Hindi Newsबिहार न्यूज़समस्तीपुरThe figures of death in the second wave are frightening

डरावने हैं, दूसरी लहर में हुई मौत के आंकड़े

पटोरी एवं मोहनपुर प्रखंड गंगा तट पर अवस्थित है। इसके कारण पटोरी अनुमंडल क्षेत्र के अलावा दूसरे प्रखंडों से भी बड़ी संख्या में मृतकों के अंतिम संस्कार...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरSat, 22 May 2021 09:51 PM
share Share

शाहपुर पटोरी।

पटोरी एवं मोहनपुर प्रखंड गंगा तट पर अवस्थित है। इसके कारण पटोरी अनुमंडल क्षेत्र के अलावा दूसरे प्रखंडों से भी बड़ी संख्या में मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लोग इन दोनों प्रखंडों में आते हैं। दोनों प्रखंडों में सामान्य तौर पर प्रतिदिन 15 से 20 मृतकों के अंतिम संस्कार किए जाते थे। पिछले एक माह में यह आंकड़ा बढ़कर 3 से 4 गुना हो गया है। वर्तमान में प्रतिदिन 50 से 60 लोगों की अंत्येष्टि यहां के गंगा घाटों पर हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में लगभग दो से ढ़ाई हजार शवों की अंत्येष्टि इन गंगा घाटों पर हो चुकी है। जो पहली लहर की तुलना में लगभग 3 गुनी अधिक है। अनुमंडलीय अस्पताल पटोरी के आंकड़े के अनुसार अस्पताल के कोविड सेंटर में पिछले एक माह में कुल 19 मौतें हुई, जिनमें 4 लोगों की मौत कोरोना से हुई। बाकी मौतों को कोविड लक्षणों के बावजूद नन कोविड माना गया। पटोरी एवं इसके आसपास के क्षेत्र में दूसरी लहर के दौरान जितनी मौतें हुई उनमें मात्र 20 फीसदी मौत ही सामान्य तरीके से हुई। बाकी मौतें कोविड लक्षणों के कारण हुई। जिनकी मौत अस्पताल में हुई उनके मृत्यु प्रमाण- पत्र अस्पताल द्वारा जारी किए जा रहे हैं परंतु जिनकी मौत घर में हुई वैसे लोगों के मृत्यु प्रमाण- पत्र के लिए लोगों को सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ रहा है।

ताजपुर में पिछली लहर से चार गुना अधिक हुई मौत

ताजपुर (निसं)। ताजपुर में कोरोना की दूसरी लहर की विकरालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पहली लहर के मुकाबले इस बार चार गुना अधिक मौत हुई है। अकेले फतेहपुरबाला पंचायत में एक माह के भीतर दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई है। हालांकि कुछ लोग मौत का आंकड़ा इससे भी अधिक बता रहे हैं। पंचायत के दक्षिणी छोर पर जमुआरी नदी किनारे स्थित श्मशान घाट में शव के अंतिम संस्कार के लिए जगह की कमी पड़ गयी है। लॉकडाउन के दौरान अब तक दर्जनभर से अधिक शवों के दाह संस्कार किये जा चुके हैं। जिसमें तीन से अधिक शवों को कोरोना प्रोटोकॉल का तहत परिजनों द्वारा पीपीई किट पहनकर जेसीबी मशीन की मदद से अंतिम संस्कार किये गए हैं। बाकी शवों का दाह संस्कार किया गया है। श्मशान घाट में अमूमन हर रोज एक या दो शवों का आना जारी है। पूरे प्रखंड के सोलहों पंचायत में मौत का आंकड़ा इसी से लगाया जा सकता है। पंचायतों से मिली खबर के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान कम से कम हर पंचायत में औसतन आधा से एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। इस हिसाब से मौत का आंकड़ा शतक को पार कर चुका है। सभी पंचायतों को मिलाकर करीब दर्जनभर लोग कोरोना संक्रमण के कारण असमय ही काल के गाल में समा चुके हैं। परन्तु विडंबना है कि सरकारी रिकॉर्ड में कोरोना मौत अभी तक शून्य दर्शाया जा रहा है। पीएचसी प्रभारी डॉ. सोनेलाल राय ने बताया कि ताजपुर में अन्य गंभीर बीमारियों के कारण मौत हुई है। स्थानीय स्तर पर आधिकारिक संज्ञान में कोरोना से मौत नहीं है। कोरोना संक्रमण से जो भी मौत हुई है वो ताजपुर से बाहर किसी अन्य शहर के अस्पतालों में हुई होगी। इसलिए यहां के रिकॉर्ड में शामिल नहीं है।

