हर साल बाढ़ छोड़ जाती है तबाही और बर्बादी की निशानी
समस्तीपुर जिले में गंगा के किनारे बसे शाहपुर पटोरी, मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर व विद्यापतिनगर, बूढ़ी गंडक व बागमती के किनारे बसे पूसा, कल्याणपुर और कोसी, कमला और करेह से घिरे हसनपुर, बिथान और सिंघिया...
समस्तीपुर जिले में गंगा के किनारे बसे शाहपुर पटोरी, मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर व विद्यापतिनगर, बूढ़ी गंडक व बागमती के किनारे बसे पूसा, कल्याणपुर और कोसी, कमला और करेह से घिरे हसनपुर, बिथान और सिंघिया प्रखंड के गांवों में लगभग हर साल बाढ़ तबाही और बर्बादी की निशानी छोड़ जाती है। उससे पहले ग्रामीणों को बाढ़ के कहर से जूझना पड़ता है। बाढ़ के समय लोगों का जनजीवन तो अस्त-व्यस्त होता ही है, बाढ़ का पानी जाने के बाद भी लोगों को सालों भर आवागमन के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका कारण यह है कि बाढ़ के समय जो सड़कें ध्वस्त होती है उसका मरम्मत नहीं कराया जाता है। पुल और पुलिया टूटने पर उसे भी उसी हाल में छोड़ दिया जाता है।
विदित हो कि शाहपुर पटोरी, मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर व विद्यापति नगर गंगा के उत्तरी तट पर बसा है। इन प्रखंडों से होकर वाया नदी भी गुजरती है। इसलिए प्राय: प्रत्येक वर्ष दियारांचल के नाम से जाने वाले इन प्रखंडों के दक्षिणवर्ती गांवों को बाढ़ की विभीषिका से रू-ब-रू होना पड़ता है। सड़कों पर पानी भर जाने, पानी के दवाब से उसके टूट जाने या फिर चारों तरफ से पानी से घिर जाने के कारण कई गांवों का अपने प्रखंड मुख्यालय और मुख्य सड़क से संपर्क भंग हो जाता है और फसलें बर्बाद हो जाती हैं। कम भराई वाले अधिकांश घरों में पानी प्रवेश कर जाता है। मोहनपुर प्रखंड का राजपुर-जौनापुर पंचायत हाजीपुर-बाजिदपुर बांध से दक्षिण अवस्थित है। इस कारण यहां के किसानों को प्राय: प्रत्येक साल बाढ़ की विभीषिका सहनी पड़ती है। मोहनपुर प्रखंड के सरारी में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, दलसिंहसराय का अस्थायी कैंप है, जो 15 जून से काम करने लगता है। यहीं गंगा नदी के जलस्तर के मापक लगे हुए हैं। खतरे का निशान 45.50 मीटर पर है, किन्तु जब इससे एक मीटर से ऊपर जलस्तर जाता है, तो क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
विगत साल इस क्षेत्र में पिछात बाढ़ आयी थी। 20 सितंबर को राजपुर-जौनापुर पंचायत से होकर गुजरनेवाली पीडब्ल्यूडी सड़क पर बिशनपुर बेरी व जौनापुर के बीच बाढ़ का पानी चढ़ गया था। फिर बाद में इसी सड़क पर जौनापुर -बिनगामा के बीच करीब दो किमी तक पानी चढ़ गया था, और एक पुलिया भी ध्वस्त हो गयी थी, जिस कारण इस गांव का बाहर से संपर्क टूट गया था। सारी खड़ी फसलें बर्बाद हो गयी थीं। कई घरों में पानी प्रवेश कर गया था। बाद में बाढ़ की स्थिति समाप्त होने बाद इस सड़क की तात्कालिक मरम्मत कर आवागमन के लायक बना दिया गया था। संबंधित विभाग द्वारा अब इसकी पक्की मरम्मत करायी जा रही है। इस बार अगात बारिश के कारण गंगा अभी से ही उफान पर है, हालांकि अभी जलस्तर खतरे के निशान से लगभग 2 मीटर नीचे है, यानी और 3 मीटर पानी बढ़ेगा तो बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।