साबुन से लेकर नमक-हल्दी तक किराना दुकान पर उपलब्ध है। हर अमीर से गरीब लोगों को किराना दुकान की आवश्यकता पड़ती है। मानों किराना दुकान लोगों के रोजमर्रा की आवश्यकता को पूरा करने का सबसे बड़ा जरिया है। ऐसे में हर लोगों की आवश्यकता को पूरी करने को लेकर शहर के हर एक चौक-चौराहों से लेकर गांव-मोहल्लों तक किराना कारोबारी अपनी दुकाने संचालित करते दिख जाएंगें। ताकि लोगों की छोटी-छोटी आवश्यकता को वे पूरी कर सकें। साथ ही साथ उससे होने वाले मुनाफा से अपने घर परिवार का अच्छे से भरण-पोषण कर सकें। लेकिन, आज वे समस्याओं के जाल में फंसे हुए है। ऐेसे में जितनी तेजी से यह व्यवसाय फला-फूला। उतनी ही तेजी से इस व्यवसाय की तरफ से कोरोबारियों का मोह भी भंग होने लगा है। कई कारोबारी इस व्यवसाय को छोड़ अन्य धंधा की तरफ अपना रूख कर रहे हैं।

बोले सासाराम के अंतर्गत डेहरी बाजार में संवाद के लिए पहुंचे किराना कारोबारियेां ने अपना दर्द साझा किया। किराना कारोबारियों ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग बनी है। मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग के प्रचलन से उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है। लगभग 30-35 प्रतिशत ग्राहक किराना सामग्री को मॉल या ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से खरीदारी कर रहे हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर कुछ बड़े दुकानदारों द्वारा भी छोटे-छोटे मॉल खोल रखे हैं। जिसका खामियाजा छोटे-दुकानदारों को उठाना पड़ता है। ऐसे में बैंको से लोन नहीं मिलने के कारण हम अपने व्यवसाय को नहीं बढ़ा सकते हैं। बैंक से लोन मिलने की प्रक्रिया काफी जटिल है। बैंक का चक्कर लगाते-लगता थक जाते हैं। लेकन, लोन नहीं मिलता है। जिस कारण छोटे व्यापारियों की स्थिति काफी दायनीय हो गई है।

बाजार में बढ़े प्रतिस्पर्धा से मार्जिन हुई कम

बताया कि बाजार में बढ़े प्रतिस्पर्धा के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है। प्रतिस्पर्धा के कारण सामानों पर मुनाफा कम करके बेचना मजबूरी होता है। इसका प्रभाव भी हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वहीं थोक दुकानदारों द्वारा पहले खुदरा सामान की बिक्री नहीं की जाती थी। लेकिन, प्रतिस्पर्धा के दौर में थोक दुकानदारों द्वारा भी खुदरा ग्राहकों को रिटेल भाव पर सामानों की बिक्री की जाती है। जिस कारण ग्राहक भी थोक दुकानदारों के यहां से अपने सामानों की खरीदारी करते हैं। ऐसे में भी मुनाफा प्रभावित हुआ है। ऐसे में हमारे सामने घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं ब्रांडेड कंपनियों द्वारा भी अपने उत्पाद पर मार्जिन कम कर दिया गया है। साथ ही ग्राहक ऑनलाइन कीमत देखकर उसी कीमत पर हमसे सामान की मांग करते हैं। नहीं देने पर वे अन्य दुकान से सामन लेते हैं। ऐसे में हमें भी कम मुनाफा में ही सामान बेचना पड़ता है।

बताया कि कभी फूड लाइसेंस के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। कभी माप-तौल विभाग द्वारा परेशान किया जाता है। वहीं रही सही कसर श्रम विभाग द्वारा श्रम कानून का भय दिखा कर पूरा कर दिया जाता है। साथ ही स्थानीय नगर निकायों के कर्मियों द्वारा ट्रेड लाइसेंस के नाम पर भी परेशान किया जाता है। बताया कि किराना कारेबारी एक साथ कई समस्याओं को झेल रहे हैं। पार्किंग व जाम के कारण भी ग्राहक हमारे यहां नहीं आते हैं। वे भी अन्य स्थानों से सामान की खरीदारी करते हैं। जिस कारण हम आर्थिक रूप के साथ मानसिक रूप से भी परेशान रहते हैं। ऐसे में हमारी परेशानी दूर करने को लेकर अब तक किसी ने प्रयास नहीं किया है।

