मोहल्ले में नहीं जले चूल्हे, तीन घरों के चिराग बुझने पर मातम
गुरुवार की रात रोसड़ा में डाकबंगला चौक पर एक सड़क हादसे ने तीन परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया। महेश्वर ने अपना बड़ा बेटा दिलखुश खो दिया, जबकि बुधन महतो और किशोरी के लिए यह हादसा बुढ़ापे का सहारा...
रोसड़ा, एक प्रतिनिधि। गुरुवार की देर रात शहर के डाकबंगला चौक पर हुए सड़क हादसे से एक साथ तीन परिवारों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। शहर के सीमावर्ती गांव फफौत निवासी महेश्वर ने जहां अपना बड़ा बेटा खो दिया है, वहीं इसी गांव के किशोरी व बुधन महतो से उनके बुढ़ापे का सहारा छीन गया है। महेश्वर दास के दो पुत्र व एक पुत्री में दिलखुश सबसे बड़ा बेटा था। पढ़ाई-लिखाई के साथ दिलखुश पिता के कामों में भी हाथ बंटाया करता था। घटना की खबर सुन घटनास्थल पर पहुंचे मृतक दिलखुश के दादा बलदेव दास बार-बार खुद को कोस रहे थे।
उन्होंने बताया कि दिलखुल बारात जाने के लिए तैयार नहीं था। फिर अचानक दोस्तों के साथ जाने को राजी हो गया, जिसके कारण उसे निकलने में देर भी हुई। वह बार-बार इस बात को दोहरा रहे थे कि काश मेरा पोता बारात के लिए नहीं निकला होता तो आज हमसबों के साथ होता। इधर, बुधन महतो व उनकी पत्नी प्रेमा देवी बार-बार दहाड़ मारकर रोये जा रही थी। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा शेर बहादुर घर में सबका प्यारा था और मां-बाप का सहारा भी। वह घर का कमाऊ बेटा था। वहीं अनोज के घर भी मातमी सन्नाटा पसरा था। उसकी विधवा मां इंदु देवी बार-बार अपने भाग्य को कोस रही थी। इस दृश्य को देख वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम थी। गांव में किसी के घर नहीं जला चूल्हा : रोसड़ा। गुरुवार की देर रात दिल दहला देने वाली घटना की सूचना के बाद से सीमावर्ती गांव फफौत में मातमी सन्नाटा पसरा है। इस मोहल्ले में शुक्रवार को किसी के घर चूल्हे तक नहीं जले। गांव के लोग पीड़ित परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाने में लगे रहे। पीड़ितों के घर लोगों की भीड़ लगी रही। रह-रह कर मृतक के घर से परिजनों के चीख और चीत्कार की उठने वाली आवाज लोगों के दिलों को दहला रही थी।
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