होमगार्ड जवानों को मिले सरकारी दर्जा व पुलिसकर्मी जैसी सुविधाएं
समस्तीपुर में 529 होमगार्ड जवान विधि-व्यवस्था के लिए तैनात हैं, लेकिन उन्हें केवल 774 रुपये दैनिक मिलते हैं। उनका कहना है कि समान काम के लिए समान वेतन का कानून क्यों लागू नहीं होता? उन्हें छुट्टियाँ...
समस्तीपुर। जिले में 529 होमगार्ड जवान विधि-व्यवस्था के लिए तैनात हैं। रात-दिन मेहनत करते हैं और उन्हें मेहनताना के रूप में मात्र 774 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है। इनका कहना है कि जब समान काम के लिए समान वेतन का कानून है तो हमारे साथ दोहरे मानडंड क्यों? जब हमसे काम पुलिसकर्मियों की तरह लिया जाता है, तो वैसी सुविधाएं क्यों नहीं मिल सकती हैं? छुट्टियां भी न के बराबर दी जाती हैं। महिला जवानों को मातृत्व अवकाश भी नहीं मिलता है। सरकार व प्रशासन से उनकी मांग है कि उन्हें भी बेहतर सेवा शर्तों के साथ स्थायी नौकरी पर रखा जाए। की वर्दी पहन पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाले होमगार्ड जवान हर चौराहे पर मुस्तैद नजर आते हैं। लेकिन, सेवा शर्तों में अनिश्चितता, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, सरकारी आवास न मिलने का दर्द उन्हें भी है। निर्धारित समय से अधिक ड्यूटी करनी पड़ती है। इस तरह होमगार्ड जवान कई प्रकार की समस्याओं से परेशान हैं। होमगार्ड जवान कहते हैं कि हम रोबोट नहीं हैं... हम भी थकते हैं। सर्दी हो या गर्मी या फिर बारिश
हर मौसम में अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहने वाले होमगार्ड के जवानों की अपनी तमाम समस्याएं हैं। उनसे लड़ते हुए वे लगातार अफसरों के आदेश का पालन करने में लगे रहते हैं।
साप्ताहिक अवकाश पर भी संकट : कहने को तो इस विभाग के अधिकारी व कर्मी सरकारी हैं, लेकिन गृह रक्षक जवान 78 वर्षों के बाद भी दैनिक भोगी कर्मी हैं। सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं मिलने से इन्हें लोन तक नहीं मिलता है। कभी ड्यूटी मिली तो लगातार, नहीं मिली तो साल-सालभर घर बैठे रहना पड़ता है। लगातार ड्यूटी के दौरान इन्हें साप्ताहिक अवकाश तक नहीं मिलता है। यातायात से लेकर आपातकालीन ड्यूटी उन्हें करनी पड़ती है। छापेमारी के दौरान भी ये सबसे आगे रहते हैं। कई बार लोगों के विरोध के दौरान वे चोटिल हो जाते हैं।
ड्यूटी पर खुद के साधन से जाना-आना : सबसे बड़ा दर्द यह कि होमगार्ड जवानों को ड्यूटी लेने के लिए भी अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ती है। ड्यूटी के लिए कमान कटने के बाद दूरी चाहे जितनी भी हो, गृहरक्षकों को खुद के साधन से आना-जाना पड़ता है। इसमें दैनिक वेतन का अधिकांश हिस्सा खर्च हो जाता है। शत्रुध्न झा, अशोक कुमार सिंह, जय नारायण झा, गीता सिंह, पिंकी कुमारी, बबीता कुमारी, संज झा आदि बताते हैं कि सरकारी कर्मी का दर्जा देने समेत अन्य मांगों के लिए गृह रक्षक स्वयंसेवक संघ लगातार संघर्ष कर रहा है लेकिन इस दिशा में कोई सफलता नहीं मिल पायी है। हमलोगों की समस्याओं की फेहरिस्त लंबी है। हमलोगों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता। सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं मिलने के कारण हमलोगों को बैंकों से सर्विस लोन मिलने में भी परेशानी होती है। कई गृह रक्षकों को साल भर काम भी नहीं मिलता।
78 साल में भी खाली हाथ : जवानों ने बताया कि वे हमेशा आर्थिक तंगी में रहते हैं। इस स्थिति में परिवार चलाना भी मुश्किल हो जाता है। गृहरक्षक विभाग की स्थापना 1946 में हुई थी। लगभग 78 साल से हमलोग दैनिक भोगी कर्मी बनकर काम कर रहे हैं। सरकार को हमारी चिंता नहीं है। हम जवानों को प्रतिदिन 774 रुपए के हिसाब से दैनिक मजदूरी मिलती है। संघ के अध्यक्ष कैलाश झा ने बताया कि समस्तीपुर पुलिस जिले में 529 होमगार्ड जवान कार्यरत हैं। ये सभी जवान दैनिक भोगी कर्मी कहलाते हैं। हमलोगों को सरकारी कर्मी की मान्यता नहीं मिली है। सभी सरकारी विभागों, बैंकों व अधिकारियों की सुरक्षा में हमलोग डटे रहते हैं।
होमगार्डों को जिलास्तर पर अगर कोई समस्या है तो इसका समाधान किया जाएगा। उनका प्रमुख रूप से समान काम का समान वेतन समेत अन्य 21 सूत्री जो भी मांगें हैं, वह मुख्यालय स्तर से तय की जाएगी। इसके लिये मुख्यालय स्तर से मार्गदर्शन के बाद आगे की कार्रवाई होगी। इनके ज्ञापन को मुख्यालय भेजा गया है।-मो. ऐहतशाम अली, जिला समादेष्टा, बिहार गृह रक्षा वाहिनी, समस्तीपुर
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