शिकायतें

1. मॉल व ऑनलाइन व्यवसाय ने किराना कारोबारियों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है। जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।

2. थोक व्यापारियों द्वारा खुदरा सामान रिटेल भाव पर बेचा जा रहा है। जिस कारण भी किराना कारोबारियों के व्यवसाय पर असर पड़ा है।

3. कभी फूड विभाग तो कभी माप-तैल विभाग के अधिकारी परेशान करते हैं। श्रम विभाग के साथ नगर निकाय के कर्मी भी परेशान करते हैं।

4. लोन की प्रक्रिया काफी जटिल है। ऐसे में लोन लेने के लिए किराना कारोबारियों को बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है। लेकिन, लोन नहीं मिलता है।

5. बाजार में शौचालय, पार्किंग के साथ पेयजल की समस्या बनी रहती है। जिस कारण कारोबारी व बाजार आने वाले ग्राहक भी परेशान रहते हैं।

सुझाव

1. थोक व्यापारियों को खुदरा बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध होना चाहिए। ताकि किराना कारोबारी के ग्राहक उनके यहां से ही सामान की खरीदारी करें।

2. फूड विभाग, माप-तौल विभाग, श्रम विभा व स्थानीय नगर निकायों के कर्मियों द्वारा परेशान नहीं किया जाए। बल्कि लाइसेंस आसानी से दिया जाए।

3. किराना कारोबारियों बगैर शर्त आसानी से लोन मिले। ब्याज भी कम हो। उन्हें लोन के लिए बैंक का चक्कर नहीं काटना पड़े। ताकि वे अपना व्यवसाय बढ़ा सकें।

4.बाजार में पार्किंग की व्यवस्था स्थानीय नगर निकायों को करनी चाहिए। ताकि जाम की समस्या से कारोबार प्रभावित ना हो।

5. बाजार में शौचालय की व्यवस्था के साथ पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि दुकानदारों समेत ग्राहकों को शौचालय व पेयजल के लिए परेशान होना नहीं पड़े।

सार्वजनिक शौचालय बाजार में नहीं होने से दुकानदार समेत यहां आने वाले ग्राहक परेशान होते हैं। ऐसे में स्थानीय नगर निकायों को बाजार में सार्वजनिक शौचायल की व्यवस्था करनी चाहिए

चंदन कुमार केसरी।

सफाई व्यवस्था नियमित नहीं होने से कूड़ा करकट जगह-जगह लगा रहता है। जब दुकानदारी का समय होता है। उस समय सफाई होती है। ऐसे में आने वाले ग्राहकों को परेशानी होती है।

रमेश कुमार।

किराना कारोबारी इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रही है। ऑनलाइन शॉपिंग व मॉल ने उनके कारोबार को मंदा कर दिया है।

नीतीश कुमार।

किराना मंडी से सरकार को राजस्व मिलता है। पर पेयजल की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण दुकानदारों समेत बाजार आने वाले ग्राहक परेशान रहते हैं। सबसे जयादा परेशानी गर्मी के दिनों में होती है।

कृष्णा प्रसाद केसरी।

बाजारों में नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं होती है। जगह-जगह कूढ़ा-कचरा लगा रहता है। ऐसे में दुकानदारों समेत बाजार आने वाले ग्राहकों को परेशानी होती है। सफाई व्यवस्था दुरूस्त होनी चाहिए।

-इकबाल।

बताया कि आर्थिक स्थिति को कमजोर बनाने में मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग की बड़ी भूमिका रही है। वहीं बैंकों से लोन मिलने की प्रक्रिया जटिल है। लोन नहीं मिलने के कारण भी समस्या हो रही है।

-मुजम्मिल राइन।

थोक व्यापारियों द्वारा खुदरा में भी रिटेल दामों पर सामानों की ब्रिक्री की जा रही है। बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गया है। सामानों पर मार्जिन कम हो गई है। जिस कारण मुनाफा भी कम हो गया है। ऐसे में आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है।

