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शोहदों से सुरक्षा व पिंक बस चले तो कॉलेज छात्राएं रहेंगी महफूज

शहर के छह कॉलेजों में लगभग छह हजार छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आई हैं। छात्राएं शोहदों की छेड़खानी और असुरक्षित महसूस कर रही हैं। पुलिस की गश्त के...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरWed, 5 March 2025 02:31 AM
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शोहदों से सुरक्षा व पिंक बस चले तो कॉलेज छात्राएं रहेंगी महफूज

शहर के छह कॉलेजों में करीब छह हजार छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इनमें तीन से साढ़े तीन हजार छात्राएं ग्रामीण क्षेत्रों से आकर शहर में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। शहर के कई मुहल्ले में किराये पर डेरा लेकर रहती हैं। इस कारण वे दिनभर शहर में कॉलेज से लेकर अन्य जरूरी कामों के लिए निकलती हैं। इनका कहना है कि किराये के घरों से लेकर कॉलेज तक दिनभर शोहदे मंडराते रहते हैं। ऐसे तत्व उन पर फब्तियां कसते हैं। कई बार छेड़खानी की घटना भी हो जाती है। इससे छात्राएं बाहर निकलने में असहज व असुरक्षित महसूस करती हैं। इनकी पीड़ा है कि ऐसे तत्वों से सुरक्षा के लिए संवेदनशील जगहों पर पुलिस की पर्याप्त सक्रियता नहीं रहती है। कई बार पुलिस गश्त करती दिखती है लेकिन रोको-टोको अभियान नहीं चलाती है। इससे मनचले बेखौफ हो जाते हैं।

छात्राओं का कहना है कि विरोध करने पर मनचलों ने ही उनपर दबाव बनाना शुरू कर दिया। वे डर से शिकायत नहीं कर पाती हैं। वहीं घर में ज्यादा शिकायत करने पर गांव लौट आने का दबाव बन जाएगा। छात्रा स्वाति कुमारी ने बताया कि कई दफा सोशल मीडिया के माध्यम से लड़कियों की फोटो वायरल कर दी जाती है। इस समस्या पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। छात्रा सरगम ने बताया कि जब भी छात्राएं कॉलेज की तरफ आती हैं तो रास्ते में उनपर कुछ मनचले फब्तियां कसते हैं। ऐसी स्थिति में तत्काल किस तरह और कहां शिकायत करें, इसकी जानकारी नहीं होती है। इस वजह से छात्राओं के बीच भी जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

रोको-टोको अभियान चलना चाहिए : महिला सुरक्षा के मुद्दे पर दिव्या ने कहा कि इस दिशा में कॉलेज से लेकर पुलिस प्रशासन को सोचने की जरूरत है। विशेष कर छात्राओं की अधिक संख्या वाले शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास नियमित तरीके से पुलिस की गश्ती सहित रोको-टोको अभियान चलाया जाना चाहिए। इससे मनचलों पर लगाम लग सकता है। कॉलेज छात्रा कौशिकी ने बताया कि छात्राओं को सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है, उन्हें खुद जागरूक होना होगा। यदि सुरक्षा से संबंधित किसी तरह की समस्या हो तो इस दिशा में तत्काल निदान कैसे हो सके, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। अगर राह चलती लड़कियों को किसी तरह मदद की जरूरत पड़े तो तत्काल पुलिस पहुंच सके। इसके लिए जरूरी है कि पुलिस गश्ती के अलावा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम होने चाहिए। कृति ने कहा कि कई बार राह चलती छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं हो जाती हैं, लेकिन इस स्थिति में वह डर से कुछ तत्काल नहीं कर पाती हैं। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि वह सबसे पहले मदद के लिए किसे कहें, क्योंकि ऐसे छेड़खानी करने वाले मनचले बाइक से फर्राटा भरते हुए निकल जाते हैं।

छात्राओं के लिए हो बस की सुविधा : कॉलेजस्तर पर छात्राओं को आवागमन के लिए बस की सुविधा नहीं मिलने से परेशानी होती है। महिला कॉलेज के लिए कोई बस सेवा नहीं है। बस नहीं होने की वजह से छात्राओं को धक्का खाना पड़ता है। रोज धक्का-मुक्की और भीड़ का सामना कर छात्राएं कॉलेज पहुंचती हैं।

-प्रस्तुति : केशव कुमार/विजय

शिकायत मिलने पर मनचलों पर हो रही कार्रवाई : एएसपी

अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी,सदर-1 -संजय कुमार पांडेय ने बताया कि स्कूल-कॉलेज व कोचिंगों में छुट्टी के समय पुलिस हमेशा शहर में पेट्रोलिंग करती है। पढ़ाई करने जा रही या छुट्टी के बाद छात्राओं के साथ अगर कुछ असामाजिक तत्व के लड़के बदतमीजी करते हैं, तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है। डायल 112 की पुलिस व टीम हॉक्स के द्वारा लगातार गश्ती की जाती है। यह अभियान निरंतर चल रहा है। छात्राएं निडर होकर पुलिस को सूचना दें। उनकी हर तरह की मदद की जाएगी।

शिकायत

1. शहर सहित कॉलेज के आसपास तक बाइक सवार मनचले दिनभर तेज गति से फर्राटा भरते रहते हैं। इससे परेशानी होती है।

2. स्कूल-कॉलेजों के इलाके में पुलिस की गश्ती तो होती है, लेकिन रोको-टोको की कार्रवाई नहीं होती है।

3. कॉलेजों के आसपास छात्राओं की सुरक्षा के लिए जवानों के तैनाती की व्यवस्था नहीं है।

4. छात्राओं के बीच सुरक्षा को लेकर जागरूकता का घोर अभाव है।

5. विकट परिस्थिति में सबसे पहले मदद के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं।

सुझाव

1. छात्राओं के बहुल इलाके में नियमित रूप से रोको-टोको अभियान की व्यवस्था होनी चाहिए।

2. पुलिस केवल गश्ती ही नहीं करे, बल्कि बिना काम पर राउंड मार रहे लोगों को बांड डाउन की कार्रवाई करे।

3. शहर में काशीपुर चौराहे पर बाइक सवार स्थायी पुलिस फोर्स की व्यवस्था होनी चाहिए।

4. छात्राओं के लिए सुरक्षा इंतजाम से जुड़े जागरूकता संवाद की व्यवस्था हो।

5. कॉलेज और पुलिस प्रशासन स्तर से एक हेल्पलाइन की जरूरत है जो तत्काल सहायता कर सके।

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