खरीफ फसल की बेहतर उपज की उम्मीद पर बरसा पानी
खरीफ फसल की बेहतर उत्पादन की उम्मीदों पर एकबार फिर से पानी फिर गया है। शुरुआती दौर में मानसून के पूर्व ही बेहतर बारिश होने से किसानों ने धान की फसल की रोपाई अन्य साल की अपेक्षा ज्यादा की थी। लेकिन...
खरीफ फसल की बेहतर उत्पादन की उम्मीदों पर एकबार फिर से पानी फिर गया है। शुरुआती दौर में मानसून के पूर्व ही बेहतर बारिश होने से किसानों ने धान की फसल की रोपाई अन्य साल की अपेक्षा ज्यादा की थी। लेकिन लगातार बारिश के बाद बाढ़ की विभीषिका ने किसानों को खासा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि इसका विभागीय स्तर पर अभी आंकलन बांकी है। बावजूद इसके कृषि विभाग की ओर से जिले के तीन नगर क्षेत्र सहित 384 में से 285 पंचायत को बाढ़ प्रभावित के रूप में चिह्नित कर भेजा जाना ही बाढ़ की विभीषिका को दर्शाता है। बताया जाता है कि इस वर्ष जिले के 1,31,191 हेक्टेयर में खरीफ फसल लगाई गई थी। जिसमें से 46,275 एकड़ भूमि की फसल बाढ़ व जलजमाव से प्रभावित है। कृषि विभाग की ओर से सरकार को जिले में कुल खरीफ फसल में से 42.5 फीसदी के पानी व बाढ़ से प्रभावित होने की रिपोर्ट भेजी गई है।
पानी उतरने के बाद ही बर्बादी का आंकलन
बताया जाता है कि इस प्रभावित आंकड़ों में से कितनी फसल पूरी तरह से बर्बाद होगी इसका सही आंकलन खेतों से पानी उतरने के बाद ही होगा। जिला में 1,42,567 हेक्टेयर मेें खरीफ की खेती की जाती है। इस वर्ष बाढ़ को लेकर बिथान, हसनपुर, कल्याणपुर, सिंघिया आदि कई प्रखंडों में कम खेती हुई। जिससे यहां 1,35,769 हेक्टेयर में खेती की गई। जिसमें 1,20,992 सिंचित, 10,199 असिंचित व 4578 अन्य भूमि शामिल है।
27 हजार 622 हे. में हुई थी धान की रोपाई
जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि जिले के 1 लाख 31 हजार 191 हेक्टेयर में खरीफ फसल लगाई गई थी। जिसमें से 46 हजार 275 एकड़ भूमि की फसल बाढ़ व जलजमाव से प्रभावित है। लगातार पानी होने से किसानों के विपरीत ही बनी है। जिसमें 27 हजार 622 हेक्टेयर में धान, 11 हजार 288 हेक्टेयर में मकई, 3576 हेक्टेयर में फल व सब्जी एवं 3747 हेक्टेयर में लगाई गई अन्य फसलें पूरी या आंशिक रूप से बाढ़ व जलजमाव में डूबी है व बर्बाद के कगार पर है। विभाग को बाढ़ से प्रभावित 285 पंचायतों की जानकारी दी गई है जहां 46275 हेक्टेयर फसल की क्षति का आंकलन है।
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