-शाहीद इकबाल अंसारी।

बताया कि बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है। प्रतिस्पर्धा के कारण सामानों पर मुनाफा कम करके बेचना पड़ता है। इसका प्रभाव भी हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है।

कृष्णा गुप्ता।

घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। ब्रांडेड कंपनियों द्वारा भी अपने उत्पाद पर मार्जिन कम कर दिया गया है। साथ ही ग्राहक ऑनलाइन कीमत देखकर उसी दाम पर हमसे सामान की मांग करते हैं।

-मुन्ना।

सबसे बड़ी समस्या मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग है। मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग के प्रचलन से उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है। लगभग 30-35 प्रतिशत ग्राहक किराना सामग्री को मॉल या ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से खरीदारी कर रहे हैं। -पवन।

बताया कि कभी फूड लाइसेंस को लेकर परेशान किया जाता है तो कभी माप-तौल विभाग के अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। वहीं श्रम विभाग के अधिकारी भी परेशान करते हैं। ऐसे में मानसिक तनाव बढ़ता है।

- अंकुश कुमार।

बताया कि जितनी तेजी से यहा व्यवसाय बढ़ा है। उतनी ही तेजी से इस व्यवसाय की तरफ से कारोबारियों का मोह भी भंग होने लगा है। कई कारोबारी इस व्यवसाय को छोड़ अन्य धंधा की तरफ अपना रूख कर रहे हैं।

-विश्वनाथ गुप्ता।

बाजार में शौचालय, पार्किंग के साथ पेयजल की समस्या बनी रहती है। जिस कारण कारोबारी व बाजार आने वाले ग्राहक भी परेशान रहते हैं। ऐसे में सार्वजनिक शौचालय के साथ पार्किंग की समस्या का समधान होना चाहिए।

-अश्विनी कुमार गुप्ता।

बताया कि लोन नहीं मिलने के कारण हम अपने व्यवसाय को बढ़ा नहीं सकते हैं। बैंक से लोन मिलने की प्रक्रिया काफी जटिल है। बैंक का चक्कर लगाते-लगते थक जाते हैं। लेकन, लोन नहीं मिलता है।

-कृष्णा गुप्ता।

मॉल व ऑनलाइन व्यवसाय ने किराना कारोबारियों की आर्थिक स्थिति खराब कर रख दी है। जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। ऐसे में किराना कारोबारियों को सरकारी मदद की दरकार है।

-अशरफ हुसैन।

स्थानीय स्तर पर भी कुछ बड़े दुकानदारों द्वारा छोट-छोटे मॉल खोल दिया गया है। जिसका खामियाजा छोटे-दुकानदारों को उठाना पड़ता है। ऐसे में हमें बैंको से लोन नहीं मिलना चाहिए। ताकि व्यवसाय को बढ़ा सकें।

-राजेंद्र लाल।

बताया कि बाजार में पार्किंग व जाम के कारण ग्राहक नहीं आते हैं। ऐसे में ग्राहक मॉल व बड़े दुकानों की तरफ आकर्षित होते हैं। जिस कारण हमारा व्यवसाय प्रभावित होता है। पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

-वीरेंद्र प्रसाद।

मॉल व ऑनलाइन शॉपिंग के प्रचलन से उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है। लगभग 30-35 प्रतिशत ग्राहक किराना सामग्री को मॉल या ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से कर रहे हैं। ऐसे में आर्थिक नुकसान हो रहा है।

-सत्यनारायण प्रसाद।

बताया कि किराना व्यवसाय में मुनाफा कम होने के कारण कारोबारियों का मोह भंग हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी छोटे दुकानदारों को उठानी पड़ती है। छोटे दुकानदारों के लिए अब तक कोई योजना नहीं बनी है।

-प्रिंस अंसारी।

लोन की प्रक्रिया काफी जटिल है। ऐसे में लोन लेने के लिए किराना कारोबारियों को बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है। लेकिन, लोन नहीं मिलता है। लोन की प्रक्रिया को असान बनाया जाए।

-बृहस्पति प्रसाद

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