रोसड़ा में प्रतिदिन लोगों की जान ले रही कोरोना

रोसड़ा । एक प्रतिनिधि

अनुमंडल क्षेत्र में कोरोना प्रतिदिन लोगों की जान ले रहा है, जिसका प्रमाण अनुमंडल क्षेत्र के श्मशान में हो रहे अंतिम संस्कार के आंकड़े हैं। कोविड-19 के कारण अप्रैल माह से शुरू हुआ मौत का मंजर अब तक अनवरत जारी है। हर दिन अनुमंडल क्षेत्र में कोरोना से मौत का सिलसिला जारी है। खासकर शिवाजीनगर प्रखंड में कोरोना से अधिक मौतें हुई है। प्रखंड के बंदा दसौत गांव में 15 दिनों में 3 मौत हुई हैं। सभी मृतक आपस में फरीक थे, जिसके कारण सबों का श्राद्ध-कर्म भी अब एक साथ हो हो रहा है। वहीं शहरी क्षेत्र में भी कोरोना से कई मौतें हुई हैं। शहर से सटे चकथात पश्चिम पंचायत के मुखिया पति की भी मौत कोरोना से हो गयी। मगर, सरकारी महकमे के अनुसार कोरोना संक्रमण से सिर्फ 12 मौतें हुईं। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 09 मौत की पुष्टि की गई है। वहीं प्रखंड के द्वारा क्षेत्र में 03 मौते बतायी गयी है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। इसकी चपेट में आकर सैकड़ों लोग जिंदगी के लिए कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। मगर, कोरोना के कारण हो रही मौतें पर स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार पर्दा डालने में जुटे हैं। स्वास्थ्य विभाग सरकारी आंकड़े में उन मौतों को ही गिन रहा है जिनकी मौत अस्पताल के डीसीएसई में हुई है। वैसे लोग जिन्होंने अपना इलाज निजी क्लीनिक व शहर से बाहर किसी अस्पताल में करवाया तथा उस दौरान उनकी वे कोरोना से जंग हार गए, उनके मौत की गिनती सरकारी आंकड़ों में नहीं की जा रही है।

14 की विभूतिपुर में हुई कोरोना से मौत

विभूतिपुर। निज संवाददाता

प्रखंड के 29 पंचायतों में दर्जनों लोगों की मौत हुई परन्तु कई मौत ऐसी भी हुई जो कोरोना को लेकर संदेहास्पद रही और उसके दाह संस्कार में भी समस्या खड़ी हो गई। कोरोना टेस्ट के बिना गांव में हुई मौतों का फिलहाल कोई सही आंकड़ा नहीं है। सीएचसी विभूतिपुर में ऐसी मौतों का कोई रिकार्ड नहीं है और ऐसे मृतकों का दाह संस्कार भी प्रखंड के बूढ़ी गंडक नदी के विभिन्न गांवों के घाटों के अलावे बेगूसराय जिले के अयोध्या घाट, चमथाघाट और पवित्र गंगा तट सिमरियाघाट में भी हुई है। परन्तु कोरोना साबित होने के बाद कोरोना से मरने वालों की संख्या फिलहाल 14 बतायी जाती है। कोराना की पहली लहर में जो मौत हो रही थी उसे लोग सामान्य ही मान रहे थे। चूंकि उस वक्त उतना लोग जागरूक नहीं थे। उस वक्त कोरोना से भी हुई मौत को भी जांच नहीं होने के कारण लोगों को समझ में नहीं आ रहा था। परन्तु लाशों के अंतिम संस्कार करने में लोग डरे सहमें रहते थे। प्रखंड में बिना कोरोना जांच के मरने वालों के दाह संस्कार में कई एसे संदेहास्पद मामले आये कि एक लाश को तो जेसीबी से गाड़ना पड़ा और कई संदेहास्पद मौतों में तो सिर्फ परिवार के लोग ही अंतिम संस्कार कर सके। बांकी लोग अलग से ही देखते ही रह गए।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें